लखनऊ। अगर आप गरीब परिवार से हैं तो दुआ करिए अप्रैल-मई तक परिवार का कोई भी सदस्य बीमार न पड़े। क्योंकि गरीब परिवारों के मुफ्त इलाज के लिए चलाई गई राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना प्रदेश में बीते पांच महीनों से बंद पड़ी है। इस कारण प्रदेश के सवा दो करोड़ से अधिक गरीबों का मुफ्त इलाज़ नहीं हो पा रहा है।
केंद्र सरकार ने गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों को स्वास्थ्य बीमा कवरेज देने करने के लिए एक अप्रैल 2008 को राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (आरबीएसवाई) शुरू की थी। योजना के तहत एक स्मार्टकार्ड जारी किया था, जिससे लाभार्थी तीस हजार रुपए तक का इलाज चिन्हित अस्पतालों में मुफ्त करा सकते थे। खाद्य एवं रसद विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में दो करोड़ से अधिक अंत्योदय और बीपीएल लाभार्थी हैं।
कन्नौज जिला मुख्यालय से 31 किमी दूर गाँव कलसान निवासी शानू जब इलाज के लिए जिला अस्पताल गई तो उसे वहां बताया गया कि योजना बंद कर दी गई है। शानू बताती हैं, ''मेरे बच्चे का पैर टूट गया था। जब मैं जीवन ज्योति अस्पताल गई तो वहां डॉक्टर ने बताया कि अब स्मार्टकार्ड द्वारा फ्री में इलाज़ होना बंद हो गया है, क्योंकि योजना बंद हो गई है।"
योजना के तहत असंगठित क्षेत्र के कामगार जो बीपीएल श्रेणी में आते हैं और उनके परिवार के पांच सदस्यों को लाभ मिलता था। प्रदेश में आईआईसीआई लुम्बार्ड समेत पांच बीमा कंपनियों को स्मार्टकार्ड जारी करने की जि़म्मेदारी दी गई थी। कंपनी असंगठित क्षेत्र के कामगारों और उनके परिवार के सदस्यों की योग्यता का सत्यापन करते थे और लाभार्थियों की पहचान कर स्मार्टकार्ड जारी करते थे।
आरएसबीवाई की रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में 53 लाख से अधिक परिवारों को योजना के तहत चिन्हित किया गया है। अब तक इनमें से 14 लाख से अधिक परिवारों को योजना के तहत शामिल हो गए हैं। जबकि देश में चार करोड़ से अधिक लोगों के पास स्मार्टकार्ड हैं।
आरबीएसवाई के मुख्य कार्यपालक अधिकारी आलोक मित्रा बताते हैं, "केंद्र सरकार सितंबर 2015 के बाद इस योजना में बदलाव चाहती थी। यदि एक परिवार में तीन बुजुर्ग हैं तो सबको तीस-तीस हजार रुपए की बीमा योजना का लाभ मिलना था। केंद्र सरकार सितंबर के बाद योजना में सुधार करने के लिए कह रही थी लेकिन इस वर्ष के लिए बजट नहीं जारी किया। योजना संभवत: अप्रैल-मई तक नए स्वरूप में क्रियान्वियत की जा सकती है।"
2008 में यूपीए कार्यकाल में शुरु की गई इस योजना के तहत 75 फीसदी खर्च केंद्र सरकार जबकि 25 फीसदी राज्य सरकार को वहन करना था। लेकिन एनडीए सरकार ने सत्ता में आने के बाद बदलाव किए थे। इसके तहत 60 फीसदी खर्च केंद्र जबकि 40 फीसदी खर्च राज्य सरकार को वहन करना था। बजट को लेकर केंद्र और राज्य सरकारों के बीच काफी तनातनी चली थी।
आरएसबीवाई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “सितंबर 2015 से योजना बंद पड़ी है। चूंकि प्रदेश सरकार समाजवादी स्वास्थ्य बीमा योजना संचालित करने जा रही है। इस वजह से भी केंद्र समर्थित योजना का काम ठप पड़ा है।”
योजना के तहत मिलने थे ये लाभ
लाभार्थियों की लिस्ट भोगौलिक क्षेत्र की आवश्यकता के अनुसार राज्य सरकारों ने ही तैयार की थी।
असंगठित क्षेत्र के कामगार और उनके परिवार के पांच परिवार को मिल रहा था लाभ।
प्रति परिवार प्रति वर्ष पारिवारिक फ्लोटर आधार पर कुल बीमा राशि 30000 रुपए थी।
सभी बीमारियों के लिए ये नकद रहित राशि दी जाती है।