क्या नयी सरकार महिलाओं को दे पाएगी सुरक्षा और न्याय?

Update: 2017-03-12 11:08 GMT
नयी सरकार से महिलाओं को उम्मीद है ऐसी घटनाओं पर अंकुश लग सके।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। रेशमा का कसूर सिर्फ इतना था कि उसने पांच बेटियों को जन्म दिया और एक बेटे को जन्म नही दे पायी तो उनके पति ने उनके ऊपर एसिड डाल दिया। यह प्रदेश का पहला मामला नहीं है, पिछले कुछ वर्षों में बलात्कार, छेड़खानी घरेलू हिंसा के मामले तेजी से बढ़े हैं। नयी सरकार से महिलाओं को उम्मीद है ऐसी घटनाओं पर अंकुश लग सके।

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फरवरी माह में कृष्णानगर कोतवाली थाना क्षेत्र में एक मामला दर्ज हुआ था जिसमे एक पिता अपनी 15 वर्षीय बेटी के साथ पिछले पांच महीनों से घर के अन्दर बलात्कार करता रहा। हर दिन इस तरह के मामले सुनने और पढ़ने में आते हैं। घरेलू हिंसा, एसिड अटैक, छेड़खानी और बालात्कार से पीड़ित महिलाओं और किशोरियों को आने वाली सरकार से अपनी सुरक्षा की उम्मीद है।

देश में महिलाओं को उनका हक दिलाने का काम रही संस्था नेशनल कमीशन फॉर वीमेन के आंकड़ों के अनुसार भारत में घरेलू हिंसा के मामले सबसे अधिक उत्तर प्रदेश में हैं। वर्ष 2015-16 में अकेले उत्तरप्रदेश में महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा के मामलों की संख्या 6,110 थी, जबकि दिल्ली में 1,179, हरियाणा में 504, राजस्थान में 447 और बिहार में 256 मामले दर्ज हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के ताजा आंकड़ों के अनुसार पिछले चार वर्षों से 2015 तक महिलाओं के खिलाफ अपराध में 34 फीसदी की वृद्धि हुई है जिसमें पीड़ित महिलाओं द्वारा पति और रिश्तेदारों के खिलाफ सबसे अधिक मामले दर्ज हुए हैं । ये आंकड़े क्या आने वाली सरकार कम कर पायेगी, क्या प्रदेश की हर महिला अपने आप को महफूज पायेगी? कुछ ऐसे ही सवाल है ग्रामीण महिलाओं को ।

उत्तर प्रदेश में घरेलू हिंसा पर काम कर रही ब्रेकथ्रू संस्था की स्टेट समन्वयक कृति प्रकाश बताती हैं, “हर महिला और लड़की आज के समय में अपने आप को सुरक्षित नहीं महसूस करती है, महिलाओं की सुरक्षा की बात चाहें घर के अन्दर हो या बाहर, जिसे जब मौका मिलता है उसका शोषण करने लगता है, अगर ये सरकार सख्ती से अपराध करने वालों को सजा दिलाने मे सफल रही तो ये मामले कम हो सकते हैं, इस सरकार से सभी को बहुत उम्मीदें हैं।”

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