इस बार छुट्टियों में बच्चों को सिखाइए माइक्रोग्रीन्स उगाना

माइक्रोग्रीन्स आपके खाने को स्वादिष्ट और पौष्टिक बना सकते हैं। इन्हें उगाना रोमांचक और खासकर बच्चों के लिए सीखने के अलावा एक दिलचस्प खेल भी है।

Update: 2024-05-08 12:24 GMT

कुछ दिनों में बच्चों की गर्मियों की छुट्टियाँ शुरू हो जाएँगी, अगर आप उन्हें कुछ नया सिखाना चाहते हैं तो आप माइक्रोग्रीन्स उगा सकते हैं, जो आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों के लिए उपयोगी होते हैं।

माइक्रोग्रीन्स को उगाना आसान है, इन्हें लगाने से काटने तक सिर्फ एक से दो सप्ताह का समय चाहिए, इन्हें कई बार लगा सकते हैं।

दिलचस्प बात यह है कि आपके किचन में पूरे साल माइक्रोग्रीन्स का उत्पादन किया जा सकता है, बशर्ते वहाँ सूर्य की रोशनी आती हो। विटामिन, पोषक तत्वों और बायोएक्टिव कंपाउंड के खजाने के रूप में जाना जाता है। इस कारण माइक्रोग्रीन्स को सुपरफूड भी कहा जाता है।

भारतीय परिवेश में चना, मूँग, मसूर को अंकुरित करके खाना एक आम बात है, ज़्यादातर इसके लिए दालों वाली फसलों का प्रयोग किया जाता है और इन्हें अंकुरित बीज या स्प्राउट भी कहते हैं। माइक्रोग्रीन्स इन से कुछ अलग है, क्योंकि अंकुरित बीजों या स्प्राउट्स में हम जड़, तना और बीज-पत्र को खाने में इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन माइक्रोग्रीन्स में तने, पत्तियों और बीज-पत्र का उपयोग किया जाता है और जड़ों को नहीं खाते हैं।

आमतौर पर माइक्रोग्रीन्स को मिट्टी या कोकोपिट पर उगाया जाता है। माइक्रोग्रीन्स को विकास के लिए सूर्य के प्रकाश की आवश्यकता होती है। मूली और सरसों जैसी सामान्य सब्जियों के बीज का उपयोग इसके लिए किया जाता है।

घर में उपलब्ध मेथी, मटर, मसूर दाल, मसूर, मूँग, चने को स्प्राउट्स के जगह माइक्रोग्रीन्स से रूप में उगा कर भोजन को पौष्टिक और स्वादिष्ट बनाया जा सकता है।


उगाने का सही तरीका

घर में ही जो सामान है उसका इस्तेमाल माइक्रोग्रीन्स को उगाना संभव है। इसके लिए 3 से 4 इंच मिट्टी की परत वाले किसी भी डिब्बे को लिया जा सकता है और अगर ट्रे उपलब्ध है तो और अच्छा है । मिट्टी की सतह पर बीज को फैला दिया जाता है और उसके ऊपर मिट्टी की एक पतली परत डालकर धीरे-धीरे थपथपा कर यह सुनिश्चित कर लिया जाता है कि मिट्टी कंटेनर में अच्छी तरह से बैठ गई है।

मिट्टी के ऊपर सावधानीपूर्वक पानी डालकर नमी बनाकर रखने से दो से तीन दिन में ही बीज अंकुरित हो जाते हैं। इन अंकुरित बीजों को थोड़ी धूप वाली जगह में रखकर उन पर दिन में दो से तीन बार पानी का छिड़काव किया जाता है। एक हफ्ते के भीतर ही माइक्रोग्रीन्स तैयार हो जाते हैं। आप चाहें तो इन्हें 2 से 3 इंच से अधिक ऊँचाई तक बढ़ने दे सकते हैं। इन्हें उगाना आसान है और यह कई व्यंजनों के अलावा सलाद और सैंडविच में भी उपयोग में लाया जा सकता है। इनकी कटाई कैंची के ज़रिए आसानी से की जाती है और मिट्टी या कोकोपिट उपयोग दोबारा किया जा सकता है।

फसल काटने के बाद ये ज़रूर करें

फसल काटने के बाद मिट्टी को गर्मी के दिनों में धूप में फैला कर रखने से उस में पाए जाने वाले रोग जनक जनक सूक्ष्म जीव मर जाते हैं। माइक्रोग्रीन्स को बिना मिट्टी के भी उगाया जा सकता है। कई लोग इन्हें पानी में ही उगाया करते हैं। पोषक तत्वों के घोल का उपयोग करके अच्छे क्वालिटी के माइक्रोग्रीन्स का उत्पादन किया जा सकता है।

माइक्रोग्रीन्स के लिए हर दिन 3 से 4 घंटे की सूर्य की रोशनी पर्याप्त है। घर के अंदर ही अगर आपके पास ऐसी जगह उपलब्ध है तो आसानी से उसका उपयोग किया जा सकता है। ऐसी जगह ना होने पर लोग फ्लोरोसेंट लाइट का भी उपयोग करके सफलतापूर्वक उत्पादन कर लेते हैं।


घर के बाहर इन्हें उगाने में कोई परेशानी नहीं होती है; लेकिन कभी-कभी चिलचिलाती धूप में इनकी सुरक्षा करना ज़रूरी हो जाता है।

माइक्रोग्रीन्स को कैंची से काट कर धोने के बाद प्रयोग में लाया जा सकता है। अधिक मात्रा में उपलब्ध होने के पर इन्हें फ्रिज में रखने से लगभग 10 दिन तक इसका उपयोग किया जा सकता है। माइक्रोग्रीन्स नाजुक होते हैं इसलिए काटने के बाद बाहर रखने पर इनके सूखने का डर रहता है।

माइक्रोग्रीन्स को उगाना और खाना दोनों ही आनंददायक है। बहुत कम खर्च करके कम समय में और सीमित अनुभव से भी इसको उगाया जा सकता है। अगर आप उगाने की कला जान जाते हैं तो साल भर आसानी से इन्हें उगाया जा सकता है। शहरों में जहाँ घरों में सीमित स्थान है और गृह वाटिका नहीं है; माइक्रोग्रीन्स का उत्पादन एक अच्छा विकल्प है।

माइक्रोग्रीन्स उगाना वयस्कों के लिए ही सुखद नहीं, बल्कि बच्चों के लिए भी रुचिकर खेल है। शहरों के आधुनिक परिवेश में पले बड़े बच्चे आज पौधों की दुनिया से बहुत दूर हैं। माइक्रोग्रीन उगाना उनके लिए एक अच्छा अनुभव भी होगा। हर रोज कुछ मिनट देकर उन्हें इस दिलचस्प काम में लगा सकते हैं। माइक्रोग्रीन्स का उपयोग पिज़्ज़ा में भी किया जा सकता है।

स्वादिष्ट और पौष्टिक पिज़्ज़ा बनाने के लिए बच्चे माइक्रोग्रीन्स उगाने में रुचि रखेंगे। अपने द्वारा लगाए गए बीज से निकलने वाले छोटे-छोटे पौधों को हर रोज निहार कर बच्चों के अंदर विशेष आनंद का अनुभव होगा।

(डॉ शैलेंद्र राजन, केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ के पूर्व निदेशक हैं)

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