परम्परागत समाधानों से कम हो सकता जलवायु परिवर्तन

Update: 2015-12-31 05:30 GMT
गाँव कनेक्शन

लखनऊ। ''जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से निपटने में महिला किसानों की स्थिति सुधार हेतु कुछ सम्भावित प्रयास की जरूरत है। ग्रामीण महिलाओं को जलवायु परिवर्तन पर अपने अनुभवों व परम्परागत समाधानों को बताने का अवसर दिया जाए, जिससे पर्यावरणीय समस्याओं से निपटा जा सकता है।" राज्य परियोजना अधिकारी उत्तर प्रदेश राज्य आपदा प्रबन्ध प्राधिकरण अदिती उमराव ने ये बात कही।

अदिती उमराव ने बुधवार को इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठान, लखनऊ में गोरखपुर एनवायरन्मेन्टल एक्शन ग्रुप ने दो दिवसीय राज्य स्तरीय ''महिला किसान संवाद" के अवसर पर कहा, ''जानकार व सशक्त ग्रामीण अग्रणी महिलाओं का एक समूह तैयार कर उनके द्वारा अपनी जानकारी से अन्य महिलाओं के जीवनयापन व पर्यावरण में बदलाव के प्रयास किये जायें।"

जीईएजी के समन्वयक केके सिंह ने कहा, ''ग्रामीण महिलाओं की खाद्य व आर्थिक सुरक्षा में विविधता लाना व उसे मजबूत किया जाए। महिलाओं को जलवायु परिवर्तन व उससे जीवनयापन और स्वास्थ्य पर पडऩे वाले प्रभावों के विषय में जानकारी देने के साथ ही जलवायु परिवर्तन से निपटने व अनुकूलन स्थापित करने के तरीकों के विषय में जानकारी दी जाये।" उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने तथा अनुकूलन करने की विधियों का प्रयोग नीतिगत अभियान और इसी प्रकार की अन्य गतिविधियों हेतु रणनीति आधारित एक मजबूत संगठन का निर्माण कर एवं महिलाओं के परम्परागत ज्ञान, बीज बचत, परिस्थितिक खेती और प्राकृतिक संसाधन प्रबन्धन आदि को बढ़ावा दिया जाये।

गोरखपुर की महिला किसान शोभा देवी ने जलवायु परिर्वतन अनुकूलित कृषि पर बोलते हुए कहा, ''मैंने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये विविधिकृत कृषिगत गतिविधियां अपनायी हैैं। ऊंची भूमि में समय एवं स्थान प्रबन्धन को अपनाते हुए अगैती सब्जी उत्पादन बढ़ाया है।" उन्होंने कहा कि खेती की स्थायित्व हेतु कम लागत खेती तकनीकी में केचुएं की खाद, मटका खाद, मटका कीटनाशक, एवं सीपीपी का प्रयोग कर रही हूं। सन्तकबीर नगर की महिला किसान रामरती देवी ने बताया कि मैंने विविधतापूर्ण खेती को अपनाकर जोखिम को कम किया है। मचान पर लतादार सब्जियों की खेती, खेत के किनारे-किनारे ढैंचा की खेती, अब खेत में गोबर की खाद, वर्मी कम्पोस्ट व सीपीपी की खाद का प्रयोग करते हैं। इस कार्यशाला में प्रदेश के विभिन्न जिलों से लगभग 300 महिला किसान आईं हुईं थीं।

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