आलू की खुदाई होते ही शुरू हो गई खरबूजे की बुवाई

Update: 2017-03-16 14:41 GMT
आलू के खेत खाली होते ही किसानों ने खरबूजे की बोवाई शुरू कर दी है।

नीतू सिंह ,स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। आलू के खेत खाली होते ही किसानों ने खरबूजे की बोवाई शुरू कर दी है। तीन महीने में तैयार होने वाली खरबूजे की फसल से किसान उम्मीद लगाकर बैठे हैं कि इस फसल से आलू से हुए घाटे की भरपाई हो पायेगी।

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फरवरी के आखिरी सप्ताह से लेकर मार्च महीने तक खरबूजे की बोवाई किसान कर सकते हैं। कानपुर नगर के शिवराजपुर, ककवन, चौबेपुर, बिल्हौर ब्लॉक में इस समय किसान खरबूजे की बोवाई जोरों शोरों से कर रहे हैं। सैकड़ों बीघे बोवाई कर चुके शिवराजपुर ब्लाक के कुकरी गाँव के किसान विशाल कुमार (26 वर्ष) बताते हैं, “आलू और सरसों का खेत खाली होते ही परेवा करके खरबूजे की बोवाई कर दी है। इस फसल में दो तीन हजार रुपये की लागत आती है और तीन महीने में तीस से चालीस हजार रुपये आसानी से कमा लेते हैं।“ वो आगे बताते हैं, “एक बीघे में लगभग 30 कुंतल खरबूजा का उत्पादन हो जाता है। शुरुवात में 25-30 रुपये प्रति किलो और बाद में 8-10 रुपये किलो बाजार में बिक्री हो जाती है। “ यहाँ के कई गाँव के किसान खरबूजे के फल बेचते हैं तो वहीं कई गाँव के किसान सिर्फ बीज बेचते हैं जिसमे उन्हें अच्छा खासा मुनाफा हो जाता है।

कानपुर नगर के शिवराजपुर ब्लॉक से 14 किलोमीटर दूर दक्षिण दिशा में दलीपपुर, कंजती, देवकली, सखरेज गाँव हैं। इस ब्लाक के इन गाँवों में सैकड़ों बीघे में खरबूजे की खेती की जाती है। यहां के किसान खरबूजे बाजार में बेचते नहीं है, बल्कि इन खरबूजों को आसपास के लोगों को खिलाकर उनसे बीज एकत्र करके बाजार में बेचते हैं। दलीपपुर के किसान महेश कुमार (50 वर्ष) बताते हैं, “इस बार आलू की खेती में बहुत घाटा हुआ है। अब उम्मीद खरबूजे की फसल से रह गयी है।”

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