लोकसभा चुनाव 2019 ADR सर्वे: सरकार ने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर औसत काम किया

मतदाताओं की शीर्ष 10 प्राथमिकताओं पर सरकार का प्रदर्शन औसत से कम है, यह स्पष्ट रूप से संकेत देता है कि सरकार के प्रदर्शन से मतदाता असंतुष्ट हैं

Update: 2019-03-26 05:37 GMT

लखनऊ। आम चुनाव से पहले एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने मतदाताओं के बीच एक सर्वे किया है। इस सर्वे के मुताबिक, मतदाताओं की प्राथमिकताओं में बेहतर अस्पताल/ बेहतर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र दूसरे नंबर पर है। नंबर एक पर रोजगार है। एडीआर का यह सर्वे अक्टूबर 2018 से दिसंबर 2018 के बीच किया गया। यह सर्वे 534 लोकसभा निर्वाचन-क्षेत्रों में किया गया, जिसमें 2,73,479 मतदाताओं ने भाग लिया है।

सर्वे में यह जानने की कोशि‍श की गई कि शासन के विशिष्ट मुद्दों पर मतदाताओं की प्राथमिकताएं क्‍या हैं? उन मुद्दों पर सरकार के प्रदर्शन की मतदाताओं द्वारा रेटिंग कराई गई। साथ ही यह जाना गया कि मतदान के व्यवहार को प्रभावित करने वाले कारक क्‍या हो सकते हैं? सर्वे में मतदाताओं ने स्वास्थ्य के बेहतर अवसर की महत्ता 34.60प्रतिशत बताई।

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मतदाताओं की शीर्ष दूसरी प्राथमिकता के रूप में बेहतर अस्पताल/प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की महत्ता 2017 में प्रतिशत के मुकाबले 2018 में 35प्रतिशत हो गयी | इस प्रकार इसमें 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इतने ही समय में, इस मुद्दे पर सरकार का प्रदर्शन 3.36 (5 के पैमाने पर) से घटकर 2.35 रह गया है।

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मशहूर अर्थशास्त्री और नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अमर्त्य सेन का कहना है , " भारत में अधिकांश आबादी अभी भी बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाएं हासिल करने के लिए जूझ रही है। उसे अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा इलाज पर खर्च करना पड़ रहा है। यदि हम स्वास्थ्य की बात करें तो हम बांग्लादेश की माली हालत के बावजूद उससे पीछे है और यह इसलिए क्योंकि बांग्लादेश की तुलना में भारत में इस क्षेत्र की ओर ध्यान हट गया है।"


26 अप्रैल 2018 को आयोजित 15वें विश्व ग्रामीण स्वास्थ्य सम्मेलन भारत के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा था, " 70 साल की आजादी के बाद भी भारत की 52 फीसदी आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है और समग्र रूप से उनके विकास को प्राथमिकता मिलनी चाहिए। भारत सरकार ग्रामीण स्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता पर रखकर काम कर रही है। डॉक्टर-मरीज का गिरता अनुपात, स्वास्थ्य सेवाओं की खराब स्थिति और स्वास्थ्य सेवाओं की कम उपयोगिता, कुशल पारामेडिक का अभाव और खराब बुनियादी सुविधाएं इस क्षेत्र की बड़ी समस्याएं हैं।"

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वेंकैया नायडू ने कहा था, " निजी क्षेत्रों, एनजीओ और डॉक्टरों के संगठन समेत सभी अंशधारकों की सक्रिय भागीदारी से ग्रामीण क्षेत्रों में केंद्रित और तरजीही चिकित्सा दी जानी चाहिए। समग्र और व्यवस्थित पहल ही इन असमानताओं को दूर कर सकती है और किफायती स्वास्थ्य प्रणाली सुनिश्चित कर सकती है। दुनिया में स्वास्थ्य सेवाओं के निजीकरण की दिशा में भारत भी सबसे तेजी से उभरता क्षेत्र है जहां स्वास्थ्य सेवाओं पर 72 फीसदी खर्च निजी क्षेत्र में ही होता है।" 

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