गांव के लोग बोले- हमारा प्रधान नहीं करवाता है कोई काम, दिनभर नेताओं के लगाता रहता है चक्कर

Update: 2017-02-12 14:18 GMT
रामपुर बेहड़ा ग्राम पंचायत में रास्ते में बहता है पानी।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। ग्रामीण इस आशा में वोट देते हैं कि कुछ विकास होगा, लेकिन हर बार वोट देने के बाद उनके हाथ मायूसी ही लगती है। लखनऊ मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित रामपुर बेहड़ा ग्राम पंचायत में प्रधानी का वोट देने के बाद भी कुछ भी नहीं बदला। आज भी गाँव वाले विकास की राह देख रहे हैं। इस ग्राम पंचायत के प्रधान सुबह कहीं निकल जाते हैं और फिर रात में वापस आते हैं। ग्रामीण बनवारी लाल (35 वर्ष) का आरोप है कि प्रधान कहीं दिनभर जुआ खेलते रहते हैं।

“प्रधान तो गाँव में दिखते ही नहीं हैं। वोट पाकर जीत तो गये हैं, लेकिन किसी काम के नहीं हैं। प्रॉपर्टी का काम भी करते हैं तो उसी से समय नहीं मिलता है तो गाँव कब याद आये।’’ गुस्से से रामपुर बेहड़ा निवासी कप्तान सिंह (40 वर्ष) बताते हैं। ग्राम प्रधान रामप्रताप राजपूत ने बताया, “मैं इस समय चुनाव में लगा हुआ हूं। मैं पार्टी का प्रचार कर रहा हूं तो समय नहीं मिल पाता। अगर किसी को कोई समस्या होती है तो तो हम पहुंच जाते हैं।’’

गाँव कनेक्शन संवाददाता ने जब गाँव में नहीं हुए काम को लेकर बात की तो प्रधान ने बताया, “चुनाव से पहले हमने कुछ का तो काम करवाया है। आगे का काम अब चुनाव के बाद ही संभव है, उससे पहले तो कुछ भी संभव नहीं है।” ग्रामीण सुरेश चंद्र (45 वर्ष) ने बताया, “प्रधान कोई काम नहीं करवाते है कागजों पर भले ही कुछ करवाते हों, लेकिन गाँव में तो कुछ भी नहीं दिखता है।

दिनहर जुआ खेलते रहते हैं। पता नहीं उसका पैसा कहां से आ जाता है। काम की बात करो तो बजट ही नहीं होता है उनके पास। न मनरेगा का काम करवाते हैं न कुछ।” गाँव कनेक्शन संवाददाता ने आगामी विधानसभा चुनाव में वोट देने की बात ग्रामीणों से पूछी तो उन्होंने बताया कि वोट तो देने जाएंगे ही लेकिन वोट देने के बाद भी हमेशा निराशा ही मिली है। अब वोट देने में तो डर भी लगने लगा है। वोट के समय तो सब घर आकर वोट मांगते हैं, लेकिन बाद में कोई नजर नहीं आता है। बाद में गाँव वाले जिएं या मरें। गाँव के पूर्व प्रधान इन्द्रपाल (55 वर्ष) ने बताया, “ प्रधान 10 पैसे का काम आज तक नहीं करवाया है। खडंजा, सड़क, नाली जो भी हमने जैसे छोड़ा तह आज वैसे के वैसे ही है।”

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

Similar News