किसान आंदोलन: गृह मंत्री अमित शाह के साथ किसान नेताओं की बैठक खत्म, किसान नेताओं ने कहा कल सरकार देगी लिखित प्रस्ताव
कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे किसान आंदोलन के 13वें दिन एक बार फिर सरकार के साथ बैठक हुई। किसानों के साथ छठी बैठक गृहमंत्री अमित शाह के साथ हुई। कल किसानों को सरकार की तरफ से लिखित प्रस्ताव दिया जाएगा। 9 दिसम्बर को किसानों के साथ होने वाली बैठक अब नहीं होगी।
बैठक में मौजूद किसान नेता हनन मुल्ला ने बाहर आकर बताया कि कल, बुधवार 9 नवंबर को होने वाली बैठक नहीं होगी। उन्होंने बताया, "मंत्री ने कहा है कि किसान नेताओं को कल एक प्रस्ताव भेजा जाएगा। किसान नेता सरकार के प्रस्ताव पर एक बैठक करेंगे। मंत्री ने कहा है कि आप प्रस्ताव पर पहले विचार करें, उसे पढ़कर आएं, फिर बात करेंगे।"
बैठक में क्या बात हुई, इसके जवाब में उन्होंने बताया कि बैठक में वही बात हुई जो पांच-सात दिन से एपीएमसी को लेकर हो रही है। सरकार कृषि क़ानून वापल लेने को तैयार नहीं और अब किसान नेताओं के दोबारा बैठक में आने की संभावना कम है।
गृह मंत्री के साथ किसान नेताओं की बैठक में क्या हुआ, इसे बारे में राष्ट्रीय किसान महासंघ से जुड़े अभिमन्यू कोहाड़ कहते हैं, "कल सरकार की तरफ से बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, नरेंद्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल मौजूद थे, शुरूआत में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि पिछली पांच बैठक में अब तक क्या हुआ। इसके बाद गृह मंत्री अमित शाह आए तो किसानों ने अपना रुख साफ कर दिया कि हमारी मांगें 100 प्रतिशत पूरी होनी चाहिए। तीनों कृषि कानून रद्द होने चाहिए। एमएसपी गारंटी कानून बनाया जाना चाहिए। प्रस्तावित बिजली बिल रद्द करना चाहिए और जो पराली जलाने को लेकर किसानों का शोषण हो रहा है, ये बंद किया जाना चाहिए।"
गृह मंत्री अमित शाह के साथ किसान नेताओं की मीटिंग में कल रात क्या हुआ?गृह मंत्री #अमित_शाह के साथ #किसान_नेताओं की #मीटिंग में #कल_रात क्या हुआ? बता रहे हैं राष्ट्रीय किसान महासंघ से जुड़े अभिमन्यू कोहाड़
Posted by Gaon Connection on Wednesday, December 9, 2020
उन्होंने आगे बताया, "ये बात किसान नेताओं ने अपनी तरफ से साफ कर दी, इसके जवाब में गृह मंत्री ने अमित शाह ने बार बार ये रिक्वेस्ट की, कि किसान नेता कृषि कानूनों में संशोधन को लेकर तैयार हो जाएं। लेकिन किसान नेता अपनी मांगों पर पूरी तरह से अडिग रहे, उसके तरफ से सरकार का प्रस्ताव आया कि वो कल एक बार लिखित प्रस्ताव भेजेंगे, यानि आज, इसके जवाब में किसान नेताओं ने कहा कि जो हमारी सभी मांगें हैं, उसपर सरकार का क्या स्टैंड है, इसके बारे में सरकार बताए। इसके जवाब में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि वो आज रिटेन प्रपोजल भेजेंगे। इस पर किसान नेताओं ने कहा कि एक बार प्रपोजल आ जाए इसके बाद सभी किसान नेता बैठेंगे, चर्चा करेंगे और आगे की रणनीति बनाएंगे।"
No meeting will be held between farmers & govt tomorrow. The minister has said that a proposal will be given to the farmer leaders tomorrow. Farmer leaders will hold a meeting over govt's proposal: Hannan Mollah, General Secy, All India Kisan Sabha pic.twitter.com/M1lItQ1kGg
