गाँव में लगा खुले में शौच मुक्त का बोर्ड, लेकिन महिलाएं शौच के लिए बाहर जाने को मजबूर

कई ग्राम पंचायतों के बाहर खुले में शौच मुक्त का बोर्ड लगा है पर गांव में एक भी शौचालय नहीं हैं

Virendra SinghVirendra Singh   26 Feb 2019 7:51 AM GMT

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गाँव में लगा खुले में शौच मुक्त का बोर्ड, लेकिन महिलाएं शौच के लिए बाहर जाने को मजबूर

बाराबंकी। केंद्र और प्रदेश सरकार जहां गांव-गांव शौचालय बनवाने के दावे कर रही है और करोड़ों रुपए खर्च कर इस मिशन को पूरा करने में जुटी है। वहीं हकीकत इससे कहीं दूर है। उत्तर प्रदेश के कई ग्राम पंचायतों के बाहर खुले में शौच मुक्त का बोर्ड लगा है पर गांव में एक भी शौचालय नहीं हैं।

बाराबंकी से 38 किलोमीटर उत्तर दिशा में स्थित ब्लाक सूरतगंज अंतर्गत ग्राम पंचायत भिरिया के ग्राम तिवारीपुर के बाहर खुले में शौच मुक्त का बोर्ड लगा है, लेकिन गांव के अंदर एक भी शौचालय नहीं है। इस गांव में कुल 65 घर हैं और 500 से ज्यादा की आबादी है। वहीं गांव तक जाने के लिए कोई पक्की सड़क नहीं है। कच्चे रास्ते से लोगों को गांव तक पहुंचना पड़ता है। बरसात में स्थिति और बदहाल हो जाती है।

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बदहाल सड़कों को होकर जाना पड़ता है ग्रामीणों को।

इस गांव की रहने वाले माया देवी (30वर्ष) बताती हैं, " हमारे गांव में कोई भी सुविधा नहीं है। गांव में एक भी शौचालय नहीं है। हम लोगों को खुले में शौच जाना पड़ता है, जिससे हम सबको बहुत दिक्कत होती है।"

आज तक गांव में बिजली नहीं पहुंची थी। यहां के लोग नरक की जिन्दगी जीने को मजबूर है। जब कि ग्रामीणों ने सरकार की योजनाओं का लाभ पाने के लिए जनप्रतिनिधियों से लेकर प्रशासनिक अफसरों तक गुहार लगाई। लेकिन इनकी समस्या को गंभीरता से नहीं लिया गया।

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शिव कुमार बताते हैं," आज हमारे गांव में गुजरात के पूर्व राज्य गृहमंत्री और भाजपा प्रदेश प्रभारी जिला अध्यक्ष सहित कई नेता आ रहे हैं, क्योंकि हमारे गांव में आजादी के 70 साल बाद विकास के नाम पर बिजली आई है। लेकिन आज भी हमारा गांव मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर है। ना तो हमारे गांव में एक भी खड़ंजा लगा है न ही हमारे गांव का कोई रास्ता संपर्क मार्ग से जुड़ा है। कच्चे मार्ग से ही हम सबको निकलना होता है। बरसात में इस मार्ग पर पैदल निकलना भी दूभर हो जाता है।"

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वहीं 70 वर्षीय सुमिरन बंसल बताते हैं," इस बुढ़ापे में बाहर शौच जाना पड़ता है। कई बार मेड़ पर गिरकर चोटिल भी हो चुके हैं, लेकिन मजबूरी है बाहर शौचालय जाना ही पड़ेगा, क्योंकि गांव में एक भी शौचालय नहीं बनवाया गया। लेकिन हमारे ग्राम पंचायत के बाहर खुले में शौच मुक्त का बोर्ड लगा दिया गया है।"

    

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