यूपी : MLC के पद छोड़ने का सिलसिला जारी, अशोक बाजपेई ने सपा भी छोड़ी

Update: 2017-08-09 20:48 GMT
अशोक बाजपेई, पूर्व सपा नेता। फोटो- विनय गुप्ता

लखनऊ। समाजवादी पार्टी में नेताओं का पार्टी छोड़ने का सिलसिला थम नहीं रहा है। यशवंत सिंह, बुक्कल नवाब, सरोजनी अग्रवाल के बाद पार्टी के महासचिव डॉ अशोक बाजपेई ने विधान परिषद की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। डॉ बाजपेई ने अपना इस्तीफा विधान परिषद के सभापति रमेश यादव को सौंपा। उन्होंने सपा से भी इस्तीफा दे दिया है।

डॉ बाजपेई हरदोई के निवासी हैं। उन्हें सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव का करीबी माना जाता है। उनका कार्यकाल 30 जनवरी 2021 तक का था। इसके पहले 29 जुलाई को सपा से विधान परिषद के सदस्य और मुलायम सिंह यादव के करीबी यशवंत सिंह और बुक्कल नवाब सपा से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गये थे वहीं सरोजनी अग्रवाल ने चार अगस्त को इस्तीफा देने के बाद भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी।

जिस समाजवादी पार्टी को तिनका तिनका जोड़कर मुलायम सिंह ने बनाया था, आज उन्हीं मुलायम सिंह को इस पार्टी ने बेगाना कर दिया है, पार्टी में रह-रह कर रोज रोज अपमान का घूंट पीना मुश्किल हो रहा है, इसलिए अब इस पार्टी में कोई उपयोगिता नहीं।
अशोक बाजपेई, सपा और एमएलसी पद छोड़े जाने के सवाल पर गांव कनेक्शन से 

वहीं दूसरी ओर अंबिका चौधरी ने भी विधान परिषद सदस्य ने इस्तीफा दे दिया है। अंबिका चौधरी न्यायिक सेवा की नौकरी छोड़कर राजनीति में आए थे। वो 1993 से लेकर 2007 तक लगातार चार बार एसपी प्रत्याशी के रूप में बलिया के कोपाचीट विधानसभा क्षेत्र से जीत दर्ज कर विधानसभा पहुंचते रहे हैं। लेकिन 2012 में उन्हें बीजेपी उम्मीदवार उपेंद्र तिवारी से मात खानी पड़ी, जिसके बाद अखिलेश यादव ने उन्हे विधान परिषद सदस्य बनाकर अपनी कैबिनेट में जगह दी थी। विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने सपा की साइकिल से उतरकर बीएसपी के हाथी पर सवार हो गए थे।

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अंबिका चौधरी ने एमएलसी पद से इस्तीफा दे दिया है।

दो दशक तक मुलायम सिंह यादव और शिवपाल यादव के वो करीबी रहे हैं। इतना ही नहीं शिवपाल के राजनीतिक सलाहकार भी माने जाते रहे हैं।

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