किसान आत्महत्या: किसान नीति में बदलाव पर सरकार कर रही मंथन

Update: 2016-01-17 05:30 GMT
गाँव कनेक्शन

लखनऊ। केंद्र ने आज सुप्रीम कोर्ट को जवाब में दिए गए एक एफिडेविट में कहा है कि वो सात साल पुरानी 'राष्ट्रीय किसान नीति' (एनपीएफ) पर विचार करने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति गठित करेगा। यह फैसला किसानों की आत्महत्या के बढ़ते मामलों के कारण लिया गया है।

केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने कहा कि उन्होंने इस नई कमेटी की गठन की प्रक्रिया शुरू भी कर दी है। ''वर्तमान एनपीएफ-2007 को बने सात वर्ष बीत चुके हैं। देश के विभिन्न हिस्सों से किसानों की आत्महत्या की घटनाएं सामने आ रही हैं। इसलिए आवश्यकता है कि एक संयुक्त प्रयास के साथ-साथ वर्तमान नीति पर विचार किया जाए," मंत्रालय ने कोर्ट में दायर एफिडेविट में कहा।

केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अंडर सेक्रेटरी कमल अरोड़ा द्वारा कोर्ट में दायर किए गए एफिडेविट में यह भी कहा कि मंत्रालय की नीति को अमल में लाने के लिए बनाई गई आंतरिक कमेटी ने लगभग 200 बिन्दु तैयार किये हैं।

एफिडेविट में अपना पक्ष रखते हुए मंत्रालय ने यह भी कहा कि इस सरकार ने किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए; उत्पादन व उत्पादकता बढ़ाने के लिए, मुनाफा सुनिश्चित करने लायक न्यूनतम मूल्यों को घोषित करने के लिए और किसान के नुकसान को घटाने के लिए कई कदम उठाए हैं। यह भी कहा गया कि सरकार ने 'कृषि दर एवं मूल्य आयोग' के सुझावों को संज्ञान में लेते हुए कई फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्घि की है।

कोर्ट में यह एफिडेविट एक जनहित याचिका के जवाब में दायर किया है। याचिकाकर्ता ने सरकार से किसानों की आत्महत्याओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की थी। अक्टूबर 30 को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार पर नीति की समीक्षा को लेकर अपना पक्ष न स्पष्टï कर पाने के चलते 25,000 रुपए का दंड लगाया था।

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