महिला मुखिया का गढ़ होने के बावजूद महिलाओं को नहीं मिल रही कोई सुविधा

Update: 2017-02-21 14:41 GMT
पिछले तीन दशकों से महिला सांसदों की कर्मभूमि रहे रायबरेली जिले में महिलाओं के लिए कोई बड़ी योजना नहीं चलाई गई है।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

रायबरेली। पिछले तीन दशकों से महिला सांसदों की कर्मभूमि रहे रायबरेली जिले में महिलाओं के लिए कोई बड़ी योजना नहीं चलाई गई है। महिलाओं के लिए शिक्षा, सुरक्षा और आजीविका जैसे बड़े मुद्दों को भले ही चुनावों में उठाया जाता रहा हो, पर आजतक इन मुद्दों को महिला सांसदों की कार्ययोजनाओं में जगह नहीं मिल सकी है।

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रायबरेली जिले के लालगंज ब्लॉक के सब्जी मंडी क्षेत्र की नगमा बानो ( 24 वर्ष) ने पिछले वर्ष गाँव के ही पास के कौशल विकास केंद्र से कम्प्यूटर का डिप्लोमा कोर्स किया था। कोर्स के दौरान उन्हें तीन महीने के अंदर नौकरी दिलवाने का वादा किया गया पर एक वर्ष बीत जाने के बाद भी उन्हें कोई नौकरी नहीं मिली है।

गाँव में मेरे साथ दो लड़कियों ने कम्प्यूटर कोर्स किया था पर किसी को भी नौकरी नहीं मिली है। अभी गाँव के बच्चों को पढ़ा रही हूं। अब तो नौकरी मिलने की उम्मीद भी छोड़ दी है।
नगमा निवासी लालगंज

हाल ही में चुनाव प्रचार के दौरान एक रैली को संबोधित करते हुए कांग्रेस पार्टी की स्टार प्रचारक प्रियंका गांधी ने जिले में महिलाओं की सुरक्षा व उनकी शिक्षा को प्रमुखता से उठाया। यहां तक कि उन्होंने मुख्यमंत्री की 1090 सहित अन्य महिलाओं की योजनाओं की जमकर तारीफ भी की, लेकिन अभी भी जिले में महिलाओं की समस्याओं से कांग्रेस सहित अन्य पार्टियों के बड़े नेता बेखबर हैं।

रायबरेली जिले के लालगंज कस्बे में 13 दिन पहले एक शादी समारोह में छह साल की बच्ची के साथ हुई रेप की घटना से जहां लालगंज क्षेत्र के लोगों में आक्रोष है वहीं दूसरी ओर यहां रहने वाले परिवारों में लड़कियों को घर से बाहर भेजने में डर लग रहा है।

लालगंज कस्बे में रहने वाली सुनीता (30 वर्ष) ने ब्यूटीशियन का कोर्स किया है पहले वो एक ब्यूटीपार्लर में काम करने जाती थीं, लेकिन इस घटना के बाद से सुनीता के घर वाले उन्हें शहर नहीं भेज रहे हैं। सुनीता बताती है, ‘पापा बोलते हैं कि ज़माना खराब है घर से दूर जाना सही नहीं है। जब से यह केस हो गया है तब से यहां पर लोग डर गए हैं। अब तो शाम को भी चौराहे पर पुलिस रहती है।’’ जिले में महिला सुरक्षा व शिक्षा के अलावा ग्राम पंचायतों में महिलाओं को सरकारी योजनाओं का लाभ न मिल पाना भी ग्रामीण महिलाओं की हताशा का एक कारण बन रहा है।

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