अब डायरिया से नहीं होंगी बच्चों की मौत

Update: 2018-09-13 06:43 GMT

लखनऊ। हर साल हजारों बच्चों की मौत डायरिया जैसी बीमारी से हो जाती है, लेकिन अब डायरिया से डरने की जरूरत नहीं है। प्रदेश में रोटा वायरस वैक्सीन की शुरूआत की गई है, जिससे डायरिया होने वाली मौत पर लगाम लगेगी।

उत्तर प्रदेश के स्टेट एंड इम्यूनाइजेशन ऑफिसर डॉ. एपी चतुर्वेदी ने बताया, "गाँव अथवा शहरों में अक्सर पांच साल से कम उम्र के बच्चों में डायरिया के केस देखे जाते हैं, इसके दौरान बच्चों में दस्त की शिकायत होती है। हमारे देश में हर साल पांच साल से नीचे के बच्चों में लगभग 10 प्रतिशत लगभग एक लाख बीस हजार मौतें डायरिया की वजह से होती हैं। ग्रामीण से लेकर शहरी स्तर पर अस्पतालों में 40 प्रतिशत केवल डायरिया के ही मरीज मिलते है।

डायरिया फैलने के कारणों के बारे में डॉ. चतुर्वेदी ने बताया, "अक्सर गाँव में बच्चे खेलते रहते हैं और बिना हाथ धुले खाना खा लेते हैं, जिसके कारण बच्चों में दस्त होने के कारण बढ़ जाते हैं। इसमें भी वायरल डायरिया काफी सामान्य होता है जो रोटा वायरस के कारण होता है] जिसकी वजह से भारत में पांच साल से कम उम्र में मरने वालो बच्चों की संख्या भी काफी ज्यादा है।"

ये भी पढ़ें- बरेली: मलेरिया, टायफाइड ने इतना जानलेवा रूप कैसे ले लिया ?


रोटा वायरस के बारे में डॉ. एपी चतुर्वेदी ने आगे बताया, "भारत सरकार की तरफ से रोटा वायरस वैक्सीन की शुरुआत की गयी है। चार तारीख को परिवार एवं स्वास्थ कल्याण मंत्री रीता बहुगुणा के द्वारा इसे शुरू किया और पांच तारीख को प्रदेश के 75 जिलो में इसकी शुरुआत की गयी है। जानलेवा बिमारियों के वैक्सीन में यह 10वीं वैक्सीन शामिल की गयी है। इससे पहले 10 प्रदेश में पहले से ही रोटा वायरस के वैक्सीन लागू हो चुके है। हमारा प्रदेश इसे लागू कर के 11वें नंबर का राज्य बन गया है। दुनिया के 96 देशों में इस वैक्सीन को शामिल किया जा चुका है।

इस वैक्सीन को नियमित टीकाकरण के दौरान डेढ़ महीने, ढाई महीने, या साढ़े तीन महीने के अंतराल पर पेंटा वालेंट फर्स्ट वैक्सीन के साथ दिया जाएगा। किसी भी बच्चे को पहले टीकाकरण (जो कि छह हफ्ते या डेढ़ महीने पर होता है) के दौरान पेंटा वालेंट फर्स्ट दी जाती है। इसके साथ 12 जिलो में पीसीवी दी जाती है साथ में इंजेक्टेबल पोलियो वैक्सीन दी जाती है और पोलियो की खुराक भी दी जाती है, जो की दो बूंद ही जाती है, लेकिन रोटा वायरस के वैक्सिनेशन में पांच बूंदे दी जाती है। इस तरह से पूरे प्रदेश में इसे सम्मिलित किया गया है और जब भी सत्र लगता है तब रोटा वायरस के वैक्सीन को बच्चों को दिया जाएगा। इससे पांच साल से नीचे के बच्चों की मृत्यु दर में कमी आएगी।

ये भी पढ़ें- ग्राउंड रिपोर्ट: सीतापुर में रहस्यमयी बुखार से हुई मौतों का सच क्या है ?

वैक्सीन के बाद बच्चों में होने वाले शारीरिक बदलाव के बारे में डॉ. चतुर्वेदी ने कहा, "इस वैक्सीन से किसी भी तरह से डरने की आवश्यकता नहीं है। यह एक ओरल वैक्सीन है जो मुंह में पिलायी जाती है। यह पूरी तरह से सुरक्षित है और इसका कोई भी दुस्प्रभाव नहीं है।"

मॉनिटरिंग के बारे में डॉ. एपी चतुर्वेदी ने कहा, "इसकी तैयारी तीन महीने पहले से चलायी गयी थी। राज्य स्तर पर वर्कशॉप कराए गए थे, और साथ ही ब्लॉक स्तर पर ट्रेंनिंग भी करायी गयी थी। साथ ही आशा बहनों को भी इसके तहत प्रशिक्षित किया गया था। इसके साथ ही जब यह कार्यक्रम शुरू हो गया है तो इसकी मॉनिटरिंग रोजमर्रा (रेगुलर बेसिस) के तहत होगी। इसे अब नियमित रूप से चलने वाले टीकाकरण कार्यक्रम में इसे शामिल किया जाएगा।"

Similar News