जिन राज्यों में जनधन खाते ज्यादा खुले, वहां के ग्रामीण क्षेत्रों में कम हुई महंगाई

Update: 2017-10-14 17:01 GMT
जनधन खाता खुलवाने के बाद खुश दिखते लोग।

लखनऊ। जिन राज्यों में प्रधानमंत्री जनधन खातों की संख्या अधिक है, उनमें ग्रामीण महंगाई निम्न स्तर पर आ गई है। यह बात एक रिपोर्ट में सामने आई है। रिपोर्ट में ये बात भी सामने आई है कि सबसे ज्यादा जनधन खाते उत्तर प्रदेश में खोले गए हैं।

नोटबंदी के बाद से जनधन खातों में तेजी से इजाफा हुआ और अब तक ऐसे 30.38 करोड़ बैंक खाते खोले जा चुके हैं। इस तरह के खाते वाले दस शीर्ष राज्यों में करीब 23 करोड़ खाते खोले गये हैं, जो कुल जनधन खातों के 75 प्रतिशत हैं। इसमें सर्वाधिक खातों की संख्या उत्तर प्रदेश में है जो 4.7 करोड़ के स्तर पर है। इसके बाद बिहार में 3.2 करोड़ और पश्चिम बंगाल में 2.9 करोड़ जनधन खाते खुले हैं।

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कानपुर देहात के भीखड़ गाँव के किसान प्रदीप कुमार ने बताया "पहले मेरा बैंक खाता नहीं था। जनधन योजना के तहत दो साल पहले मैंने अपना खाता यूनियन बैंक में खुलवाया। पहले बैंक में जल्दी खाता नहीं खुलता था। ऐसे में इस योजना के तहत हमारा खाता आसानी से खुल गया।"

करीब 60 प्रतिशत जनधन खाते केवल ग्रामीण इलाकों में ही खुले हैं। एसबीआई की एक रिसर्च रिपोर्ट ईकोरैप में कहा गया है, ‘‘आंकड़े दिखाते हैं कि जिन राज्यों में जनधन खाते अधिक संख्या में खुले हैं, उनमें ग्रामीण महंगाई निम्न स्तर पर है। यह दिखाता है कि अर्थव्यवस्था औपचारिक रूप ले चुकी है।’’

इस योजना के आने के बाद बड़ी संख्या में बैंक खाते खुले। खाते आसानी से खुलने लगे तो लोगों का डर खत्म हो गया। दूर-दराज से आए लोग अपने खातों में पैसे जमा करते हैं योजना का लाभ उठा रहे हैं। पैसे बचा रहे हैं। लोग जागरूक हो रहे हैं।
आशीष कुमार, शाखा प्रबंधक, बैंक ऑफ बड़ौदा, कानपुर देहात, मैथा

सितंबर में ग्रामीण इलाकों को मिली राहत

सितंबर में रिटेल महंगाई दर अगस्त के 3.36 फीसदी से घटकर 3.28 फीसदी रही है। महीने दर महीने आधार पर सितंबर में खाद्य महंगाई दर 1.52 फीसदी से घटकर 1.25 फीसदी पर आ गई है। सितंबर में ग्रामीण इलाकों की महंगाई दर में भी गिरावट देखने को मिली है। महीने दर महीने आधार पर सितंबर में ग्रामीण इलाकों की महंगाई दर 3.22 फीसदी से गिर कर 3.15 फीसदी पर नजर आ रही है, हालांकि सितंबर में शहरी इलाकों की महंगाई बढ़ी है। सितंबर में शहरी इलाकों की महंगाई अगस्त के 3.35 फीसदी से बढ़कर 3.44 फीसदी रही है।

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जनधन ऐतिहासिक आंदोलन

गौरतलब है कि जनधन योजना के अगस्त में तीन साल पूरे हो गए हैं। पीएम नरेंद्र मोदी ने इस योजना को गरीबों के लिए ऐतिहासिक पहल बताया था। उन्होंने कहा था, "जनधन क्रांति गरीबों, दलितों व हाशिए के लोगों को वित्तीय मुख्यधारा में लाने का एक ऐतिहासिक आंदोलन है"। पिछले महीने जनधन के तीन साल पूरे होने पर पीएम ने कहा था, "हमारा प्रयास गरीबों व हाशिए के लोगों के जीवन में गुणात्मक व परिवर्तनकारी बदलाव लाना है, जिसे मजबूती के साथ जारी रखा है। भारत में 6 लाख, 49 हज़ार 4 सौ 81 गांव हैं। इनमें से सबसे ज्यादा गांवा उत्तर प्रदेश में हैं। यहां गांवों की कुल संख्या एक लाख सात हजार से ज्यादा है। ऐसे में जब यहां सबसे ज्यादा जनधन खाते खोले गए तो जाहिर सी बात है कि उसका असर भी ग्रामीण क्षेत्रों में दिख रहा होगा।

जनधन खाता योजना जनता के लिए बहुत लाभकारी है। इसके तहत बीमा भी किया जाता है, दुर्घटना के समय दो लाख रुपए की राशि मिलने का प्रावधान है। नोटबंदी के समय जनधन खाते बड़ी संख्या में खुले थे। इनमें से एक लाख खातों में शून्य बैलेंस है। डिजीटल ट्रांजेक्शन यहां बढ़ रहा है। जनता को जागरूक किया जा रहा है।
विजय जैन, प्रबंधक लीड बैंक, गुना, मध्य प्रदेश

सुषमा स्वराज ने यूएन में की थी जनधन योजना की तारीफ

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने 23 सिंतबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 72वें सत्र में संबोधन देते हुए जनधन योजना की तारीफ की थी। उन्होंने कहा, ‘‘जनधन योजना निश्वित रूप से विश्व की सबसे बड़ी वित्तीय समावेशी योजना के तौर पर गिनी जानी चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि कम से कम ऐसे 30 करोड़ भारतीयों के पास आज बैंक खाते हैं जिन्होंने कभी बैंक के दरवाजे को पार नहीं किया था। यह जनसंख्या अमेरिका की जनसंख्या के बराबर है। उन्होंने कहा, ‘‘जाहिर है कि इसे तीन वर्षों में पूरा करना आसान नहीं था लेकिन हमारे बैंकों ने हमारे प्रधानमंत्री द्वारा निर्धारित किए गए इस दूरदर्शी लक्ष्य को हासिल किया। लक्ष्य निर्धारित किया गया है कि प्रत्येक भारतीय परिवार का एक बैंक खाता होगा।’’ उन्होंने इसके साथ ही यह भी कहा कि ये खाते ‘जीरो बैलेंस’ पर खोले गए।

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