स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
रायबरेली। किसानों को खेती से जुड़े तौर-तरीके सिखाने व उन्हें बाज़ारों से सस्ते दर पर खाद मुहैया कराने के लिए सहकारी साधन समितियों की नींव रखी गई थी पर आज इन गोदामों की खस्ता हालत और इन्हें मिलने वाली नाम मात्र की सरकारी सुविधाओं के कारण किसानों को इन केंद्रों से कोई लाभ नहीं मिल रहा है। रायबरेली जिले के दिनशाह गौरा ब्लॉक के साधन सहकारी समिति के गोदाम की दीवार से पेंट गायब हो चुका है। केंद्र प्रभारी उदयभान यादव यहां पर वर्ष 1987 से तैनात हैं पर वह सहकारी समिति की हालत सुधारने में नाकाम रहे।
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सरकार की अनदेखी का शिकार हो रही जिले की सहकारी खाद भण्डारण व्यवस्था के बारे में उदयभान बताते हैं, “गोदाम में पहले समय से खाद और बीज आ जाता था, लेकिन तीन-चार वर्षों से न तो बीज टाइम से आता है और न ही खाद। पहले गोदाम की रंगाई-पुताई का भी समय से पैसा आ जाता था, अब तो हमारा वेतन भी समय से नहीं मिलता है।’’ गाँवों में कृषि संबंधित योजनाओं को किसानों तक जल्द पहुंचाने के लिए सहकारी साधन समितियों को बनाया जाता है।
अभी सहिकारिता विभाग के पास गोदामों की मरम्मत और इनकी रंगाई-पुताई के लिए अलग से कोई फंड नहीं बनाया गया है। विभाग के पास समितियों में ढांचाकृत सुधार के लिए पर्याप्त बजट की कमी है।एससी द्विवेदी, अपर आयुक्त, सहकारिता विभाग यूपी
इन केंद्रों पर फसल बीमा, सब्सिडी में बीज व खाद वितरण और किसान पंजीकरण जैसे कार्य होते हैं। उत्तर प्रदेश सहकारी विभाग से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में 7,400 साधन सहकारी समितियां हैं, जिससे प्रदेश के लगभग एक करोड़ तीस लाख किसान जुड़े हैं।
प्रदेश में सहकारी समितियों पर तैनात प्रभारियों को वेतन न मिलने की वजह बताते हुए सहकारिता विभाग, उत्तरप्रदेश के अपर आयुक्त एससी द्विवेदी बताते हैं, “समितियों के पास किसानों को दिए गए लोन के रिकवरी का एक निर्धारित लक्ष्य होता है, लेकिन समितियां समय पर अपना लक्ष्य नहीं पूरा कर पाती हैं, जिससे समितियां लगातार घाटे में जा रही हैं। इसी वजह विभाग प्रभारियों का वेतन रोक देती हैं।
रायबरेली जिले के सतांव ब्लॉक के नकफुलहा गाँव के किसान रामनरेश सिंह (51 वर्ष) बताते हैं, ‘’गाँव में खाद का गोदाम पिछले तीन वर्ष से बंद पड़ा है। गोदाम न खुलने के कारण हम खाद और बीज शहर से खरीदकर लाते हैं। गोदाम खुलवाने के लिए हमने कई बार जिला कृषि अधिकारी को विभाग जाकर इसकी जानकारी दी पर आज तक कुछ नहीं हुआ।’’
1,600 करोड़ दिये फिर भी हालत जस की तस
इस योजना के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में बनी सहकारी समितियों में सिर्फ खाद रखने के अलावा विभिन्न सहायक वस्तुएं (कीटनाशक, आधुनिक कृषि उपकरण, फसलों के बीज व दवाएं) जैसी सामग्री उपलब्ध कराया जाना था। इस योजना के लिए प्रदेश सरकार ने सभी समितियों के लिए विभाग को 1,600 करोड़ दिए गए। इसके अलावा इस बार बजट में भी गाँवों में स्थापित किए गए सहकारी समितियों के गोदामों को पूरी तरह से कंप्यूटरीकृत किए जाने का फैसला लिया गया, लेकिन आज तक इन गोदामों की हालत नहीं सुधर पाई है।
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