सर्वाइकल कैंसर का इलाज बिना यूट्रस निकाले संभव

Update: 2017-02-06 10:53 GMT
हर आठ मिनट में सर्वाइकल कैंसर से हो जाती है एक महिला की मौत

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। सर्वाइकल कैंसर के इलाज में सर्जरी कर उनके यूट्रस को निकाल दिया जाता है, जिससे वो महिला कभी मां नहीं बन पाती है। लेकिन अब लार्ज लूप ट्रीटमेन्ट से बिना यूट्रस निकाले इसका सफल इलाज किया जा सकता है। सर्वाइकल कैंसर की शिकार ज्यादातर महिलाएं 30 से 40 उम्र के बीच की होती हैं।

लखनऊ के क्वीन मेरी अस्पताल में 50 सर्वाइकल कैंसर से पीड़ित महिलाओं का इलाज बिना यूट्रस निकाले किया गया है। क्वीन मेरी अस्पताल की वरिष्ठ स्त्री और प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. रेखा बताती हैं, “सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में तेजी से होने वाला कैंसर है। सवाईकल कैंसर में ज्यादतर डॉक्टर यूट्रस को निकाल देते हैं, लेकिन बिना यूट्रस निकाले भी इसका सफल इलाज किया जा सकता है।”

उन्होंने बताया कि किसी मरीज में हमको कैंसर की आशंका होती है तो हम उसका पैप स्मीयर टेस्ट कराते हैं। पैप स्मीयर टेस्ट में यूट्रस से कुछ सेल्स लेकर इसकी जांच की जाती है। इन सेल्स को माइक्रोस्कोप में देखकर यह पता लगाया जाता है कि यह सेल्स कैंसर ग्रस्त है यह नहीं, यदि सेल्स कैंसर ग्रस्त होते हैं तो इसमें सफेद रंग के धब्बे ऐसे नज़र आते हैं, जिसे वाइट लीजन कहते हैं। इस टेस्ट से यह भी पता चल जाता हैं कि कैंसर कौन सी स्टेज में हैं। सभी सरकारी अस्पतालों और सीएचसी पर यह जांच फ्री होती है।

अगर कैंसर के कुछ लीजन नजर आते हैं तो हम बायोप्सी टेस्ट करा लेते हैं। एक बार कन्फर्म हो जाने पर हम लार्ज लूप सर्जरी कर उसे बिना यूट्रस निकाले ठीक कर देते हैं।” नेशनल इंस्ट्टीयूट ऑफ कैंसर प्रिवेंशन एंड रिसर्च (एनआईसीपीआर) के अध्ययन में सामने आए आंकड़े बेहद चौंकाने वाले साबित हो रहे हैं। एनआईसीपीआर के मुताबिक, प्रत्येक आठ मिनट में देश की एक महिला की मौत सर्वाइकल कैंसर की वजह से होती है।

क्या होती है लार्ज लूप सर्जरी

लूप इलेक्ट्रीकल एक्सीजन प्रोसिज़र यूके की तकनीक हैं। इस तकनीक का इस्तेमाल पांच साल से भारत में किया जा रहा है। इस सर्जरी में यूट्रस के जिस हिस्से में कैंसर के लीजन दिखाई देते हैं, वहां पर गोल आकार का एक छल्ला जैसा लगाते हैं और उसी आकार में उतना हिस्सा काट लेते हैं। हालांकि यह करना पहले मुश्किल था क्योंकि महिलाओं को ज्यादातर इसका पता लास्ट स्टेज में चलता था। लेकिन अब यह ज्यादा कारगर है। पैपस्मीयर टेस्ट के वजह से इसे महिलाओं में शुरुआती दौर में ही पकड़ लिया जाता है और सर्जरी कर उसे ठीक कर दिया जाता है।

अन्य अस्पतालों में तकनीक नहीं

इस सर्जरी के अच्छे परिणाम के बावजूद राजधानी के अभी क्वीन मेरी अस्पताल के अलावा किसी भी सरकारी और प्राईवेट अस्पताल में इसका इस्तेमाल नहीं हो रहा है। रेखा सचान ने बताया कि हम दो साल से इस सर्जरी का इस्तेमाल कर रहे हैं और यह सस्ती और कारगार सर्जरी है। फिर भी प्राइवेट अस्पतालों में इस सर्जरी का इस्तेमाल न के बराबर है।

500 रुपए में हो जाती है सर्जरी

इस सर्जरी पर लोगों का ज्यादा खर्चा नहीं आता। मरीज को इस सर्जरी के लिए 500 रुपए खर्च करने पड़ते हैं। 500 रुपए खर्च मात्र से ही लोगों को इस जानलेवा कैंसर से हमेशा के लिए मुक्ति मिल जाती है।

सर्वाइकल कैंसर के मुख्य कारण

देर से शादी होना, एक से अधिक सेक्स पार्टनर का होना और देर से मां बनना, कैंसर के प्रमुख कारण के तौर पर सामने आ रहे हैं। डॉ. रेखा के मुताबिक, 20-30 आयुवर्ग की दो प्रतिशत महिलाएं जहां कैंसर से पीड़ित हैं, वहीं 30-40 आयु वर्ग की 16 प्रतिशत महिलाएं कैंसर की चपेट में हैं। इसके अलावा 40-50 आयु समूह में से कैंसर पीड़ितों की तादाद 28 प्रतिशत है।

इनमें से 46 प्रतिशत महिलाओं की उम्र 50 वर्ष से कम है। उन्होंने कहा कि चिंता की बात यह है कि 25 से 40 आयुवर्ग की महिलाओं पर कैंसर ज्यादा हावी होता हुआ दिख रहा है, जो आधी आबादी के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक संकेत के रूप में उभरकर सामने आ रहा है। डाक्टर रेखा सचान ने बताया कि सवाईकल कैंसर के बारे में लोग खुलकर बात नहीं करते।

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