'पुलवामा और बालाकोट का चुनावों पर पड़ेगा जबरदस्त असर'

भाजपा इसे भुनाने में लगी है तो विपक्षियों को नहीं मिल रहा काट। यूपी में विपक्ष ने जैसे हथियार डाल दिए। कांग्रेस की सुस्ती से भाजपा को हो रहा फायदा।

Update: 2019-03-16 10:53 GMT

लखनऊ। भारत के लोकसभा चुनावों की सरगर्मियां तेज हो गई हैं, लेकिन पुलवामा और बालाकोट के हमले के बाद भारतीय राजनीति में एक बदलाव सा आ गया है। भाजपा इस मुद्दे को भुनाने में कसर नहीं छोड़ रही तो विपक्ष को इसका काट नहीं मिल रहा।

"कई ऐसे मुद्दे जो भाजपा के गले की हड्डी बने हुए थे, उनसे निपटने में ये काफी कारगर साबित हो रहा है। नोटबंदी, जीएसटी और अन्य मुद्दों पर जो लोग नाराज दिखते थे, लगता है उनकी नाराजगी खत्म हो गई है। जनता की भावनाएं अगर चुनावों तक ऐसे ही बनी रहीं तो बीजेपी के लिए फायदेमंद होगा," वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान ने बताया।

लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश की सीटें काफी मायने रखती हैं, यूपी की राजनीति इस वक्त काफी तेजी से बदल रही है, कभी सपा-बसपा का गठबंधन हावी दिखता है तो कभी अचानक से कांग्रेस में प्रियंका के आने से मजबूती का अहसास होता है।

सवाल उठाने में विरोधी पार्टियां तक डर रहीं



यूपी की सियासत पर पैनी नजर रख रहे वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान कहते हैं, "भाजपा ने सारे घोड़े खोल दिए हैं, पुलवामा और बालाकोट के ऊपर कोई सवाल उठाता है तो उसे देशद्रोही करार दे दिया जाता है। इसपे खुल के सवाल उठाने में विरोधी पार्टियां तक डर रही हैं।"

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विपक्ष की रणनीति पर सवाल उठाते हुए शरत प्रधान कहते हैं, "हमें लगता है कि विपक्ष की रणनीति काम नहीं कर रही है। विरोधियों में उत्साह नहीं दिख रहा, लगता है पहले ही हार मान ली है। शायद ऐसा इसलिए है कि सर्जिकल स्ट्राइक में कितने आतंकी मरे इसका सुबूत नहीं है, न तो सरकार के पास है न ही विपक्ष के पास। इसका फायदा बीजेपी को मिल रहा है।"

जिस तरह से सपा और बसपा का गठबंधन हुआ है भाजपा ने सोचा ही नहीं था कि एक-दूसरे के दुश्मन इस तरह साथ आ जाएंगे।

कांग्रेस अपने को इस हैसियत में नहीं ला पाई

"भाजपा नेता लगातार इस गठबंधन का नाम लेते थे, लेकिन ऊपर से कहते कि हमें कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन उसके बाद सुस्त पड़ गए। ऐसे ही कांग्रेस का समझ ही नहीं आता कि वो इलेक्शन मोड में हैं कि नहीं। प्रियंका तीन दिन के लिए आईं फिर गायब, अगर मन से चुनाव लड़ना है तो प्रियंका को यूपी में दिखना चाहिए था," शरत प्रधान कहते हैं, "आज की तारीख में कांग्रेस अपने को इस हैसियत में नहीं ला पाई है कि वो भी खेल में है।"

कोई सर्वमान्य नेता ही नहीं

अगर ऐसा ही रहा तो लग रहा है कि विपक्ष ने हथियार डाल दिए हैं, और सारा लाभ भाजपा को मिलेगा। देश में बनने वाले महागठबंधन में तो लगता है कोई सर्वमान्य नेता ही नहीं है।

"अगर कांग्रेस के इर्द-गिर्द गठबंधन होता है तो टिकता है, लेकिन क्षेत्रीय पार्टियों से नेता कहने लग जाएं कि वह प्रधानमंत्री बन जाएं तो ऐसे हर आदमी प्रधानमंत्री बनने लग जाएगा। लेकिन फिलहाल कांग्रेस पुरसाहाल है," शरत प्रधान कहते हैं, "जब सपा-बसपा का गठबंधन हुआ था, और कांग्रेस ज्वाइन कर लेगी तो भाजपा यूपी में 15 से 20 सीटों तक सिमट जाएगी। पर अब देखना होगा इसका कितना असर होगा।"


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