ई-फाॅरेस्ट मंडी से किसानों को मिलेगा लाभ

Update: 2017-03-19 16:46 GMT
बिचौलियों का हस्ताक्षेप खत्म करने के लिए बिहार में ई-फॉरेस्ट मंडी सुविधा शुरू की गई है।

देवांशु मणि तिवारी ,स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। किसानों को लकड़ी का सही दाम दिलवाने और काठ व्यापार में बिचौलियों का हस्ताक्षेप खत्म करने के लिए बिहार में ई-फॉरेस्ट मंडी सुविधा शुरू की गई है। इस सुविधा की मदद से किसान से लेकर आरा मशीन के मालिक पौधों व लकड़ियों को सीधे खरीददारों को अच्छे दामों पर बेच सकते हैं। बिहार में शुरू हुई यह सुविधा प्रदेश के काठ व्यापार को आगे बढ़ाने में मदद कर सकती है।

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बिहार में शुरू हुई ई-फॉरेस्ट मंडी के बारे में इंडियन फॉरेस्ट सर्विस (बिहार) के अपर निदेशक केके अकेला ने बताया, “बिहार में अभी सागौन, पापुलर, शीशम और यूकेलिप्टस जैसे पेड़ों की खरीद-बिक्री के लिए किसान को काठ मंडी का सहारा लेना पड़ता है। काठ मंडी में बिचौलियों द्वारा तय किए गए रेट पर किसान अपनी लकड़ी को औने-पौने दामों पर बेच देते हैं।’’

उन्होंने आगे बताया कि ई-फॉरेस्ट मंडी की मदद से किसान पोर्टल पर दिए गए फार्म को भरकर अपनी लकड़ी सीधे खरीददार को बेच सकेगा। इसमें 10 से 15 दिन के भीतर किसानों को निश्चित भुगतान देने का प्रावधान है। बिहार में कृषि रोडमैप योजना के तहत बिहार में वर्ष 2016-17 में 24 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है। इस योजना का 15 फीसदी हिस्सा हरियाली मिशन के तहत पूरा किया जाना है। इसलिए पूरी उत्तर बिहार बेल्ट में पापुलर पौधे लगाए जा रहे हैं। इन पौधों की खरीद-बिक्री के लिए इस पोर्टल की मदद ली जा रही है।

ई-फॉरेस्ट मंडी देश का पहला एकमात्र काठ व्यापार की पोर्टल है। पोर्टल को किसानों के लिए अधिक फायदेमंद बनाने के लिए हमने पोर्टल पर ऑनलाइन पेमेंट की सुविधा भी शुरू की है।
केके अकेला, अपर निदेशक

कृषि विपणन एवं विदेश व्यापार विभाग, उत्तर प्रदेश में मुख्यरूप से दो तरह (इमारती लकड़ी, व्यवसायिक) लकड़ियों का व्यापार होता है। प्रदेश में लखीमपुर, पीलीभीत, बहराइच, रामपुर और मुजफ्फरनगर जैसे जिलों में 70 फीसदी मंडी शुल्क काठ व्यापार से ही पूरा किया जाता है। ऐसे में ई-फॉरेस्ट मंडी जैसी सुविधा अगर उत्तर प्रदेश में शुरू की जाए तो इससे प्रदेश में काठ व्यापार को काफी हद तक बढ़ावा मिल सकेगा।

ई-फॉरेस्ट मंडी सुविधा को उत्तर प्रदेश में भी अपनाने की बात कहते हुए कृषि विपणन एवं विदेश व्यापार विभाग, उत्तर प्रदेश के सह निदेशक दिनेश चंद्र ने बताया, “प्रदेश में इमारती लकड़ी (शीशम, बबूल, सागौन) का व्यापार बहराइच, लखीमपुर और पीलीभीत में सबसे अधिक होता है। ई-फॉरेस्ट सुविधा अगर उत्तर प्रदेश के इन जिलों में भी अपनाई जाए तो काठ किसानों के लिए यह फायदेमंद हो सकती है।’’

प्रदेश में इमारती लकड़ी (शीशम, बबूल, सागौन) का व्यापार बहराइच, लखीमपुर और पीलीभीत में सबसे अधिक होता है। ई-फॉरेस्ट सुविधा अगर उत्तर प्रदेश के इन जिलों में भी अपनाई जाए तो काठ किसानों के लिए यह फायदेमंद हो सकती है।दिनेश चंद्र, सह निदेशक, कृषि विपणन एवं विदेश व्यापार विभाग, उत्तर प्रदेश

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