चर्चा के चबूतरे पर आरती देवी: महिला सरपंच जिसने अमेरिका तक बटोरी सुर्खियां

Update: 2016-12-28 16:37 GMT
गांव की महिलाओं को साथ आरती देवी। फोटो- उनके ट्वीटर से

भुवनेश्वर (ओडिशा)। ग्राम धुंकपाड़ा, जनपद गंजाम, राज्य ओडिशा, इन शब्दों को गूगल में डालिए, जो परिणाम आएंगे वो आरती देवी के इर्द-गिर्द घूमेंगे। आरती भारत की युवा महिला सरपंच हैं, जिनके कार्यों को न सिर्फ भारत में, बल्कि अमेरिकी राष्ट्रपति प्रशासन से भी सराहना मिली। आरती से उनके कार्यों और लक्ष्य को लेकर पिछले दिनों हुई चर्चा के प्रमुख अंश--

प्रश्न- वो क्या कारण थे कि आपने बैंक की एक अच्छी-खासी नौकरी छोड़कर सरपंच का चुनाव लड़ा ?

उत्तर- मैंने दस तक की पढ़ाई अपने गाँव में ही की है और मैं बचपन से ही सामाजिक कार्य करना चाहती थी, लेकिन दसवीं की पढ़ाई के बाद मैं शहर आ गई। यहां उच्च शिक्षा हासिल की और फिर नौकरी। बीस साल बाद मैं गाँव वापस आई। इसी दौर में हमारी ग्राम-पंचायत महिला के लिए आरक्षित कर दी गई। उस समय लोगों ने विचार किया कि ऐसी स्थिति में किसे सरपंच बनना/बनाना चाहिए? फिर गाँव के बुजुर्ग लोगों ने मिलकर फैसला किया कि आरती से बात की जाए। इस समय तक मैं बहरामपुर में रह रही थी और बैंक में इंवेस्टमेंट बैंकर के रुप से नौकरी कर रही थी। उन्होंने ही मुझसे कहा कि सरपंच के लिए चुनाव लड़िए। उस समय तो मुझे बहुत हंसी आई कि मैं क्या करूंगी सरपंच बनकर, लेकिन मैंने उन सभी से 10-12 दिन का समय मांगा सोचने के लिए। मैं गाँव गई फिर लोग मिले सब मुझसे बड़े थे। मैंने कहा ठीक है अगर आप ईमानदारी से मेरे साथ काम करेंगे तो मैं आपका साथ देने के लिए तैयार हूं। लोगों ने सहमति दी और मैंने नौकरी से इस्तीफ़ा दे दिया।

प्रश्न- इस सबके बाद क्या आप निर्विरोध चुनी गईं?

उत्तर- नहीं, लेकिन आसपास की करीब 47 पंचायत में मुझे सबसे ज्यादा वोट मिले।

ग्रामीणों के साथ आरती देवी।

प्रश्न- एक महिला के तौर पर आपको इस भागीदारी में कहीं ये एहसास हुआ कि आप एक महिला हैं इसलिए ये नहीं हो सकता?

उत्तर- जब मैं चुनाव लड़ रही थी तो कुछ महिलाएं मेरे साथ गाँव में घूमी लेकिन जब चुन ली गई और ग्राम-सभा की बारी आई तो एक भी महिला नहीं, मुझे बहुत आश्चर्य हुआ कि ये क्या है? फिर मैंने मजिस्ट्रेट को पत्र लिखा फिर धीरे-2 महिलाएं आने लगीं और फिर एक दिन ये संख्या बढ़ती हुई दो हज़ार पहुंच गई। ग्राम-सभा की बैठक में दो हज़ार महिलाएं। दरअसल, इस पीछे महिलाओं के बीच गरीबी-अशिक्षा प्रमुख कारण था। तो हमने निर्णय लिया कि 18 साल से ऊपर सभी महिलाओं को पढ़ाया जाए। मैंने महिलाओं को ग्राम-पंचायत के प्रति जो डर था, उसे निकालने के लिए उन्हें समझाया।

प्रश्न- आपका कार्यकाल (4-5 साल) लगभग पूरा होने को है। आप जब नौकरी छोड़कर आईं तो उस समय आपने जो कल्पना की थी, उन कल्पनाओं/सपनों को कितना हासिल कर पाई हैं अपने कार्यकाल में?

उत्तर- पहली बार में 750 महिलाओं को पढ़ना-लिखना सिखाया। फिर उन्हीं में से वार्ड सदस्यों का चुनाव किया। हमने नारा दिया-टीपा नूहें, दस्तख़त (अंगूठा नहीं, अब हस्ताक्षर करेंगे)। महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए एक स्वतंत्र महिला ग्राम-सभा बनाई। हमने अपनी पंचायत में एक लाख पचास हज़ार पेड़ लगाए जिसके लिए हमें प्रकृति-मित्र का पुरस्कार मिला।

प्रश्न- ओबामा से जब आपकी मुलाक़ात हुई तो उनका संदेश क्या था? आपकी क्या बातचीत हुई?

