कर्ज में डूबती किसानों की नैय्या

Update: 2015-12-12 05:30 GMT
गाँव कनेक्शन

हरियाणा को किसानों का प्रदेश कहा जाता है। यहां के ज्‍यादातर परिवारों का गुजर बसर खेती-बाड़ी से ही होता है। लेकिन, दिल्‍ली से महज 130 किलोमीटर की दूरी पर बसे हरियाणा के भिवानी जिले में 12 हजार 700 किसान सरकारी कर्ज के बोझ के तले दब गए हैं।

किसानों की नैइया कर्ज में डूबती नजर आ रही है। बैंक ने कर्ज वसूली के लिए किसानों को उनकी जमीन को नीलाम करने का नोटिस थमा दिया है। बैंक को किसानों से करीब दो सौ करोड़ रुपए की वसूली करनी है।

भिवानी जिला प्राथमिक सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक समिति के मुख्‍य कार्यकारी अधिकारी कौशल भारद्वाज के मुताबिक 12 हजार 700 कर्जदार किसानों में से अभी सिर्फ बाढ़डा हलके से 106 किसानों को डिफाल्‍टर घोषित किया गया है। जिनकी 56 एकड़ जमीन को नीलाम करने का नोटिस दिया गया है। कौशल भारद्वाज बताते हैं कि पूरे जिले के 14 हजार 700 किसानों पर 196 करोड़ रुपए का बकाया है। जिले सिर्फ दो हजार किसान ही समय पर अपनी किश्‍त चुका रहे हैं। इन किसानों से सिर्फ 26 करोड़ रुपए की नियमित रिकवरी हो रही है। 12 हजार 700 किसानों पर 170 करोड़ रुपए का बकाया है। जिन्‍हें या तो डिफाल्‍टर घोषित किया जा चुका है या फिर किया जा रहा है। डिफाल्‍टर किसानों से रिकवरी के लिए उनके घरों में भी नीलामी का नोटिस भेजा गया है। इसके साथ ही अखबारों में इश्तिहार और पोस्‍टरों के जरिए भी नीलामी की जानकारी दी गई है।

जहां एक ओर बैंक रिकवरी ना होने से परेशान है वहीं दूसरी ओर किसान भी जमीन नीलाम होने से डरे और सहमे हुए हैं। बाढ़हा हल्‍के के ही रहने वाले करीब साठ साल के रौशन लाल बताते हैं कि उनकी पूरी जिदंगी ही कर्ज चुकाने में बीत गई। कभी खेती-बाड़ी के लिए बैंक से कर्ज लिया तो कभी बिटिया की शादी के लिए साहूकार से 24 टके (फीसदी) की दर से कर्ज लिया। रौशन लाल कहते हैं कि बेटा हम किसानों की जिदंगी में भी चैन नहीं है। कभी सूखे से फसल बरबाद हो जाती है। तो कभी बारिश और ओले से। कभी नहर में पानी ना हो से सिंचाई नहीं हो पाती हो कभी सफेद मक्‍खी फसल बरबाद कर देते है। हम क्‍या करें?  इसी गांव के ही 65 साल के ही टेकराम का कहना है कि सरकार फसल बरबादी पर मुआवजा तो देती है। लेकिन, कई बार मुआवजा मिलने में भी बहुत वक्‍त लग जाता है। कई बार तो मुआवजा भी नहीं मिलता। टेकराम सवाल करते हैं कि तुमही भी बताओ भईया कि अगर हमार जमीन भी नीलाम हो गई तो गुजर-बसर कैसे होई?

भिवानी जिला प्राथमिक सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक समिति के मुख्य कार्यकारी अधिकारी कौशल भारद्वाज का कहना है कि कई बार सरकार की ओर से कर्ज माफी की योजनाएं आ जाती है, अगर इस तरह की योजना आती है तभी किसानों को फायदा मिल सकता है। नहीं तो सरकारी पैसे की रिकवरी तो करनी ही पड़ेगी। हालांकि कौशल भारद्वाज का ये भी कहना है बैंक बकाया रकम की रिकवरी के लिए समय-समय पर विशेष कैंप भी लगाती है और ब्‍याज में पचास फीसदी तक की छूट भी दी जाती है। लेकिन, पैसा तो उसमें भी जमा ही करना पड़ेगा। कौशल भारद्वाज का आरोप है कि कुछ किसान नेता जान बूझकर बैंक का पैसा नहीं लौटाते हैं और दूसरे किसानों को भी इस बात के लिए उकसाते हैं कि वो बैंक का कर्ज वापस ना करें। वो सरकार से कर्ज माफ करा देंगे।

हालांकि बाढ़डा गांव के कर्जदार किसानों का कहना है कुछ लोग ऐसा कर सकते हैं। लेकिन, ज्‍यादातर किसानों के पास वाकई कर्ज लौटाने की हैसियत नहीं है। क्‍योंकि पिछले करीब दो साल से लगातार मौसम की मार से बड़े पैमाने पर इस जिले में फसल बरबाद हुई है। लेकिन, बैंक के सामने मसला 170 करोड़ रुपए के कर्ज का है और किसानों के सामने घर के गुजर-बसर का।

रिपोर्टर- अमित शुक्ला

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