हरियाणा में बंद हो गए 80 फीसदी ब्रॉयलर फार्म, लेयर की स्थिति भी खराब

Update: 2020-04-01 14:11 GMT

लखनऊ। दस दिन पहले तक 20 हजार मुर्गियों का फार्म चलाने वाले मलकीत के फार्म पर अब एक भी मुर्गी नहीं बची है और वो आगे फिर से पोल्ट्री फार्म का व्यवसाय भी नहीं करना चाहता हैं।

हरियाणा के जींद जिले में धर्मवीर पोल्ट्रीज के नाम से मलकीत का फार्म चलता था, लेकिन पहले कोरोना की अफवाह उसके बाद लॉकडाउन ने उनके इस व्यवसाय को पूरी तरह से घाटे पर ला दिया।

मलकीत बताते हैं, "जब तक मार्केट खुली थी, तब तक मुर्गे नहीं बिके, मैंने जैसे तैसे करके सस्ते में मुर्गे-मुर्गियों को बेच दिया, अगर उन्हें रखे रहता तो खिलाता कहाँ से। इसलिए पहले ही बेच दिया, हमारी तरफ बहुत लोग हैं जिनका मुख्य व्यवसाय ही है। अब जल्दी तो मैं फिर से पोल्ट्री फार्म नहीं ही शुरू करूंगा।"


हरियाणा के जींद, कैथल, पानीपत, कुरुक्षेत्र, गुरुग्राम, बरवाला अंडा-ब्रायलर चिकन का सबसे बड़ा केंद्र है। इन जिलों में 15,000 करोड़ का कारोबार होता है। हरियाणा में डेढ़ हजार से अधिक हैचरी, अंडे के लिए से 250 से अधिक लेयर फार्म और चिकन तैयार करने के लिए 2000 ब्रॉयलर फार्म हैं। जहां पर डेढ़ करोड़ से ज्यादा मुर्गियों का पालन होता है। इसके लिए हर दिन औसतन 22 हज़ार टन दाने की जरूरत होती है।

हरियाणा के जींद-कैथल जैसे कई जिलों में मुर्गी पालकों का समूह चलाने वाले दिलबाग मलिक के ग्रुप में 250 से ज्यादा किसान जुड़े हुए हैं, जिनके पास 20 लाख के करीब ब्रॉयलर हैं।

दिलबाग मलिक बताते हैं, "कोरोना और लॉकडाउन से सबकी हालत खराब है, लेकिन जितनी हालत पोल्ट्री वालों की खराब है किसी की भी नहीं है। दूसरी कंपनियां भी बंद हैं, लेकिन पोल्ट्री में तो मुर्गियों को खिलाओ, उनपर खर्च करो लेकिन कोई फायदा नहीं। इस समय तो मुर्गियों का दाना भी मुश्किल से मिल रहा है"


 वो आगे कहते हैं, "इस समय मजदूर भी नहीं मिल रहे हैं, लेयर फार्म्स से अंडे भी बाहर नहीं जा पा रहे हैं, कई फार्म्स पर तो अंडे सड़ने लगे हैं। अगर ज्यादा दिनों तक ऐसा ही रहा तो इनसे भी कई तरह की बीमारियां हो जाएंगी।"

गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों के लिए आदेश जारी किया है कि सभी राज्य पशु आहार और चारे के आवाजाही पर कोई रोक न लगाएं। कई सारे राज्यों की सीमा पर पशु आहार से भरे ट्रक खड़े हुए थे, क्योंकि राज्य सरकार उन्हें आगे नहीं जाने दे रही थी।

हर दिन मुर्गी के खाने में लगभग 130-150 ग्राम दाने की जरूरत होती है। दाने में मक्का, बाजरा, सोयाबीन, चावल की पॉलिस दी जाती है इससे मुर्गियों का वजन भी बढ़ता है और अंडे की गुणवत्ता अच्छी रहती है। मध्य प्रदेश, राजस्थान से सोयाबीन और बाजरा आता है। लेकिन अब वो भी नहीं आ पा रहा है।

पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया के सचिव हरपाल ढांडा बताते हैं, "अभी मेरे पास डेढ़ लाख मुर्गियां हैं, 120-130 रुपए उन्हें तैयार करने में लागत आ रही है। अब तो हम यही सोचकर बैठ गए हैं कि आदमी जिंदा बचेंगे तभी तो मुर्गी पालेंगे, अब तो बर्बाद ही हो गए हैं, सब कुछ ठीक रहा तो एक बार फिर से जीरो से शुरू करेंगे। पोल्ट्री एक ऐसा सेक्टर है जिसका सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है।"

वो आगे कहते हैं, "अभी देश में हर दिन 1.40 करोड़ चूजे तैयार होते थे, लेकिन अब सब बंद हो गया है, जब आदमी फार्म चलाएगा तभी तो चूजे खरीदेगा। हरियाणा अकेले में हर दिन लगभग 2 से 2.50 करोड़ अंडों का उत्पादन होता है। ब्रॉयलर वालों ने तो सब बंद कर दिया, लेयर की हालत भी बहुत खराब है। ये अब तक पोल्ट्री का सबसे खराब समय चल रहा है।"

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