आपकी पसंदीदा बिरयानी की दास्तान, जानिए कैसे बन गई सबकी चहेती

बिरयानी का नाम सुनकर किसके मुंह में पानी नहीं आ जाएगा? हर जगह की बिरयानी की अपनी अलग खासियतें हैं और सबके अलग-अलग दिवाने, तभी आज आपको बिरयानी की दास्तान सुना रहे हैं।

Update: 2022-07-02 13:44 GMT

बिरयानी की शुरुआत कब हुई इस पर विशेषज्ञों के मत अलग अलग हैं, लेकिन यह तय है कि बिरयानी की इजाद मुगल काल में शाही बावर्ची खाने में हुई है। फोटो: Freepik

अपने खास मसालों और बनाने के अनोखे अंदाज की वजह से बिरयानी एक लोकप्रिय व्यंजन है। बिरयानी राष्ट्रीय व्यंजन तो नहीं है पर इसके चाहने वाले देश के कोने कोने मौजूद हैं। जो बिरयानी की चाह में हमेशा लगे रहते हैं। बिरयानी अपने अनोखे तरीके और स्वाद की वजह से पूरी दुनिया में मशहूर है।

अगर आपका नाता उपमहाद्वीप के किसी भी इलाके से है तो मन में यह सवाल जरूर आता होगा कि आखिर बिरयानी में क्या खास बात है कि यह हर किसी चहेती बन गई है।

बासमती चावल में लिपटे हुए खास मसालों में भुने हुए गोश्त और उसमें से फूटती हुई केवड़े की और जाफरानी खुशबू इस को सभी डिशों से अलग बनाती है। एक बिरियानी प्रेमी तैय्यबा रब्बानी कहती हैं, "जिंदगी में खुशी हो या न हो लेकिन बिरयानी में लेग पीस का होना बहुत जरूरी है।"

बिरयानी की परिभाषा

बिरयानी भारतीय उपमहाद्वीप का एक प्रसिद्ध और लोकप्रिय व्यंजन है, जो चावल के साथ मांस के मिश्रण से तैयार किया जाता है। लेकिन समय के साथ इसमें बदलाव किया गया और प्रॉन (झींगा) बिरयानी, मछली बिरयानी, अंडा बिरयानी और सब्जी यानी वेज बिरयानी (तिहारी) जैसी बिरयानी की अलग अलग शक्लें सामने आईं।

लखनऊ को पहले अवध कहा जाता था इसलिए मुगल शाही बावर्ची खाने में जो बिरयानी तैयार हुई वह अवधी बिरयानी के नाम से मशहूर हुई। फोटो: पिक्साबे

बिरियानी शब्द की उत्पत्ति के बारे में अलग अलग मत हैं, कुछ लोगों का मानना है कि बिरियानी शब्द की उत्पत्ति फारसी भाषा के शब्द 'ब्रिंज़' से हुई है, जिसको संस्कृत भाषा के शब्द व्रीहि से लिया गया है। इसके मायने चावल के हैं। कुछ लोगों का मानना है कि इस शब्द की उत्पत्ति फारसी भाषा के शब्द 'बिरियां' से हुई है। जिसके मायने भुने हुए या तले हुए के हैं।

बिरयानी की ईजाद

बिरयानी की शुरुआत कब हुई इस पर विशेषज्ञों के मत अलग अलग हैं, लेकिन यह तय है कि बिरयानी की इजाद मुगल काल में शाही बावर्ची खाने में हुई है। लेकिन बिरयानी जब उपमहाद्वीप के अलग अलग राज घरानों और शाही बावर्चीखानों में पहुँची तो इसके कई प्रकार विकसित हुए।

इस समय भारत के अलग अलग हिस्सों में अलग अलग तरह की बिरयानी बनाई जाती है और सबका दावा है कि मेरी बिरयानी सब से अच्छी है।19वीं सदी आते आते बिरयानी की प्रसिद्धी पूरे भारत में हो चुकी थी। लखनऊ को पहले अवध कहा जाता था इसलिए मुगल शाही बावर्ची खाने में जो बिरयानी तैयार हुई वह अवधी बिरयानी के नाम से मशहूर हुई।

रियासत हैदराबाद के निज़ाम चाहते थे कि इस व्यंजन को एक अलग पहचान उनकी रियासत में मिले। इसलिए उनके बावर्ची खाने में इसे एक अलग अंदाज में बनाया गया और बन गई हैदराबाद की विश्व प्रसिद्ध हैदराबादी बिरियानी। इस बिरयानी के प्रेमी दुनिया के कोने कोने में मौजूद हैं।

फोटो: पिक्साबे

कर्नाटक के टीपू सुल्तान बिरियानी को मैसूर ले गए और हमें मिली मैसूरी बरियानी। लेकिन एक खास तरह की बिरयानी वह होती है जिसमें गोश्त नहीं होता है। अवध के नवाबों ने अपने बावर्ची खाने में कुछ इस तरह के बावर्ची रखे जो मांस के बगैर सब्जी से बिरयानी तैयार कर सकें। इस तरह हमारी थाल में एक नए तरह की बिरयानी आई जिसे हम 'तिहारी' कहते हैं।

बिरयानी और पुलाव में अंतर भी समझ लीजिए

हाल ही में कुछ बहसें पुलाव और बिरयानी को लेकर भी शुरू हुई हैं कि क्या बिरयानी और पुलाव एक ही हैं या दोनों अलग अलग हैं। बहुत सारे लोगों के अलग अलग ख्याल हैं। लखनऊ में भी ज्यादातर लोग बिरयानी को पुलाव ही कहते हैं। लेकिन वास्तव में पुलाव और बिरयानी के बीच बुनियादी फर्क है।

