स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
लखनऊ। सड़कों पर जीवन बीताने वाले बच्चों के लिए केंद्र सरकार नई योजना शुरू करने जा रही है, इसके अन्तर्गत जो बच्चे अव्यवस्था के चलते सड़कों पर अपना जीवन बीताने को मजबूर हैं उनके संरक्षण और देखभाल की जिम्मेदारी महिला एवं बाल विकास मंत्रालय उठायगा। साथ ही ऐसे बच्चों के पुनर्वास और शिक्षा की भी व्यवस्था की जाएगी। इसके अलावा इन बच्चों के लिए जो योजनाएं पहले से चल रहीं हैं उनमें भी सुधार किए जाएंगे।
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दिल्ली, लखनऊ, पटना, हैदराबाद और मुंबई में सर्वे करने के बाद स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिडर (एसओपी) तैयार किया गया है, इस कार्यक्रम की जिम्मेदारी सेव द चिल्ड्रेन इंटरनेशनल संस्था के सीईओ थॉमस चांडी को दी गई थी। इसके अलावा नियमावली का प्रारूप तैयार करने से पहले राष्ट्रीय बाल अधिकार एवं संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने दिल्ली में सड़क से बचाए गए बच्चों के साथ विचार-विमर्श भी किया था। वहीं लखनऊ में 11 हजार बच्चों पर सर्वेक्षण किया गया है।
हमारी सरकार भारत के हर बच्चे को खुशहाली देना चाहती है। इस पहल के अन्तर्गत बच्चों को स्वास्थ्य, शिक्षा व संरक्षण की सुविधा दी जाएगी।मेनका गांधी, केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री
उत्तर प्रदेश स्टेट सेव द चिल्ड्रेन प्रोग्राम के प्रोजेक्ट को-ओर्डिनेटर रामानाथ नायक ने बताया, “पांच शहरों में सड़क पर रहने वाले बच्चों का आंकड़ा 38 से 45 फीसदी है। इस सर्वे में सड़क पर रहने वाले बच्चों को चार स्तर पर बांटा गया है जो कि इस प्रकार हैं, कूड़ा उठाना, भीख मांगना, सड़क पर सामान बेचना, सड़क किनारे स्टॉल पर काम करना है। ये ज्यादातर झुग्गी-झोपड़ी में सोते हैं। ऐसे बच्चों के जीवन सुधार के लिए एसओपी तैयार की गई है। जो योजना पहले से बच्चों के लिए चलाई जा रही है, उनमें भी इसी के माध्यम से सुधार किया जाएगा।”
सेव द चिल्ड्रन द्वारा कराए गए सर्वे के रिपोर्ट के मुताबिक, सड़क पर रहने वाले 63 फीसदी बच्चे अनपढ़ हैं। केवल 3 से 16 फीसदी बच्चे ही ऐसे हैं जो पढ़ते हैं। पांच शहरों में सड़क पर रहने वाले बच्चों की आबादी (0 से 6 वर्ष तक) 19 से 32 फीसदी के बीच है। इसमें लड़कियां 37 फीसदी हैं।
सड़क पर रहने वाले बच्चों की देखभाल व संरक्षण के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे, इसके लिए एक विस्तृत रूपरेखा तैयार की जाएगी। इन बच्चों की समस्याएं जटिल हैं, जिसको दुरुस्त करने के लिए यह कदम उठाए जाएंगे।श्रुति कक्कड़, अध्यक्ष , एनसीपीआर
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कहा, “हमारी सरकार भारत के हर बच्चे को खुशहाली देना चाहती है। इस पहल के अन्तर्गत बच्चों को स्वास्थ्य, शिक्षा व संरक्षण की सुविधा दी जाएगी।” एसओपी को तैयार करने के पीछे एक सबसे बड़ी वजह मौजूदा चालाई जा रही योजनाओं में काम करने वाली विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय की कमी थी। एसओपी के आने पर ऐसा नहीं होगा। क्योंकि इसमें एनजीओ, पुलिस और बाल विकास समिति (सीडब्ल्यूसी) की अहम भूमिका होगी। जो सिस्टम पहले से बने हैं उन्हीं में सुधार करने की जरूरत है, जिसके आधार पर सर्वे किया गया है।”