काम पर वापस लौट रहे मनरेगा मजदूर

Update: 2017-02-06 10:52 GMT
मनरेगा योजना के तहत बजट बढ़ने से मजदूरों में जगी आस

सुधा पाल

लखनऊ। बीते साल मई से दिसम्बर तक आठ महीनों से जहां मनरेगा मजदूरों ने अपने हक की मजदूरी न मिलने पर काम छोड़ दिया था, वहीं पैसे मिलने के बाद मजदूरों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।

मनरेगा की उपायुक्त प्रतिभा ने बताया, “अब प्रदेश में लगातार मजदूर बढ़ रहे हैं। पिछले महीनों की तुलना में अब ज्यादा मजदूर इस योजना के तहत रोजगार हो चुके हैं।” मुख्य रूप से अशिक्षित और गरीब ग्रामीणों के लिए मनरेगा उनके रोजगार का एक बड़ा जरिया है, जिससे हर साल करोड़ों लोग अपना परिवार चलाते हैं। योजना में कुछ महीने पहले लोगों को रोजगार तो मिला, लेकिन उन्हें उनका मेहनताना नहीं दिया गया।

मनरेगा योजना में लगातार मजदूरों की संख्या बढ़ रही है। मजदूर आश्वस्त हैं कि उन्हें समय से धन मिलेगा। ऐसे में अब पहले से ज्यादा मजदूर आ रहे हैं। 
प्रतिभा सिंह, उपायुक्त (मनरेगा)।

पर्याप्त बजट न होने पर मजदूरों को किसी भी तरह का पैसा नहीं दिया गया, जिसकी वजह से उन्होंने काम छोड़ दिया था। नए बजट 2017-18 के अनुसार, मनरेगा योजना को पूरी तरह सफल बनाने और मजदूरों को उनका हक समय पर देना के लिए आवंटन की धनराशि लगभग 10 हजार करोड़ रुपए बढ़ा दी गई है। इस बार यह धनराशि बढ़ाकर 48,000 करोड़ रुपए कर दी गई है।

ग्रामीण बेरोजगार युवाओं को है उम्मीद

सलारगंज गाँव के बेरोजगार 25 वर्षीय युवा सोनू कहते हैं, “अगर गरीबों और किसानों के लिए बजट अच्छा रखा गया है तो उससे हो सकता है कि जो हमारे जैसे बेराजगार युवा इधर-उधर भटक रहे हैं, उन्हें भटकना न पड़े और रोजगार मिल जाए। बजट अच्छा है तो सरकार ने कुछ सोचकर ही ऐसा किया होगा।” इस तरह कई युवाओं का यह सोचना है। गांव के 27 वर्षीय युवा अनुप बताते हैं, “हमारे पास खेती भी कुछ खास नहीं है। परिवार में कई लोग हैं। ग्रेजुएट होकर लोग बैठे हैं, मगर काम नहीं मिल रहा है। अगर योजना के तहत यहीं काम सरकार दे दे तो बहुत अच्छा है।”

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