होलिका में केवल कंडों का प्रयोग कर लोगों को किया जागरूक

Update: 2017-03-14 18:35 GMT
कुछ ऐसी भी होलिका जलायी गईँ, जिसमें सिर्फ गोबर के कंडों का प्रयोग किया गया है।

दीपांशू मिश्रा, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। देश भर में होली के एक दिन पहले होलिका जलायी जाती है, जिसमें हजारों कुंतल लकड़ी जला दी जाती है। वहीं पर कुछ ऐसी भी होलिका जलायी गईँ, जिसमें सिर्फ गोबर के कंडों का प्रयोग किया गया है।

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पर्यावरण संरक्षण एवं सामाजिक मुद्दों पर काम करने वाली संस्था गो ग्रीन सेव अर्थ फाउंडेशन के संस्थापक विमलेश निगम बताते हैं, “बसंत पंचमी के दिन से ही होलिका में अरंडी का पेड़ रख देते है। उसके बाद उसमें हरी लकड़ियां रख दी जाती हैं। कहीं-कहीं पर तो टायर भी जलाते हैं, जिससे वातावरण प्रदूषित होता है।”

लखनऊ में छोटी-बड़ी 10 हजार से ज्यादा होलिका जलती है। इस बारे में विमलेश आगे बताते हैं कि इस बार हमने ‘होलिका का पोस्टर’ और कंडे जलाकर होली की शुरुआत की है। इसके माध्यम से हम लोगों को संदेश देना चाहते हैं कि लकड़ियों को जलाने की बजाए कंडो का इस्तेमाल करें, जिसस पर्यावरण सुरक्षित होगा।

बता दें कि 24 प्रदूषित शहरों में लखनऊ का भी नाम है। विमलेश आगे बताते हैं, “अगर सब ऐसे ही करें तो शहर की गौशालाएं अपना साल भर का खर्च खुद निकाल लेंगी। गौशालाओं को चलाने के लिए सरकार को न लंबी-चौड़ी सब्सिडी देनी पड़ेगी, न ही गौ सेवा के नाम पर बड़े-बड़े दान मांगने की जरूरत होगी।”

वाराणसी में भी जलायी गयी कंडों की होलिका

वाराणसी के यूपी कालेज भोजूबीर वाराणसी में आदर्श होलिका लगायी गयी, जिसमें सिर्फ गोबर के कंडे लगाए गए थे। वाराणसी के वल्लभाचार्य पांडेय बताते हैं, “वाराणसी में ये अच्छी पहल की शुरुआत की गयी है, होलिका में हरी लकड़ियां रख दी जाती है, जिससे प्रदूषण होता है, कंडों की होलिका जलाने से पेड़ नहीं काटने पड़ेंगे।”

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