समय पर सही जानकारी ही ब्लड कैंसर का उपचार

गाँव कनेक्शन के शो डॉक्टर से बात दीपांशु मिश्र के साथ में ब्लड कैंसर पर बात की डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के निदेशक और किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के पूर्व हेमेटोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ एके त्रिपाठी ने।

Update: 2019-06-28 11:29 GMT

लखनऊ। कैंसर जैसी बीमारी का नाम सुनते ही बस एक ही ख्याल आता है कि अब तो बस मौत आना निश्चित है लेकिन ऐसा नहीं है अगर इसका समय पर इलाज करवाया जाए तो इससे बचा भी जा सकता है।

गाँव कनेक्शन के शो डॉक्टर से बात दीपांशु मिश्र के साथ में ब्लड कैंसर पर बात की डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के निदेशक और किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के पूर्व हेमेटोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ एके त्रिपाठी ने।

डॉ. एके त्रिपाठी बताते हैं, "कैंसर के बारे में अगर सही जानकारी हो जाये तो ऐसा भी नहीं है इस बीमारी से बचना मुश्किल है। कैंसर एक बीमारी नहीं है। हर एक अंग का कैंसर एक अलग बीमारी होती है। सामान्य रूप से जानना चाहें तो कैंसर में शरीर के जो सेल्स होते हैं वो अपने आप से बढ़ने लगते हैं। किसी भी जीन में खराबी आ जाने से कैंसर हो जाता है। कैंसर के दो कुछ कारण हैं, जैसे रेडिएशन एक्सपोजर, केमिकल एक्सपोजर या कुछ जेनिटिक बीमारियों की वजह से हो सकते हैं।


ब्लड कैंसर क्या है

हमारे अन्दर तीन तरह की कोशिकाएं होती हैं रेड प्लेट सेल्स, व्हाईट प्लेट सेल्स और प्लेटलेट्स। मुख्यतः जो ब्लड कैंसर होता है वो व्हाईट प्लेट सेल्स में होता है। इसे समझने के लिए हम इसे दो भागों में बाँट सकते हैं एक एक्यूट होता है और दूसरा क्रोनिक। एक्यूट का मतलब होता है बहुत जल्दी हो और बहुत तेजी से बढ़े और इसका समय पर समुचित इलाज न मिले तो जान को खतरा हो जाता है। क्रोनिक का मतलब होता है यह धीरे-धीरे होता है और इसका इलाज भी संभव है। अब इसके कई नाम हैं अगर बदन में गिल्टियाँ आती हैं, लीवर बढ़ जाता है तो इसे लिम्फोमा कहते हैं और अगर यह ब्लड में ही फैलता है खून की कमीं हो जाती है, एनीमिया हो जाती है, इन्फेक्शन हो जाते है या प्लेटलेट्स कम होने से रक्तस्राव होता है इसे ल्यूकीमिया कहते हैं।

कैसे पहचाने इसके लक्षणों को

ब्लड कैंसर का कोई एक लक्षण नहीं होता है। ब्लड कैंसर में खून की कमीं होती है, एनीमिया होता है, लंबा बुखार होना, शरीर के अंगों से रक्तस्राव होना ये लक्षण हो सकते हैं। अगर हम कहें की खून की कमीं ही ब्लड कैंसर का प्रमुख लक्ष्ण है तो यह भी गलत है लेकिन जब कई चीजें एक साथ हो जैसा कि ऊपर बताया है तो ब्लड कैंसर हो सकता है।

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ब्लड कैंसर का इलाज भी संभव

ब्लड कैंसर की स्टेज और अन्य कैंसर की स्टेज में काफ़ी अंतर होता है। अगर ब्लड कैंसर है तो शरीर की हर कोशिका में ब्लड होता है इसमें स्टेज का ज्यादा लेना देना नहीं होता है। हमें यह पता करना होता है कि ब्लड कैंसर हुआ कैसे। मैं जो बता रहा हूँ इस पर सभी को ताजुब भी होगा कि अब ऐसी दवाई आ गयी हैं कि हम पहचान लेते हैं कि ब्लड कैंसर की शुरुआत किस कोशिका से हुई है तो दवाई के माध्यम से हम उस कोशिका को ही मार देते हैं और इसे कीमोथेरेपी नहीं कहते हैं। आने वाले समय में ऐसा भी होने वाला है कि सुगर और डायबिटीज की तरह कैसर की बीमारी से भी लोग लड़ सकेंगे। कैंसर जैसी बीमारी जिसे हो जाती है तो उससे कहा जा सकेगा कि लिव विद कैंसर।

कैंसर का किसी उम्र के साथ कोई लेना देना नहीं है जैसे एक्यूट ल्यूकीमिया है ये छोटे बच्चों में ज्यादा होती है। छोटे बच्चों में होता है और इसमें ठीक होना के 80-90 प्रतिशत चांस होते हैं। इसलिए मैं कह रहा हूँ कि ब्लड कैंसर से घबराने की आवश्यकता नहीं है बस समय पर इलाज करवाएं और पूरा इलाज करवाएं।

प्लेटलेट्स का या ज्यादा होना कैंसर की वजह?

ब्लड कैंसर में प्लेटलेट्स कम हो सकता है और हमें इसे चढ़ाने की भी आवश्यकता पड़ सकती है। अगर हम कैंसर को भूल जाते हैं तो किसी बुखार की वजह से या दवा की वजह से प्लेटलेट्स कम हो सकता है। अगर प्लेटलेट्स 20,000-30,000 से नीचे है तभी समस्या हो सकती है। प्लेटलेट्स काउंट अगर 30,000 से ऊपर है तो कोई समस्या नहीं है। एक चीज और है कि आज कल जो मशीनों से जो जांच हो रही हैं उसमें अगर ठीक तरह से कोई जांच न की गई हो मतलब कि अगर खून की जांच देर में की गई हो तो प्लेटलेट्स गुच्छा बना लेते हैं और वो मशीन में जा नहीं पाता है और इसी वजह से प्लेटलेट्स काउंट ज्यादा आ जाता है।  

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