मेरठ में 150 घंटे में बनेंगे 20 हज़ार शौचालय, डीएम बी चंद्रकला ने शुरू किया अभियान
स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
मेरठ। अपने कामों को लेकर चर्चा में रहने वाली आईएएस अधिकारी बी चन्द्रकला ने मेरठ में एक अभियान की शुरुआत की, जिसके तहत 150 घन्टों में 20 हज़ार शौचालयों का निर्माण किया जाएगा।
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मेरठ की जिलाधिकारी बी चन्द्रकला के पीए शिवकुमार ने इस अभियान के बारे में बताया ‘‘यह अभियान 371 गांवों में आज से शुरू हुआ है। मेरठ जनपद में 480 गाँव हैं, उसमें से 109 ओडीएफ हो चुके हैं। जिन गाँवों को ओडीएफ किया जा चुका है, उन गाँवों को छोड़ बाकी जगहों पर इस अभियान की चलाया जायेगा।’’
जिलाधिकारी बी चंद्रकला ने इस अभियान की शुरुआत सरधना विधानसभा क्षेत्र के बलीदपुर से शुरू किया। डीएम ने 120 घंटे में 20 हज़ार शौचालय बनाने का निर्णय लिया है।
पीए शिवकुमार ने बताया कि ‘‘इस अभियान की तैयारी प्रशासन पहले से ही कर रहा था। 150 प्रशिक्षित लोग 30 गांवों में जाकर लोगों को जागरूक कर रहे थे। इन लोगों ने ग्रामीणों को खेत में शौचालय नहीं करने के लिए प्रेरित किये और उसके बाद हमें बताया कि इस गाँव में इतने लोगों के पास शौचालय नहीं है। इतने लोगों को अगर शौचालय दे दिया जाए तो गाँव ओडीएफ हो जायेगा। उनके मांग के अनुसार हमने उन-उन गाँव के प्रधानों को पैसा दे दिया है। यह अभियान ग्रामीण स्वच्छता योजना के तहत चलाया जा रहा है।’’
ओडीएफ वाले गाँवों में शौचालय का बुरा हाल
मेरठ के जिन गाँवों को जिला प्रशासन ओडीएफ घोषित कर चुका है उन गाँवों की हकीकत कुछ और है। गंगा किनारे स्थित गाँवों में नमामि गंगे योजना के तहत शौचालयों के निर्माण के एक साल के अंदर ही उनका इस्तेमाल उपले और लकड़ी रखने के लिए हो रहा है।
ओडीएफ घोषित हो चुके हस्तिनापुर ब्लॉक के मखदुमपुर पंचायत में सबको शौचालय नसीब नहीं हुआ है। स्थानीय निवासी राजू के अनुसार गाँव में सौ लोगों को शौचालय मिला है और बाकी लगभग सौ से ज्यादा लोगों को अभी तक शौचालय नसीब नहीं हुआ है। इस पंचायत में बने ज्यादातर शौचालयों में लोग उपले रख रहे हैं। यहाँ बने किसी शौचालय में दरवाजा नहीं है तो किसी में बैठने वाला बनने के कुछ दिन बाद ही टूट गया है।
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नमामि गंगे योजना की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरकार बनते ही गंगा नदी को संरक्षित और स्वच्छ करने के लिए किया गया था। सरकार ने इस योजना को एक मिशन का नाम दिया इस साल नमामि गंगे योजना का बजट बढ़कर 2150 करोड़ रुपये से 2250 करोड़ रुपए कर दिया गया है।
इस योजना के अंतर्गत नदी की उपरी सतह की सफ़ाई से लेकर बहते हुए ठोस कचरे की समस्या को हल करने, ग्रामीण क्षेत्रों की सफ़ाई से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों की नालियों से आते मैले पदार्थ और शौचालयों के निर्माण, शवदाह गृह का नवीकरण, आधुनिकीकरण और निर्माण ताकि अधजले या आंशिक रूप से जले हुए शव को नदी में बहाने से रोका जा सके, लोगों और नदियों के बीच संबंध को बेहतर करने के लिए घाटों के निर्माण, मरम्मत और आधुनिकीकरण का लक्ष्य निर्धारित किया गया था।
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