जंगल की आग की वजह से घट सकता है सौर ऊर्जा उत्पादन: शोध
शोधकर्ताओं ने पाया है कि बादलों और एरोसोल के अलावा, जंगल की आग सौर ऊर्जा उत्पादन को कम करने में एक अहम भूमिका निभाती है।
गर्मी का मौसम आते ही भारत के विभिन्न हिस्सों से जंगल में आग लगने की खबरें आने लगती हैं। जंगल की आग जहां हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती हैं वहीं सौर उर्जा उत्पादन को कम करने में भी बड़ी भूमिका निभाती हैं। ये बात हाल ही में हुए एक अध्ययन में सामने आई है।
सोलर प्लांटों के उत्पादन पर जंगल की आग के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रभावों के कारण उर्जा और वित्तीय घाटे के इस तरह के विश्लेषण से काफी मदद मिल सकती है। विश्लेषण से ग्रीड ऑपरेटरों को बिजली उत्पादन की योजना बनाने और शेड्यूल करने में मदद मिल सकती है। साथ ही साथ इससे बिजली के वितरण, आपूर्ति, सुरक्षा और बिजली उत्पादन में पूरी स्थिरता रखने में भी मदद मिल सकती है।
किस कारण से कम हो रहा सौर उर्जा उत्पादन
हाल ही में भारत में सौर उर्जा के उत्पादन का व्यापक रूप से उपयोग किया गया है। हालांकि, बादल, एरोसोल और प्रदूषण जैसे कई कारण हैं जिसकी वजह से सौर उर्जा उत्पादन कम होता है, जिससे सौर उर्जा प्लांटों के कार्य करने में समस्याएं पैदा होती हैं।
सौर उर्जा प्रणाली का बड़े पैमाने पर विकास करने के लिए उचित योजना और सौर क्षमता का अनुमान लगाने की जरूरत को ध्यान में रखते हुए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), भारत सरकार के तहत स्वायत्त अनुसंधान संस्थान, आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंसेज (एआरआईईएस), नैनीताल और यूनान स्थित नेशनल ऑब्जर्वेटरी ऑफ एथेंस (एनओए) के शोधकर्ताओं के एक समूह ने सौर ऊर्जा उत्पादन को कम करने वाले कारकों का पता लगाने की कोशिश की है। शोधकर्ताओं ने पाया है कि बादलों और एरोसोल के अलावा, जंगल की आग सौर ऊर्जा उत्पादन को कम करने में एक अहम भूमिका निभाती है।
वैज्ञानिकों ने अनुसंधान के लिए रिमोट सेंसिंग डेटा का इस्तेमाल किया और व्यापक विश्लेषण और मॉडल सिमुलेशन के साथ भारतीय क्षेत्र में सौर ऊर्जा क्षमता पर एरोसोल और बादलों के प्रभाव का अध्ययन किया। उन्होंने बादलों और एरोसोल के कारण राजस्व और नुकसान के संदर्भ में एक विश्लेषणात्मक वित्तीय विश्लेषण भी प्रदान किया।
बढ़ रहीं हैं जंगल में आग की घटनाएं
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री उपेन्द्र यादव ने लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में बताया था कि नवंबर 2020 से 2021 तक के आंकड़ों के अनुसार भारत में 345989 फॉरेस्ट फायर हुए थे। उसमें से सबसे ज्यादा आग 51951 बार ओडिशा के जंगलों में लगी, उसके बाद मध्य प्रदेश के जंगलों में 47795 बार लगी, उसके बाद छत्तीसगढ़ के जंगलों में 38306 बार और महाराष्ट्र चौथे नंबर पर था जहां 34025 बार आग लगी। इसके साथ ही फॉरेस्ट सर्वे ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत के पूरे फॉरेस्ट कवर में से 10.86 प्रतिशत क्षेत्रफल फॉरेस्ट फायर प्रोन एरिया हैं।
वर्तमान अध्ययन के निष्कर्ष से देश स्तर पर ऊर्जा प्रबंधन और योजना पर जंगल की आग के प्रभाव के बारे में निर्णय लेने वालों के बीच काफी जागरूकता बढ़ेगी। इसके अलावा, यह शोध जलवायु परिवर्तन की गंभीरता को कम करने की प्रक्रियाओं और नीतियों और सतत विकास पर इसके प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रभावों का समर्थन कर सकता है।