लखनऊ। भारत के 14वें राष्ट्रपति पद के लिए भारतीय जनता पार्टी ने बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद को उम्मीदवार घोषित किया है। ऐसा माना जा रहा है कि देश के अगले राष्ट्रपति वही होंगे क्योंकि बेदाग छवि वाले नेता रहे राम नाथ कोविंद के नाम पर विपक्ष भी अपना समर्थन दे सकता है। 17 जुलाई को राष्ट्रपति पद के लिए मतदान होगा और 20 जुलाई को इसके नतीजे आएंगे। इस बार के राष्ट्रपति चुनावों में बहुत सी खास बाते हैं...
- इंडिया डॉट कॉम की ख़बर के मुताबिक, इस बार राष्ट्रपति पद के चुनाव में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंश मशीन (ईवीएम) का इस्तेमाल नहीं होगा। इसके लिए विशेष प्रकार की पेन का इस्तेमाल होगा। इन चुनावों में ईवीएम का इस्तेमाल नहीं किया जाता है क्योंकि उन्हें पहले ही फार्मेट किया जा चुका है।
- चुनाव में मतपत्रों से मतदान होगा। ये मतपत्र हरे और गुलाबी दो रंगों के होंगे। संसद के सदस्यों के लिए हरे रंग का मतपत्र होगा जबकि विधायक गुलाबी रंग के मतपत्र से मतदान करेंगे।
- इंडिया डॉट कॉम की ख़बर के मुताबिक, निर्वाचक मंडल के कुल मतों का मूल्य 10,98,903 है। निर्वाचित सांसदों और राज्य विधानसभाओं के सदस्यों वाले समानुपातिक प्रतिनिधित्व की व्यवस्था के जरिए राष्ट्रपति का चुनाव करने वाले निर्वाचन मंडल में कुल 4,896 मतदाता होते हैं जिनमें 4,120 विधायक और 776 निर्वाचित सांसद हैं।
- एक विधायक के वोट का मूल्य उसके प्रतिनिधित्व वाले राज्य की आबादी पर निर्भर करती है लेकिन सांसद के वोट का मूल्य स्थिर रहेगा। एक सांसद का वोट 708 के बराबर माना जाता है। इसलिए अलग-अलग रंग के मतपत्र से निर्वाचन अधिकारी को वोट के मूल्य के आधार पर मतों की गणना करने में मदद मिलेगी।
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- राजग और विपक्ष द्वारा अलग-अलग प्रत्याशी खड़े करने और उनमें से किसी के एक जुलाई की शाम तक उम्मीदवारी वापस ना लेने की स्थिति में चुनाव आयोग मतपत्र की अंतिम छपाई की प्रक्रिया शुरू करेगा।
- फाइनेंशियल एक्सप्रेस की ख़बर के मुताबिक, आंध्र प्रदेश, असम, गोवा, गुजरात, जम्मू कश्मीर, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, मणिपुर, ओडिशा, पंजाब, सिक्किम, तमिलनाडु, तेलंगाना, मणिपुर, पश्चिम बंगाल और पुद्दुचेरी के लिए मतपत्रों की छपाई उनके राज्यों में ही होगी। इन राज्यों के लिए हिंदी और अंग्रेजी के अलावा अन्य भाषाओं में मतपत्र छापने की जरूरत होती है।
- अंग्रेजी और हिंदी में छपने वाले मत पत्रों की छपाई यहां चुनाव पैनल खुद अरुणाचल प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, राजस्थान, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली का चुनाव पैनल करेगा।
भारत में जनता क्यों नहीं चुनती राष्ट्रपति
1848 में, लुई नेपोलियन को लोगों के सीधी मत से राज्य के प्रमुख के रूप में चुना गया था, लुई नेपोलियन ने फ्रेंच गणराज्य को उखाड़ फेंका और दावा किया कि उनको जनता ने सीधा चुना है, तो वो ही फ्रांस के राजा हैं। ताकि भारत में ऐसा न हो इसलिए इस घटना को ध्यान में रखते हुए, भारत के राष्ट्रपति अप्रत्यक्ष रूप से चुने जाते हैं।
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