उत्तर- जी बराक ओबामा जी से हमारी मुलाक़ात हुई लेकिन कोई बातचीत नहीं हुई। हम व्हाइट हाउस गए। वहां चीजों को समझा लेकिन सीधे बात नहीं हुई।

प्रश्न- भ्रष्टाचार ने हमें लगभग हर तरफ से जकड़ रखा है। ऊपर से नीचे तक, ऐसे में आपको अपने काम का अप्रूवल लेने में कहां-२ समस्याएं आईं?

उत्तर- जी, अपनी ग्राम-पंचायत में मैंने पहला मामला पकड़ा पीडीएस (सार्वजनिक वितरण प्रणाली) में लोगों को तीन-चार महीने से राशन नहीं मिल रहा था। चूंकि मैं नई थी तो कुछ पता ही नहीं था फिर मेन्युअल (नियम पुस्तिका) पढ़ी तब समझ आया कि मैं क्या कर सकती हूं। शक्तियों का उपयोग किया तो पूरा का पूरा राशन मिल गया। एक साथ 4-5 महीनों का रुका हुआ राशन फिर पेंशन में गड़बड़ी, इंदिरा आवास योजना में बीच में बिचौलिए हैं। बिना उनके कुछ काम नहीं होता। एक कोशिश ये भी कि ये कि गाँव में जो भी काम आएं उनसे कौन-2 लाभार्थी हो, इसका निर्णय एक व्यक्ति नहीं बल्कि एक समिति करे।

प्रश्न- जिन लोगों ने आपको निर्वाचित किया/कराया क्या वे आपके काम से खुश हैं? उनकी आकांक्षाएं कितनी पूरी हुईं?

उत्तर- देखिए पूरे कार्यकाल के बाद सभी को खुश रखना किसी भी (जन-प्रतिनिधि) के लिए संभव नहीं होता। मान लीजिए अगर गाँव में कुल तीन काम होने हैं, मैंने दो करा दिए लेकिन तीसरा नहीं करा पाई तो लोग इसी तीसरे को लेकर आलोचना शुरु कर देंगे। सौ फीसदी को खुश करना संभव नहीं है।

प्रश्न- अब आगे दोबारा चुनाव लड़ेंगी सरपंच का?

उत्तर- नहीं, मैंने मना कर दिया है, अब नहीं। हालांकि हमारे यहां फिर से महिला सीट है लेकिन दूसरों को भी अवसर मिलने चाहिए। सबको आगे बढ़ना है।

प्रश्न- तो अब आगे का विचार क्या है।

उत्तर- अभी हमारे यहां जिला-परिषद के भी चुनाव चल रहे हैं। हालांकि कोई प्रक्रिया शुरु नहीं हुई है लेकिन साथ से लोग कह रहे हैं कि इस बार मैं जिला परिषद के लिए लड़ूं, ये सीट भी महिलाओं के लिए आरक्षित है।

प्रश्न- नवीन पटनायक से भी आपकी मुलाक़ात हुई है। क्या उन्होंने कभी आपसे पार्टी से जुड़ने के लिए कहा?

उत्तर-नहीं, उनसे सिर्फ काम के संबंध में बात हुई। राज्य-सरकार को मेरा पूरा सहयोग रहा। राज्य-सरकार ने भी मेरी बातें सुनी। मुझे कई बार ग्रास-रुट पर क्या हो रहा है, संबंधित विषयों पर प्रतिनिधित्व करने के लिए कहा गया।

प्रश्न- राजनीति में वे कौन सी चीजें हैं जिनसे आप नफ़रत करती हैं? दो-तीन चीजें, जो नहीं होनी चाहिए?

उत्तर- यहां जब मैं कुछ अलग, अच्छा करने की कोशिश करती हूं तो राजनीति में बैठे शक्तिशाली लोग कोशिश करते हैं कि कैसे भी इसे रोका जाए, डायरेक्ट-इनडायरेक्ट कोशिश रहती है। लेकिन जब आप अच्छा काम करते हैं तो ये सब चीजें पीछे छूट जाती हैं। इसमें मेरी मदद मीडिया ने भी खूब की है।

हजारों ग्रामीणों की जिंदगी बदलने में जुटी हैं आरती देवी।

प्रश्न- स्वच्छ भारत अभियान को आप कैसे देखती हैं?

उत्तर- मैंने अपने गाँव में लगभग तीन हज़ार शौचालय बनवाए हैं। इनमें 15 स्वतंत्र महिला शौचालय हैं, इसमें न सिर्फ शौचालय हैं बल्कि महिलाओं के लिए स्नानघर भी शामिल हैं।

साभार- चौपाल. भारत


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