सरकार के फैसले के बाद भी आलू किसानों को राहत नहीं

Update: 2017-04-14 13:26 GMT
सरकार के फैसले के बाद भी आलू किसानों को राहत नहीं मिल रही।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
लखनऊ।
इस वर्ष आलू किसानों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए प्रदेश सरकार ने किसानों को 487 रुपए प्रति कुंतल के भाव से आलू खरीदने का ऐलान कर दिया है। इस फैसले के बावजूद किसानों को राहत मिलती नज़र नहीं आ रही है।

लखनऊ जिले में बकेटी ब्लॉक के अहमदपुर खेड़ा गाँव के हबीब खान (68 वर्ष) की क्षेत्र के बड़े आलू किसानों में गिनती होती है। हबीब ने इस बार 10 एकड़ खेत में आलू बोया था। सरकार की आलू खरीद को किसानों के लिए बेअसर मानते हुए हबीब कहते हैं, ‘’खेती में देर आए दुरुस्त आए वाली कहावत से काम नहीं चलता है। सरकार का यह फैसला अगर तब आता जब किसान कोल्ड स्टोरेज के सामने आलू बेचने के लिए लाइन में खड़े थे, तब कहीं इस फैसले से मदद मिलती।’’

आलू किसानों की मौजूदा हालत बताते हुए हबीब ने आगे बताया, “इस समय प्रदेश में लगभग 90 फीसदी आलू किसानों का माल कोल्ड स्टोरेज में पड़ा है, जिन किसानों ने अभी आलू नहीं बेचा है, वो पास की मंडियों में पांच-पांच कुंतल करके रोज़ाना आलू निकाल रहे हैं। मंडी में इस समय 400 से 500 रुपए प्रति कुंतल पर आलू खरीदा जा रहा है।”

आलू किसानों को बड़ी राहत देने के लिए प्रदेश सरकार ने बाजार हस्तक्षेप योजना के तहत एक लाख टन आलू की खरीद का फैसला लिया है। इस फैसले के अंतर्गत आने वाले एक महीने में सरकार किसानों का आलू 487 रुपए प्रति कुंतल की दर से खरीदेगी। आलू की खरीद नाफेड, पीसीएफ और यूपीएग्रो के जरिए की जाएगी।

अटेसुआ गाँव के किसान शरीफुद्दीन (50 वर्ष) 40 बीघे में आलू की खेती करते हैं। इस वर्ष उन्हें आलू की अच्छी पैदावार मिली, इसलिए अभी भी 10 बोरा आलू उनके घर में रखा है। शरीफुद्दीन सरकार के फैसले को किसानों के लिए कम फायदेमंद बताते हुए कहते हैं, ‘’सिंचाई के लिए तेल का खर्च, खाद और बुवाई का लेबर भाड़ा मिलाकर एक कुंतल आलू की पैदावार में किसान का लगभग 600 रुपए खर्च हो जाता है। अगर सरकार 650 से 700 रुपए प्रति कुंतल के रेट पर आलू खरीद करती तो, इसमें हमारा फायदा होता।’’


फैज़ाबाद जिले के सोहावल ब्लॉक के पूरेमहताबराज का पुरवा गाँव के किसान विनय कुमार वर्मा (47 वर्ष) डेढ़ एकड़ में आलू की खेती करते हैं। इस वर्ष उन्होंने अपनी पूरी उपज को कोल्ड स्टोरेज में रखवा दिया है। आलू खरीद के फैसले को कम कारगर बताते हुए विनय कहते हैं, ‘’कोल्ड स्टोरेज में 100 किलो आलू रखवाने में किसान का 300 से 350 रुपए खर्च हो जाता है। अगर किसान अभी सरकार को 487 रुपए प्रति कुंतल पर आलू बेचेगा तो उसे 137 रुपए ही फायदा होगा।’’

‘’अगर सरकार फसल उतरने के समय यह भाव दे देती तो, हम कोल्ड स्टोरेज में आलू रखवाते ही नहीं।’’ विनय ने आगे बताया। मुख्यमंत्री आदित्यनाथ याेगी ने यह निर्देश दिए हैं कि प्रदेश के सभी जनपदों में व्यापक प्रचार-प्रसार सुनिश्चित कराते हुए आवश्यकतानुसार आलू खरीद के लिए क्रय केन्द्र खोले जाएंगे। लेकिन मौजूदा समय में प्रदेश के किसानों ने कोल्डस्टोरों में भंडारण शुल्क देकर 95 लाख मीट्रिक टन आलू पहले से ही भण्डारित कर रख चुके हैं। ऐसे में अब सवाल यह उठ रहा है कि आलू खरीद के लिए जनपदवार खोले जा रहे आलू क्रय केन्द्रों पर कितना आलू बिक सकता है।

सुलतानपुर जिले बीसिंहपुर गाँव के आलू किसान शशांक शेखर सिंह (64 वर्ष) ने इस वर्ष दो एकड़ में आलू बोया था और अब उन्होंने अपनी फसल को कोल्ड स्टोरेज में रखवा दिया है। सरकारी फैसले से कुछ ही किसानों को लाभ मिलने की बात कहते हुए शशांक ने बताया, ‘’आलू खरीद के फैसले प्रदेश में उन पांच से दस फीसदी किसानों को ही लाभ मिलेगा, जो किसी कारण वश अपनी फसल कोल्ड स्टोरेज में नहीं रखवा पाए थे।’’

क्या कहते हैं आंकड़े
खाद्य एवं रसद विभाग के आंकड़ों के अनुसार, उत्तरप्रदेश में मौजूदा समय में 1,708 शीतगृह हैं, जिसमें 130 लाख मीट्रिक टन की भंडारण क्षमता है। अभीतक इन शीतगृहों में 95 लाख मीट्रिक टन आलू भण्डारित हो चुका है। ऐसे में इस समय जो किसान घरों पर आलू स्टॉक करके रखे हैं वो सरकार द्वारा निर्धारित 487 रुपए प्रति कुंतल रेट की जगह अपने माल को मंडी में व्यापरियों को 450 से 500 रुपए प्रति कुंतल पर बेचना अधिक फायदे का सौदा मान रहे हैं। लखनऊ मंडी में इस समय आलू का थोक भाव 300 से 650 रुपए प्रति कुंतल चल रहा है।

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