— ANI (@ANI) December 8, 2020
गृह मंत्री अमित शाह के साथ किसानों की बैठक भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के इंटरनेशनल गेस्ट में हुई। सरकार के साथ हुई बैठक में राकेश टिकैत, गुरनाम सिंह चढूनी, हनन मुल्ला, शिव कुमार कक्काजी, बलवीर सिंह राजेवाल, रुलदू सिंह मानसा, मंजीत सिंह राय, बूटा सिंह बुर्जगिल, हरिंदर सिंह लखोवाल, दर्शन पाल, कुलवंत सिंह संधू, बोध सिंह मानसा, जगजीत सिंह दल्लेवाल जैसे 13 किसान नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल पहुंचा। ये 5 विभिन्न राज्यों के और 8 उन किसान संगठनों से जुड़े हैं जिन्होंने आंदोलन शुरू किया था। पहले 5 लोगों को बुलाया था, बाद में 13 लोगों पर बात तय हुई।
बैठक में शामिल किसान नेता रुलदू सिंह मानसा नाराज होकर बीच में ही मीटिंग छोड़का वापस सिंघु लौट गए। उन्होंने बताया कि सरकार हमें बैठक के लिए कंफ्यूज कर रही है।
इससे पहले, भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत गृह मंत्री के आवास पर पहुंच गए थे, जहां उन्होंने कहा कि मैं यह पता लगाने की कोशिश कर रहा हूं कि बैठक कहां हो रही है।
We are talking to our people on where the meeting is to be held: Rakesh Tikait, Spokesperson, Bhartiya Kisan Union on being asked about the meeting with Union Home Minister Amit Shah https://t.co/dKjmCe3cFl pic.twitter.com/ZNVBr9YM5i
— ANI (@ANI) December 8, 2020
आज किसान संगठनों ने भारत बंद करने की भी बात की थी। किसानों के इस भारत बंद का कई राजनीतिक दलों ने समर्थन भी दिया है। किसान संगठनों ने राजनीतिक दलों का समर्थन किया है लेकिन यह भी हिदायत दी है कि वे अपनी पार्टी का झंडा लेकर आंदोलन में शामिल ना हो बल्कि किसानों के झंडे तले ही वे अपना प्रदर्शन करें। भारत बंद में दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश सहित देश भर में भारत बंद का मिला जुला असर दिखा।
इससे पहले पांच दिसम्बर को किसानों के साथ सरकार की पांचवीं बैठक हुई थी, जो बेनतीजा रही थी। ठक में किसान 'Yes' या 'No' की तख्तियां लेकर बैठे थे, जिसका मतलब था कि सरकार या तो कानूनों को कर दे या फिर हमें फिर नहीं कर दे ताकि हम अपना आंदोलन अगले स्तर तक ले जा सके। इस दौरान किसान नेताओं ने एक घंटे तक मौन भी रखा।
सिंघु बॉर्डर पर किसानों ने मशाल रैली निकालकर किया विरोध-प्रदर्शन किया, महिलाएं भी हुईं शामिल। #FarmersProtest #BharatBandh #FarmerProtest2020 #kisanandolan pic.twitter.com/ORtWJPi0D0
— GaonConnection (@GaonConnection) December 8, 2020
बीते 26 नवंबर से जारी किसान आंदोलन के बीच किसान नेताओं और सरकार में लगातार वार्ता चल रही है। सरकार की तरफ से यह पूरी कोशिश है कि यह गतिरोध जल्द से जल्द खत्म किया जाए, हालांकि सरकार इन कानूनों को वापस लेने की मंशा में नहीं दिख रही है। वहीं किसान नेता लगातार इन तीनों कानूनों को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की निश्चितता के लिए एक कठोर कानून बनाने की मांग कर रहे हैं। किसान नेताओं का कहना है कि इसके बिना वे सड़कों से वापस नहीं हटेंगे। किसान नेता तीन कृषि बिलों समेत कुल आठ मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं, जिसमें कृषि बिलों की वापसी और एमएसपी प्रमुख मुद्दा है।