उत्तर प्रदेश : किसानों की आय दोगुनी करने के लिए मनरेगा से जोड़ी जा सकती हैं 260 योजनाएं
Mithilesh Dhar 9 Aug 2018 10:02 AM GMT
लखनऊ। किसानों की आय दोगुना करने की केंद्र की कोशिशों में उत्तर प्रदेश सरकार भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का कोशिश में लगी है। इसी की तहत लखनऊ के बाबा भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में एक कार्यशाला आयोजित की गई जिसमें कृषि को मनरेगा से जोड़ने वाली योजना पर चर्चा हुई।
गुरुवार को उत्तर प्रदेश सहित देश के आठ राज्यों में कृषि एवं मनरेगा अभिसरण कार्याशाला का आयोजन हुआ। लखनऊ में आयोजित कार्यशाला में प्रदेशभर से आए किसानों को संबोधित करते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि किसानों की आय दोगुना करना ही हमारी सरकार का लक्ष्य है। देश का विकास तभी संभव है जब किसानों का विकास होगा।
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योगी ने कहा कि खेती के पूर्व, खेती के दौरान और खेती के बाद की परिस्थितियों में मनरेगा का इस्तेमाल कैसे हो इसके लिए नीति आयोग के अनुरोध पर प्रदेश में चार स्थानों पर इस तरह के कार्यशालाओं का आयोजन किया गया है। यह पहली कार्यशाला है बाकी तीन अलग-अलग मंडलों मसलन मेरठ झांसी, गोरखपुर में आयोजित किए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन कार्यशालाओं में किसानों से सीधा संवाद कर खेती में मनरेगा के उपयोग के रास्ते को तलाशा जाएगा। इस पहली कार्याशाला में लखनऊ, फैजाबाद, कानपुर, इलाहाबाद, देवीपाटन मंडल के जिलों के किसानों को बुलाया गया।
आगे उन्होंने कहा कि किसानों का जागरूक होना बहुत जरूरी है। यहां आए किसान सरकार को सुझाव दें जिनपर हम गौर करेंगे। इतनी योजनाओं के बावजूद जब किसानों को इसका लाभ नहीं मिलता इसका मतलब ये है कि उनमें जागरुकता की कमी है। ऐसे में किसानों को जागरूक होना होगा।
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ किसानों के मुद्दों के अलावा सरकार की उपलब्धियां भी गिनाईं। पीएम आवास की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि प्रदेश में पीएम आवास का निर्माण बहुत कम हुआ था। लेकिन जैसे ही मेरी सरकार आई काम में तेजी आ गई। अब तक 8 लाख 85 हजार लोगों को आवास दिया जा चुका है। इसके अलावा मनरेगा के तहत लोगों को 12 हजार शौचालयों के लिए धन राशि भी दी गई। किसी ने किसानों की आय दोगुनी करने की नहीं सोची। इसके लिए 260 योजनाओं को मनरेगा के अंतर्गत किया जा सकता है। इनमें 193 सामादुयिक हैं और 67 योजनओं को व्यक्तिगत रूप से मनरेगा से जोड़कर किसानों को लाभ पहुंचाया जा सकता है।
कार्यशाला में लघु सिंचाई, आईडब्ल्यूएमपी, कृषि उद्यान, रेशम, कृषि रक्षा, भूमि संरक्षण, नाबार्ड, विद्युत विभाग, भूमि विकास एवं जल संसाधन, पशुपालन, सिंचाई और लोक निर्माण विभाग सहित कई विशेषज्ञों ने भाग लिया।
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