पेट संबंधित कई बीमारियों से आराम दिलाएगा ये योगासन

नियमित दिनचर्या और शारीरिक श्रम न करने वालों अक्सर पेट सम्बन्धी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, ऐसे में ये आसन सरल और उपयोगी हैं

Update: 2020-04-18 06:45 GMT

लखनऊ। योग विज्ञान में यम, नियम के बाद तीसरे पायदान पर आसनों के बारे में बताया गया है। योगासनों के अभ्यास से शरीर व् मन में स्थिरता आने के साथ ही मानव शरीर स्वस्थ बना रहता है।

आज हम आपको वज्रासन के बारे में बताने जा रहे हैं जो भोजन करने के बाद भी किया जाता है। इस आसन से पाचन क्रिया तीव्र होती है। इस आसन का सबसे ज्यादा प्रभाव मूलाधार चक्र की नाड़ियों पर पड़ने के कारण नाभिचक्र (मणिपूरक चक्र) उत्तेजित होता है। अग्निमाद्य,(DYSPEPSIA) बदहजमी, पीलिया (पांडूरोग) आदि नाभि तंत्र से जुड़े रोगों में ये आसन फायदेमंद होता है।

पैर के पंजे, पैरों व जंघाओं की मांसपेशियों में खिचाव आने से उनमें शक्ति बढ़ती है, वस्ति प्रदेश व मूत्राशय पर दबाव पड़ने के कारण मूत्ररोगों और वीर्यदोषों यह आसन बहुत लाभकारी होता है। इस आसन के अभ्यास से क्रोध, चिंता, सिरदर्द व् मानसिक तनाव में कमी आती है।

कैसे करें वज्रासन में प्रवेश...

वज्रासन करने के लिए चटाई या दरी को जमीन पर बिछाए और दण्डासन में बैठें, दण्डासन में बैठने के लिए सीधा तन कर बैठे और दोनों पैरों को चेहरे के समानांतर एक दूसरें से मिलाकर रखें और रीड की हड्डी को बिल्कुल सीधा रखे। अपने पैरों की उँगलियों को अंदर की तरफ मोड़ें और तलवे को बाहर की तरफ धकेले। इस समय शरीर की स्थिति 90 डिग्री के कोण की तरह होती है।


इसके बाद पहले बाए पैर के घुटने को से मोड़कर पीछे ले जाए फिर दाहिने पैर को मोड़कर पीछे की तरफ ले जाकर पंजे और एड़ियों को खोलकर आसानी से बैठें। इस दौरान दोनों घुटने आपस में मिले रहे और दोनों हाथों को घुटने पर रखे। इस आसन में बैठने के बाद मन को यथासंभव शांत रखे और कुछ देर के लिए स्वयं को विचार मुक्त रखें। श्वास क्रम सामान्य रखें। और अपना ध्यान श्वास पर केन्द्रित करें और आँखे बंद कर लें।


कैसे वज्रासन से बाहर आएं

आमतौर पर आसन करते समय जानकारी के अभाव में आसन से सीधे बाहर आ जाते हैं ऐसा नहीं करना चाहिए ऐसा करने से आपको कई तरह की शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है जिस तरह आसन में प्रवेश के नियम है उसी तरह आसन से वापस लौटने के भी कुछ नियम होते हैं। वज्रासन के अभ्यास के बाद धीरे धीरे पहले आँखें खोले, उसके बाद बाएं पैर को सीधा करें, फिर दाहिने पैर को सीधा करते हुए वापस दण्डासन की पोज में आएं। जितनी देर वज्रासन में बैठे हैं, उसके आधा समय दण्डासन में बैठे और दण्डासन की स्थिति में दोनों बैठकर दोनों पैरों को हल्के हल्के इस प्रकार हिलाए की जंघाएँ जमीन को स्पर्श करें उसके बाद पैर के पंजों को हल्के से दाएं-बाएं घुमाएं फिर आसन से बाहर आ जाएं।

ये आसन भोजन करने के बाद भी किया जाता है और वज्रासन में दण्डासन के माध्यम से प्रवेश करते हैं चित्र या वीडियों देखकर सीधे वज्रासन का अभ्यास न करें।

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