कॉलिन टेलर सेन ने "फीस्ट एंड फास्ट: अ हिस्ट्री ऑफ फूड इन इंडिया" में पुलाव और बिरयानी के बीच अंतर को स्पष्ट करते हुए लिखा है, "बिरियानी भोजन में मुख्य व्यंजन है जबकि पुलाव भोजन में द्वितीय व्यंजन है।"

फोटो: पिक्साबे

पुलाव और बिरयानी के बनाने में दो बुनियादी फर्क है। खाना बनाने की माहिर सलमा बेगम ने बताया, "पुलाव और बिरयानी में बेसिक फर्क यह है कि पुलाव में खड़ा मसाला पड़ता है और बिरयानी में पिसा हुआ मसाला पड़ता है, इसी तरह बिरियानी में खट्टा तेज होता है और पुलाव सादा होता है।"

कार्यक्रमों या समारोहों ज्यादातर बनती है बिरियानी

बिरयानी के चाहने वाले हजारों नहीं लाखों में मिलेंगे जो हर अवसर पर चाहते बिरियानी ही उनके थाल की जीनत बने। इस लिए शादी ब्याह या किसी सांस्कृतिक समारोह में अगर डिनर कार्यक्रम है तो ज्यादातर जगहों पर बिरियानी ही रहती है। बिरियानी प्रेमी जेबा बताती हैं, "बिरियानी अगर सामने दस्तरख्वान पर है तो फिर मत पूछिए मजा सातवें आसमान पर पहुँच जाता है।"

वह आगे बताती हैं, "मेरे घर पर जितने कार्यक्रम होते हैं उसमें ज्यादातर बिरियानी ही बनाई जाती है क्योंकि बिरियानी एक तरह से मुकम्मल खाना है, इसके साथ में रोटी और चावल की जरूरत नहीं पड़ती है, इसको बनाना आसान है और टाइम की बचत होती है।"

किसी अज्ञात शायर की चार पंक्ति है जिसने अपनी प्रेमिका से दावत मांगते हुए लिखा है।

तेरी मोहब्बत, तेरी वफा ही काफी है

तमाम उम्र यह आसरा ही काफी है

दावत करो मेरी मगर, ज्यादा तकलीफ न करना

मेरे लिए बस, बिरियानी ही काफी है

इस पकवान के टेस्ट और अलग अलग वेरिएंट हैं जैसे मुरादाबादी बिरयानी, हैदराबादी बिरयानी,मैमनी बिरयानी बोहरी बिरयानी आदि लेकिन बिरयानी का असल मजा तो अवधि बिरियानी में ही आता है।

अवधी बिरयानी की खासियत ये है कि इसमें चावल की तरह गोश्त भी कच्चा होता है। अवधी बिरयानी दम विधि से तैयार की जाती है। आइए सीखते हैं अवधी बिरयानी बनाने का तरीका। जो एक लजीज बिरियानी होती है। इसका जाएका और खुशबू दोनों मुगलई है।

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अवधी मटन बिरयानी की सामग्री

गरम मसाला के लिए :

1 स्टिक दालचीनी

8-10 लौंग

 2-3 टी स्पून जीरा

1 टी स्पून सौंफ

2-3 टी स्पून धनिये के बीज

 1 टी स्पून काली मिर्च के दाने

 2 चक्र फूल

2-3 जावित्री

2-3 भूरी इलायची

3-4 हरी इलायची

 मटन के लिए मसाला

 1/2 kg मटन

2-3 टी स्पून अदरक-लहसुन का पेस्ट

1 टी स्पून हल्दी

1 टी स्पून लाल मिर्च पाउडर

काजू का पेस्ट

एक चुटकी गरम मसाला

 4-5 टी स्पून दही

 कुकिंग के लिए

2-3 टी स्पून नमक

3 टी स्पून घी

2-3 टी स्पून तेल

2-3 कप दूध

केसर

अवधी मटन बिरयानी बनाने की विधि

गरम मसाले के लिए :

सभी मसालों को सूखा भून लें और उसे ग्राइंडर में बारीक पीस लें।

मटन को मसालेदार बनाने के लिए 

आधा किलो मटन में अदरक-लहसुन का पेस्ट, हल्दी, लाल मिर्च पाउडर, काजू पेस्ट का मिश्रण, गरम मसाला, फेंटी हुई दही डालकर ढक दें और एक घंटे के लिए फ्रिज में रख दें।

आखिरी तैयारी के लिए 

मटन को पहले फ्रिज से निकालकर कमरे के तापमान पर करके उसे ऊपर से नमक लगा दें।

हांडी पर घी या तेल से चिकनाई लगा लें।

अब मटन बाउल से हांडी में डालकर मिलाएं और कुछ मिनट के लिए पकाएं।

अब इसे ढककर हल्की आंच पर आधे घंटे पकने के लिए छोड़ दें।

अब इसके ऊपर चावलों की एक परत लगा दें और दूध में घुला हुआ केसर डालें।

इसके बाद इसमें थोड़ा नमक, गरम मसाला, भुना हुआ प्याज और घी डालें।

हांडी को ढक दें और किसी भारी चीज पर उसे लटका दें और हल्की आंच पर पकने दें।

आधे घंटे पकाने के बाद इसे गर्म सर्व करें।

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