एक हज़ार चिकित्सकों ने प्रधानमंत्री से की ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगाने की अपील, जानिए क्यों?

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लयूएचओ) ई-सिगरेट पर सख्त पाबंदी की मांग भी कर चुका है। ताजा शोध में यह बात सामने आई है कि ई-सिगरेट की लत के शिकार लोग आम सिगरेट पीने वालों से ज्यादा सिगरेट पीते हैं

Update: 2019-04-03 06:49 GMT

नई दिल्ली। तीन केंद्रित शासित प्रदेशों एवं 24 राज्यों से करीब 1,000 चिकित्सकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ई-सिगरेट (E cigarette) और विभिन्न स्वादों में उपलब्ध हुक्के समेत इलेक्ट्रॉनिक निकोटिन डिलिवरी सिस्टम्स (ईएनडीस) पर प्रतिबंध लगाने की अपील की है।

उन्होंने कहा है कि भारत में इसके महामारी बनने खासकर युवाओं के इसकी चपेट में आने से पहले इस पर रोक लगनी चाहिए। मीडिया में आई खबरों पर चिंता जाहिर करते हुए 1,061 चिकित्सकों ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा कि यह जनस्वास्थ्य का मुद्दा है और व्यावसायिक हितों पर विचार नहीं किया जाना चाहिए। इन खबरों में बताया गया था कि 30 संस्थानों ने ईएनडीएस को बढ़ावा देने पर रोक लगाने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को पत्र लिखा है।

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प्रतीकात्मक तस्वीर   साभार: इंटरनेट 

पटेल चेस्ट इंस्टिट्यूट, नई दिल्ली के पूर्व निदेशक प्रो. राजेंद्र प्रसाद का कहना है, " सिगरेट कोई भी हो वह नुकसानदायक होती है। यह बात अलग है कि ई-सिगरेट आम सिगरेट से कम नुकसान करती है, लेकिन उसमें भी निकोटीन होती है जो सेहत के लिए खतरनाक है। युवाओं में इसका चलन काफी तेजी से बढ़ रहा है।"

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पिछले साल अगस्त में स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को ईएनडीएस के निर्माण, बिक्री एवं आयात को रोकने के लिए परामर्श जारी किया था। इससे पहले दिल्ली उच्च न्यायालय ने देश में ई-सिगरेट के नये उभरते खतरे से निपटने के लिए उचित उपायों के साथ सामने आने में देरी करने के लिए केंद्र से कड़ी नाराजगी जाहिर की थी।

प्रतीकात्मक तस्वीर  साभार: इंटरनेट

मार्च में भी केंद्रीय मादक पदार्थ नियामक ने राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेशों के सभी मादक पदार्थ नियंत्रकों को ई-सिगरेट एवं विभिन्न स्वादों में उपलब्ध हुक्का समेत ईएनडीएस बनाने, बिक्री, आयात एवं विज्ञापन की अनुमति नहीं देने का निर्देश दिया था। ईएनडीएस ऐसे उपकरणों को कहा जाता है जिनका प्रयोग किसी घोल को गर्म कर एरोसोल बनाने के लिए किया जाता है जिसमें विभिन्न स्वाद भी होते हैं।

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टाटा मेमोरियल अस्पताल में सिर एवं गर्दन की सर्जिकल ऑन्कोलॉजी के उपनिदेशक डॉ. पंकज चतुर्वेदी ने कहा, " यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि निकोटिन को जहर माना जाए। यह दुखद है कि ईएनडीएस लॉबी ने ऐसे फिजिशियनों का समूह इकठ्ठा कर लिया है जो ईएनडीएस उद्योग के अनुकूल लगने वाली गलत एवं भ्रामक सूचनाएं साझा कर रहे हैं।"

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लयूएचओ) ई-सिगरेट पर सख्त पाबंदी की मांग भी कर चुका है। ताजा शोध में यह बात सामने आई है कि ई-सिगरेट की लत के शिकार लोग आम सिगरेट पीने वालों से ज्यादा सिगरेट पीते हैं, जिससे कार्डियक सिम्पथैटिक एक्टिविटी एंडरलीन का स्तर और ऑक्सीडेंटिव तनाव बढ़ जाता है, जिसके बारे में माना जाता है कि यह दिल की समस्याओं के खतरे बढ़ा देता है।

इनपुट भाषा


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