स्कूलों में आग से बचाव के इंतजाम नहीं

Update: 2016-04-02 05:30 GMT
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लखनऊ। शिक्षा विभाग ने विद्यालयों में आग से बचाव के लिए अग्निशमन उपकरण तो उपलब्ध करा दिए, लेकिन उपकरण देने के बाद विभाग ने दोबारा इन उपकरणों की जांच नहीं की गयी। ऐसे में विद्यालय में दिए गए अग्निशमन यंत्र बेकार पड़े धूल फांक रहे हैं। ऐसे में कभी आग लग जाए तो इनका उपयोग नहीं किया जा सकता।

साल 2010-11 प्रदेश के प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में अग्निशमन यंत्र लगाने का नियम आया था। प्रदेश के सभी प्राथमिक विद्यालयों में दो अग्निशमन सिलेंडर, दो बाल्टियां और एक स्टैंड भी दिया गया था।

गाँव कनेक्शन ने लखनऊ, रायबरेली, प्रतापगढ़, बाराबंकी, शाहजहांपुर, पीलीभीत, मेरठ, रायबरेली, सिद्धार्थनगर, कन्नौज समेत दो दर्जन से ज्यादा जिलों के कई प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में जाकर देखा, तो सभी जगह पर अग्निशमन यंत्र ऐसे ही पड़े हैं। किसी भी विद्यालय में इसके इस्तेमाल की जानकारी भी नहीं है।

देशभर में शैक्षिक गणना करने वाली संस्था राष्ट्रीय शैक्षिक प्रबंधन सूचना प्रणाली डीआईएसई की रिपोर्ट 2013-14 के अनुसार उत्तर प्रदेश में प्राइमरी स्कूलों की संख्या 1,53,220 है और माध्यमिक स्कूलों की संख्या 31,624 है। एक विद्यालय के लिए दिए गए उपकरण में 3900 रुपए का बजट था यानि 72 करोड़ से ज्यादा रुपए कबाड़ में पड़े हैं।

रायबरेली जिले के प्रकाश नगर प्राथमिक विद्यालय में दो सिलेंडर कबाड़ में रखे मिले, इस बारे में वहां की प्राथमिक विद्यालय की प्रधानाध्यापिका रेखा सिंह ने बताया, “पांच-छह साल पहले लगाए गए थे, रखे रखे ही खराब हो गए।”

प्रतापगढ़ जिले के पट्टी तहसील के उडैयाडीह प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक हरि प्रसाद वर्मा बताते हैं, “2011 में हमारे विद्यालय में सिलिंडर लगाया गया था, अभी तक कभी जरूरत ही नहीं पड़ी इसलिए ऐसे ही रखा है।”

सभी विद्यालयों में पोषाहार बनता है। नियमानुसार रसोईघर में अग्निशमन उपकरण लगे होने चाहिए, लेकिन किसी भी विद्यालय में रसोईघर में अग्निशमन उपकरण नही लगे, जो किसी हादसे की वजह बन सकते हैं।

इस बारे में लखनऊ के बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रवीण मणि त्रिपाठी ने कहा, “हर साल स्कूलों को 5000 हजार रुपए रखरखाव के लिए दिए जाते हैं, उसी में से सिलेंडर फिलिंग भी कराना होता है। विभाग की तरफ से जांच की कोई व्यवस्था नहीं है, इनकी कोई एक्सपायरी डेट नहीं होती है।”

अगर लग गई आग तो क्या होगा?

मेरठ। जिले में जांच के लिए आई लाखों परीक्षा कॉपी की सुरक्षा रामभरोसे है जबकि जिम्मेदार अधिकारी के दावों की पोल उनके अधीनस्थ ही खोल रहे है । 

उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद के अधीन शैक्षिक स्तर 2015-2016 हाईस्कूल-इंटर की परीक्षाओं के बाद उन को जांचने का कार्य मेरठ के चार इंटर कॉलेजों में चल रहा है। मुख्य केंद्र जीआईसी इंटर कॉलेज को बनाया गया है, इन कॉलेजों में परीक्षा पुस्तिकाओं के बण्डल जहां रखे जा रहे है उन कमरों को नाम दिया गया है कोठार इन्ही में एक कोठार प्रभारी बीर सिंह शिक्षक से जब पूछा गया की कुल कितनी कॉपी आई है और इनको आग पानी आदि से सुरक्षा बचाव के क्या उपाए और क्या संसाधन मौजूद हैं, वे बताते है कि उनके इस केन्द्र में लगभग 3 लाख कॉपियां मौजूद हैं और यहां किसी भी प्रकार के संसाधन नहीं है जो भी करना है वो कर रहे है खासकर अग्निशमन यंत्र तो इन कोठारों में तो दूर स्कूलों में भी नहीं है बाकि ऊपर वाले जाने हम तो अपनी तरफ से इन बण्डलों की पूरी सुरक्षा  कर रहे हैं।

जिला विद्यालय निरीक्षक श्रवण कुमार यादव बताते हैं, सौ फीसदी स्कूलों में अग्निशमन यंत्र लगे हुए है अभियान चलाया गया था सभी को पुख्ता इंतज़ाम करवाए जाने को कहा था सभी ने किए हैं, कही कोई खतरा नहीं है जब उन से कोठारों में कुल कॉपियों और उन की सुरक्षा के बारे में पुछा गया तो बोले, आई होंगी करीब 7-8 लाख कॉपियां मूल्यांकन के लिए, जब उनको वस्तुिस्थति बताई गई तो बोले अरे ऐसा है रुकिए अभी चेक करवाता हूं। 

मेरठ सीएफओ आईके सोनी का कहना है कि डेढ़ दो साल पहले जनपद के स्कूलों में शायद अभियान तो चला था कुछ व्यवस्थाएं कुछ स्थानों पर हुई भी थी अब क्या स्थिति है देखना होगा, वो बोले हमारे पास पर्याप्त फायर ब्रिगेड की गाडि़यां हैं। 

मूल्यांकन कार्य में लगे शिक्षकों से जब पूछा गया की उनके स्कूलों में आग बुझाने कि क्या व्यवस्था तो वहां मौजूद 20-25 शिक्षकों ने कहा, स्कूल में पानी की टंकी है वो ही पर्याप्त है।

यह आलम तब है जबकि पूर्व में मेरठ के इसी जीआईसी इंटर कॉलिज में भीषण अग्निकाण्ड हो चूका है। अब ऐसे कैसे होगी लाखों परीक्षार्थियों की मेहनत की सुरक्षा।

रिपोर्टिंग टीम- लखनऊ- दिवेंद्र सिंह, बाराबंकी-सतीश कश्यप, मेरठ-सुनील तनेजा, रायबरेली- किशन, पीलीभीत- अनिल चौधरी, शाहजहांपुर- रमेश गुप्ता, प्रतापगढ़- मो. सलीम, फैजाबाद- रबीश कुमार, कन्नौज- अजय मिश्रा, मेरठ - सुनील तनेजा

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