अंकित मिश्रा
लखनऊ। इंसानों के हड़ताल पर जाने की बात तो समझ में आती है लेकिन अगर आप से कोई ये कहे कि अपनी मांगों को लेकर कुछ हाथी हड़ताल पर चले गए हैं तो आप क्या कहेंगे। पीक सीज़न होने के बावजूद यूपी के इकलौते नेशनल पार्क दुधवा में सबकुछ ठप्प पड़ा है। स्थानीय कर्मचारी इसके लिए इलाके की डीएम किंजल सिंह को ज़िम्मेदार ठहरा रहे हैं।
दरअसल फेडरेशन ऑफ फॉरेस्ट एसोसिएशन के कर्मचारी 28 जनवरी से जिलाधिकारी किंजल सिंह के खिलाफ हड़ताल पर बैठे हैं। टाइगर रिज़र्व के कर्मचारियों ने डीएम किंजल सिंह पर उत्पीड़न और जानबूझकर कर परेशान करने का आरोप लगाया है।
कर्मचारी डीएम किंजल सिंह पर पार्क नियमों को तोड़ने, अधिकारियों और कर्मचारियों से अभद्रता करने जैसे आरोप भी लगाएं हैं। 28 जनवरी से हड़ताल पर बैठे जिप्सी चालकों और गाइडों ने डीएम किंजल सिंह के खिलाफ़ कार्रवाई न करने की हालत में अपने हथियार और दूसरे ज़रूरी सामान जमा करने की भी चेतावनी दी है।
उधर कर्मचारियों के आरोपों को गलत ठहराते हुए इलाके की डीएम किंजल सिंह कहती हैं ''मैं तो पिछले तीन महीने से जंगल ही नहीं गई, प्राइवेट जिप्सियों को आरटीओ ने सीज़ किया है, पता नहीं क्यों आरोप मुझ पर लगाए जा रहे हैं।''
कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से दुधवा टाइगर रिज़र्व की सुरक्षा भी खतरे में पड़ गई है। बुधवार से कर्मचारियों के साथ-साथ दुधवा में तैनात रेंजर भी हड़ताल में शामिल हो गए हैं। हड़ताल की वजह से दुधवा नेशनल पार्क का पर्यटन पूरी तरह से ठप्प पड़ गया है। डीएम किंजल सिंह के उत्पीड़न के खिलाफ़ कार्रवाई के लिए कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को भी चिट्ठी लिखी है। हालांकि देर रात तक हड़ताली कर्मचारियों को समझाने बुझाने की कोशिशें जारी रहीं। दुधवा नेशनल पार्क के उपनिदेशक वी पी सिंह ने दुधवा नेशनल पार्क की सुरक्षा के लिए प्रांतीय रक्षा दल के 40 जवानों को तैनात करने की बात कही है।