ड्रिप सिंचाई ने बढ़ाई फसलों की पैदावार

Update: 2017-03-27 09:45 GMT
ड्रिप सिंचाई से बचता है मजदूरी का खर्च।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

बाराबंकी। जिले के किसान अनूप पांडे (50 वर्ष) टिश्यूकल्चर की मदद से केले की उन्नत खेती कर रहे हैं। क्षेत्र के बाकी किसानों से अलग हटकर अनूप नंदपुर गांव में आठ एकड़ क्षेत्र में नई तकनीक की मदद से केले की खेती कर रहें हैं। इस नई तकनीक के इस्तेमाल से उनकी पैदावार तो बढ़ी ही है, साथ ही उनकी मजदूरी का खर्चा भी घटा है।

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बाराबंकी जिले से उत्तर-पश्चिम दिशा में लगभग 40 किलोमीटर दूर निंदूरा ब्लॉक के नन्दपुर गांव के अनूप पांडे बताते हैं, “हम केले में ड्रिप सिंचाई का उपयोग करते हैं। ड्रिप सिंचाई की वजह से हमारा केला जल्द बढ़ रहा है। इससे खेती में सिंचाई, उर्वरक देने, खरपतवार हटाने जैसे काम खत्म हो गए हैं और मजदूरों का खर्च भी बचा है।”

अनूप पांडे अपनी खेती की देखरेख का काम करते हैं और बाकी का काम उनके भाई संभालते हैं। अधिक गर्मी में अनूप ड्रिप सिंचाई विधि से हर दिन 30-30 मिनट में तीन बार केले के पौधों को पानी देते हैं। इतना ही नहीं, अनूप पोटाश, मैग्नीशियम, यूरिया, डीएपी, कैल्शियम आदि घुलनशील उर्वरकों को भी ड्रिप सिंचाई के माध्यम से 10 मिनट में सभी पेड़ों तक पहुंचाते हैं। “हमने वर्ष 2013 में अपने खेत में ड्रिप सिंचाई संयंत्र लगवाने के लिए जि़ला उद्यान विभाग की मदद ली थी, जिसमें दो एकड़ में संयंत्र लगवाने में कुल लागत 80 हज़ार रुपए आई। इस पर उद्यान विभाग से 75 प्रतिशत का अनुदान मिला था”, अनूप आगे बताते हैं।

बाराबंकी जिले में अब ज़्यादातर किसान केले, तरबूज, टमाटर जैसी फसलों की खेती में मुनाफा बढ़ाने के लिए ड्रिप सिंचाई अपना रहे हैं। अनूप इस नई तकनीक का उपयोग कर अपने खेतों में उन्नत तरीके से केला उगा रहे हैं। इसके साथ ही वे इस तकनीक के बेहतर इस्तेमाल के लिए दूसरे जिलों और आसपास के गांवों से आए किसानों को भी प्रेरित कर रहें हैं।

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