वीडियो : ये हैं गांव के होनहार बच्चे ... गरीबी से लड़कर भविष्य संवारने की तमन्ना

Update: 2017-07-02 18:12 GMT
ग्रामीण इलाकों में रहने वाले ज्यादातर बच्चे पढ़ाई के साथ करते हैं खेतों में काम।

बाराबंकी। पिपरमिन्ट की भट्टी संभालता 10 साल का नरेन्द्र ... खेत में मां का हाथ बटाती नन्हीं काजल... और रिश्का चलाता सोनू... अकसर गांव के इन बच्चों के लेकर हमारा नजरिया यही रहता है कि ये बेचारे कहां स्कूल जाते होगें, मगर बाराबंकी जिले के कस्बा कोठी गांव के आस-पास के इन बच्चों की तस्वीर कुछ और ही ब्यान करती है।

ये बच्चे घरवालों की मदद के लिए कुछ ना कुछ काम करते हैं, साथ ही साथ पढ़ने भी जाते हैं,

साइकिल ठेलिया पर सूखी लड़कियां लादकर घर की ओर जाते हुआ 11 साल का सोनू चौथी क्लास में पढ़ता है। ठेलिया खींचने के सवाल पर वो कहता है,“ये काम करने के लिए मेरे पापा ने कहा है, अगर मैं लकड़ियां घर नहीं ले जाऊंगा तो चूल्हा कैसे जलेगा।”

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खेतों में जानवरों के चराते रवि से जब गांव कनेक्शन की टीम ने पूछा की, स्कूल जाते हो ? तो जवाब सुनकर हम चौंक गये, रवि ने बढ़े स्टाइल से अपनी गांव वाली अंग्रेजी में कहा, “यस”। रवि छठी क्लास में है और गर्मियों की छुट्टियां चल रही हैं इसलिए जानवर चराने का काम उसके जिम्मे था।

रवि।

10 साल का नरेन्द्र भी चौथी कक्षा में है, वो पिपरमिन्ट की भट्टी में लकड़ियां झोक रहा है, पूछने पर बताया है,”ये हमारे घर का काम है तो मैं भी करता हूं।”

इसी तरह नन्हीं काजल अभी भले ही खेत में काम कर रही हो मगर वो भी स्कूल पढ़ने जाती है।

काजल

माना साक्षरता दर में यूपी बहुत पिछड़ा हुआ है, मगर खुशी की बात ये है कि पिछले 10 साल के अंतराल में 3.87 करोड़ लोग अधिक साक्षर हुए। तो साक्षरता दर भी 56.27 फीसदी से बढ़कर 69.72 फीसदी हो गई ।

गांव के इन होनहार बच्चों कीे मेहनत के पीछे छिपी है एक अनोखी खुशी, कि गरीब हैं तो कया हुआ, हम सब पढ़ेंगे, और अपना भविष्य खुद बनाएंगे।

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