11 साल की इस बच्ची ने अपने गाँव का ये राज़ खोला

Update: 2016-07-09 05:30 GMT
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अमानीगंज (फैजाबाद)। प्रदेश में बच्चों, किशोरियों और गर्भवती महिलाओं में कुपोषण की समस्या दूर करने के लिए आंगनबाड़ी केन्द्र चलाए जा रहे हैं, लेकिन आंगनबाड़ी कार्यकर्त्री ही गाँव में नहीं आती हैं। न ही समय पर पोषाहार देती हैं।

 फैज़ाबाद जिला मुख्यालय से लगभग 40 किमी दूर अमानीगंज ब्लॉक के गद्दोपुर गाँव की आंगनबाड़ी कार्यकर्त्री वंदना सिंह (35 वर्ष) गाँव में आती ही नहीं हैं और न ही गाँव में आंगनबाड़ी केन्द्र भवन नहीं बनाया गया है। जबकि गाँव में 40 बच्चे पंजीकृत हैं। कार्यकर्त्री के न आने बच्चों को पोषाहार नहीं मिलता है। गद्दोपुर गाँव के रहने वाली आरती सिंह बताती हैं, “कार्यकर्त्री का जब मन होता है, तभी आती हैं, कभी भी किसी को समय पोषाहार नहीं मिलता है।” गद्दोपुर के ही रमेश सिंह (45 वर्ष) कहते हैं, “शुरू में तो हर दिन आती थीं, अब महीने में एक दो बार आ जाती हैं। या फिर सुपरवाइजर का दौरा होता है या फिर कोई विशेष सप्ताह होता है तभी ही कार्यकर्त्री आती हैं, नहीं तो वो बहुत कम ही दिखाई देती हैं।”

आंगनबाड़ी केंद्र पर 0 से 6 माह तक के बच्चों, किशोरियों और गर्भवती महिलाओं के विकास की जांच की जाती हैं। यहां से इन्हें पोषाहार जिसमें दाल, लइया चना, मक्का, सत्तू, आयोडीन युक्त नमक और दलिया दिया जाता है, जिससे ये कुपोषित न रहें। 0 से 6 माह तक के बच्चों के प्राथमिक अधिकारों पोषण स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए आईसीडीएस योजना के तहत आंगनबाड़ी योजना दो अक्टूबर 1975 में उत्तर प्रदेश से शुरू की गई।

इस बारे में आंगनबाड़ी कार्यकर्त्री वंदना सिंह (35 वर्ष) कहती हैं, “ऐसा नहीं है कि मैं गाँव में नहीं जाती हूं, केन्द्र ही नहीं बना है, इससे बच्चे भी नही आते अब तो बस हफ्ते में एक दिन को इकट्ठा हो जाते हैं, उसी दिन सबको पोषाहार दे दिया जाता है।

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