यूपी में एमएलसी इस्तीफों का सिलसिला जारी : अंबिका चौधरी ने छोड़ा एमएलसी पद

Update: 2017-08-09 21:37 GMT
अंबिका चाैधरी ने एमएलसी पद से दिया इस्तीफा।

लखनऊ (भाषा)। उत्तर प्रदेश में विपक्षी दलों से एमएलसी के इस्तीफों का सिलसिला जारी है। सपा छोड़कर बसपा में शामिल हुए अंबिका चौधरी ने आज विधान परिषद की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया तो वहीं सपा के अशोक बाजपेयी ने भी एमएलसी पद छोड़ दिया।

अंबिका चौधरी ने सपा से इस्तीफा देकर बसपा का हाथ पकड़ा लेकिन उन्होंने अब तक विधान परिषद की सदस्यता से इस्तीफा नहीं दिया था। आज उन्होंने भी अपना इस्तीफा परिषद के सभापति को सौंप दिया।

‘ ‘मैं सपा के कोटे से परिषद का सदस्य था। मैं पहले ही परिषद से इस्तीफा देना चाहता था लेकिन कुछ कारणों से न दे सका। बहन जी (बसपा सुप्रीमो मायावती) ने मुझे बाद में इस्तीफा देने को कहा था। मैं बसपा में हूं और वहीं रहूंगा। ”  
अंबिका चौधरी, बसपा नेता

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  इससे पहले 29 जुलाई को सपा के बुक्कल नवाब तथा यशवंत सिंह के अलावा बसपा के ठाकुर जयवीर सिंह ने विधान परिषद की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। चार अगस्त को सपा एमएलसी सरोजिनी अग्रवाल ने इस्तीफा दिया।  भाजपा में शामिल होने की सम्भावना के बारे में सवाल किये जाने पर बाजपेयी ने कहा कि वह अपने साथी नेताओं और कार्यकर्ताओं से विचार-विमर्श करने के बाद अगला कदम उठाएंगे।

प्रमुख सचिव (विधान परिषद) मोहन यादव ने एक बयान में यहां बताया कि सपा के अशोक बाजपेयी ने विधान परिषद के सभापति रमेश यादव को त्यागपत्र सौंप दिया है।

सपा के संस्थापक सदस्यों में से एक रहे बाजपेयी पार्टी 'संरक्षक ' मुलायम सिंह यादव के नजदीकी माने जाते हैं। बाजपेयी से पहले बुक्कल नवाब, यशवंत सिंह और सरोजिनी अग्रवाल भी परिषद की सदस्यता से इस्तीफा दे चुके हैं। पूर्ववर्ती सपा सरकार में मंत्री रहे और विधानसभा चुनाव से पहले सपा छोड़कर बसपा में शामिल हुए अंबिका चौधरी भी इस्तीफा देने वालों की फेहरिस्त में शामिल हो गये हैं।

बाजपेयी ने इस्तीफे की वजह पूछे जाने पर कहा, ' 'मैंने जिस नेतृत्व (मुलायम) के साथ काम किया, वह आज उपेक्षित है। इससे मैं बहुत आहत महसूस कर रहा था इसीलिए विधान परिषद की सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया। ' '

यह पूछे जाने पर कि क्या सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पार्टी सम्भाल नहीं पा रहे हैं, बाजपेयी ने कहा, ' 'जाहिर है कि हम लोगों ने इस दिन के लिये पार्टी नहीं खड़ी की थी। आज पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की उपेक्षा की जा रही है।' '

  उल्लेखनीय है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा तथा योगी कैबिनेट के मंत्री स्वतंत्र देव सिंह और मोहसिन रजा विधानसभा या विधान परिषद में से किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं। पांचों के लिए दोनों में से किसी एक सदन से निर्वाचित होना आवश्यक है।

अखिलेश ने गत सात अगस्त को एक कार्यक्रम में पार्टी विधान परिषद सदस्यों के इस्तीफे के बारे में कहा था कि जिन्हें जाना है, वे कोई अनर्गल बहाना बनायें बगैर चले जाएं ताकि उन्हें (अखिलेश) भी पता लग सके कि बुरे दिनों में कौन उनके साथ है।

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