मछली खाने के हैं शौकीन, तो खाने से पहले करें टेस्ट

Update: 2018-03-13 19:04 GMT
टेस्ट करने के बाद ही खाएं मछली। 

औरैया। यदि अगर आप मछली खाने के शौकीन हैं तो सावधान हो जाइए, क्योंकि हो सकता है आप केमिकल युक्त मछली नहीं खा रहे हों। जो आपकी सेहत पर भारी असर डाल सकते हैं। स्वास्थ्य और सेहत के प्रति सजग रहते हुए सरकार ने दो टेस्ट किट लांच की है जिससे टेस्ट करने के बाद ही मछली खाएं।

कोच्चि के सेंट्रल इंस्टीटयूट आफ फिशरीज टेक्नालाजी ने टेस्ट किट का विकास किया है। मत्स्य अधिकारी आरडी प्रजापित बताते हैं, ”मछली को तालाब, नदी, पोखर से पकड़ने के बाद बर्फ में तो रखा जाता है लेकिन चार से पांच दिनों तक सुरक्षित रखने के लिए व्यापारी फार्मेल्डिहाइड केमिकल का लेप लगा देते हैं। बर्फ अधिक न डालनी पडे़ इसलिए अमोनिया डाल दिया जाता है। इससे बर्फ पिघलने से बची रहेगी। दोनों रसायन मानव जीवन के लिए बहुत ही खतरनाक हैं।” वह आगे बताते हैं, “जहां मछली का स्टाक रखा जाता है वहीं इन केमिलकों का प्रयोग किया जाता है। इससे बचने के लिए केंद्रीय कृषि मंत्री टेस्ट किट लांच की है जो बहुत ही जल्द बाजार में होगी। किट की कीमत अभी तय नहीं हो सकी है लेकिन इतना जरूर है कि एक टेस्ट पर मात्र दो रूपये का खर्च आयेगा।”

इस तरह रखते हैं मछली को सुरक्षित

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मछली को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए इस पर आमतौर पर फार्मेल्डिहाइड का लेप लगाया जाता है और बर्फ को पिघलने से रोकने के लिए अमोनिया का प्रयोग किया जाता है। इन दोनों रसायन घातक होते है जो कि मानव के अंदर पहुंच कर गंभीर बीमारियों को जन्म देते है।

ये होती हैं बीमारियां

केमिकल फार्मेल्डिहाइड और अमोनिया मछली के द्वारा पेट के अंदर जाते हैं, जिससे सिर दर्द, उल्टी, पेट दर्द, बेहोशी और कैंसर जैसी घातक बीमारियां पनपती है। जिसकी वजह से मछली खाने के शौकीन लोग असमय काल के गाल में समा जाते हैं।

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मानक के मुताबिक बर्फ का प्रयोग

केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने अभी हाल में मछली पर लगे केमिकल की जांच करने वाली किट लांच की है मंत्री ने कहा ”मानक के मुताबिक मछली को बचाने के लिए सिर्फ बर्फ का ही प्रयोग किया जाये। इसके अलावा कोई किसी भी केमिकलक का प्रयोग न करें।”

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केमिकल प्रयोग नहीं कर सकेंगे व्यापारी

मत्स्य अधिकारी आरडी प्रजापित ने बताया, ”अभी किट सभी प्रदेशों में उपलब्ध नहीं है लेकिन साल 2018 के अंत तक सभी प्रदेशों में पहुंच जाएगी। किट से परीक्षण करने के बाद ही खाने वाले लोग खरीदेंगे। इससे केमिकल का प्रयोग मछली व्यापारी नहीं कर सकेंगे।”

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