सभी जिलों में लागू हो जेएसके परियोजना

Update: 2015-12-04 05:30 GMT
गाँव कनेक्शन

लखनऊ। घर के बाहर लगे सरकारी इंडिया मार्का नल के खराब पड़े होने की शिकायत प्रधान और तहसील दिवस में करते-करते जब सौरभ आजिज आ गए तो, उसने सीधे लखनऊ का एक नंबर घुमाया और उसका काम हो गया। बख़्शी का तालाब तहसील के भटेसुवा गाँव के निवासी सौरभ दीक्षित (27 वर्ष) ने दरअसल अपने गाँव से लगभग 30 किमी दूर दक्षिण दिशा में स्थित लखनऊ के जि़ला मुख्यालय के 'जन सुविधा केंद्र' (जेएसके) में फोन लगाकर शिकायत की थी।

''मेरे एक दोस्त ने मुझे बताया था कि जन सुविधा केंद्र में शिकायत करो, तो मैने नल की शिकायत वहां की थी। लगभग दो-ढाई महीने में नल सही हो गया। हमारे पास शिकायत दर्ज होने का संदेश भी आया था", सौरभ बताते हैं। जेएसके परियोजना में कोई भी इंसान जि़ले की किसी भी प्रशासनिक समस्या की शिकायत कर सकता है, जिसका निर्धारित समय में निराकरण किया जाता है। जेएसके परियोजना, शिकायतों के निस्तारण के मुद्दे पर प्रशासनिक प्रणाली में व्याप्त लाल-फीताशाही खत्म करने, और त्वरित समाधान के लिए सफल उपाय बन कर उभरी है। 

लखनऊ के जि़लाधिकारी राजशेखर के दिमाग की उपज जेएसके की सफलता इन तथ्यों से स्पष्ट है कि जुलाई 2014 से संचालित होने के बाद से अब तक विभिन्न वर्गों से, विभिन्न विभागों के तहत 10,000 से ज्यादा शिकायतें दर्ज की गई हैं। 

इनमें से 90 प्रतिशत शिकायतों का सामाधान कर दिया गया है। ''झांसी में डीएम रहते हुए साल 2009 में हमने शिकायत लेकर आए 410 लोगों का सर्वे किया, पता चला कि एक व्यक्ति केवल डीएम से एक बार मिलने के लिए 480 रुपए खर्च करता है। लेकिन इतना खर्च करने के बाद भी शिकायत पर कोई कार्रवाई हुई, नहीं हुई, कुछ पता नहीं चलता।" राजशेखर आगे बताते हैं, ''जि़ला प्रशासन के पास विभाग हैं, तालमेल है, संसाधन हैं और ताकत है कि वो समस्याओं का निराकरण कर सके। लेकिन शिकायतों के लिए 'सिंगल विंडो प्रणाली' का आभाव है। इसीलिए हमने इस 'जन सुविधा केंद्र' की शुरुआत की।"

चौबीस घंटे शिकायत दर्ज कराने की सुविधा मिलेगी

लखनऊ को मिलाकर उत्तर प्रदेश के लगभग 10 जि़लों में संचालित जेएसके में चौबीसों घण्टे कभी भी अपनी शिकायत को अपनी भाषा में मोबाइल के ज़रिए दर्ज कराया जा सकता है। इसके लिए न किसी लिखित आवेदन की आवश्यक्ता है न ही कोई दस्तावेज जमा करने की ज़रूरत है।

विभाग की कोताही पर मांगा जाता है जवाब

इस व्यवस्था में रोज़ाना हर विभाग के प्रमुख अधिकारी के पास एक मैसेज जाता है कि कुल कितनी शिकायतें आ गई हैं, कितनी निस्तारित हो गईं, कितनी बची हुुई हैं। साथ ही जिलाधिकारी सप्ताह में एक बार सभी शिकायतों और उनके निस्तारण का जायज़ा करते हैं। यदि कोई विभाग कोताही बरतता है तो उससे जवाब मांगा जाता है। ''इस व्यवस्था के ज़रिए अधिकारियों के काम करने का तरीका भी बदलने में मदद मिली। उन्हें पता है कि ये सब शिकायतों को निस्तारण हुआ या नहीं डीएम खुद देखेंगे तो वो कोताही नहीं बरतते" राजशेखर ने कहा।

सभी जिलों में भी चले जेएसके अभियान

भारत सरकार न्याय विभाग के मुताबिक भारत में लगभग 3000 अधीनस्थ न्यायालयों की कमी है। इसके अलावा 31 मार्च 2014 तक अधीनस्थ न्यायालयों में  2,68,51,766 मामलों की सुनवाई बाकी है। लखनऊ में प्रयोग किए जा रहे जेएसके अभियान की तरह ही सभी जिलों में ऐसी पहल करनी चाहिए ताकि ग्रामीण स्तर पर रुके इन मुद्दों की सुनवाई में देर न हो सके।

गाँव कनेक्शन नेटवर्क 

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