किसानों को लोन देने वाला बैंक कर्मचारी बन गया सफल किसान, पढ़िए सफलता की कहानी

Update: 2017-05-08 19:32 GMT
किसान दिलीप वर्मा।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। एक निजी बैंक में काम करने वाले गोंडा के किसान दिलीप वर्मा अपनी नौकरी छोड़कर आज खेती कर रहे हैं। किसानों के साथ रहते हुए दिलीप ने खेती-किसानी को करीब से जाना और प्रेरित होकर खेती करने का फैसला लिया। आज वो खेती के जानकार बन चुके हैं और इससे जुड़ी तकनीकों का ज्ञान भी रखते हैं।

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दिलीप बताते हैं, “मैंने कई जगह नौकरी की, महीने का 25-30 हजार रुपए ही कमा पाता था जो कि इस समय की महंगाई के हिसाब से परिवार की जरूरतों के हिसाब से पर्याप्त नहीं थे, एक प्राइवेट बैंक में किसानों को लोन देने का हमारा काम था, वहीं से मैंने ये सोच बनाई कि मैं भी खेती करूंगा।”

अगर किसान समझदारी से और कई जगह से सीखकर खेती करे तो खेती करना आज भी घाटे का सौदा नहीं है, एक नौकरी से ज्यादा खेती में कमाया जा सकता है जो अपना खुद का बिजनेस होता है।
किसान दिलीप वर्मा

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किसान दिलीप वर्मा (37 वर्ष) मूल रूप से बलरामपुर जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर पूर्व दिशा में सीरिया नौसा गाँव के रहने वाले हैं। वर्ष 2015 से खेती की शुरुआत करने वाले दिलीप वर्मा का कहना है, “मैंने केला 17 एकड़ में और पपीता चार एकड़ में लगाया है, पपीते के खेत में सहफसली के तौर पर तरबूज और केले में टमाटर की फसल ली है। ये खेत मैंने लीज पर लिए है, एक साल में 25-30 लाख रुपए लागत आती है, साल में 60 से 80 लाख रुपए कमा लेता हूं।”

दिलीप वर्मा पहले किसान नहीं हैं जिन्होंने नौकरी छोड़कर खेती की शुरू की हो। इनकी तरह कई किसान नौकरी छोड़कर खेती कर रहे हैं और अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। दिलीप वर्मा खेती को लेकर अपना अनुभव साझा करते हुए बताते हैं कि नौकरी में जरूरत पड़ने पर छुट्टी बहुत मुश्किल से मिलती थी, इसलिए उन्होंने अपना काम करने की सोची। इसके लिए उन्होंने लीज गोंडा जिले के अचलनगर गाँव में ली है।

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वो आगे बताते हैं, “एक एकड़ में पपीता के 1100 पौधे लगते हैं, एक पौधे में लगभग 40 किलो फल निकलते हैं। एक किलो पपीता इस समय 18 रुपए किलो में बिक जाता है। पपीता और केले की नर्सरी एक बार लगाने पर इससे दो साल तक उत्पादन होता है।” दिलीप वर्मा पहले अपने फल बेचने के लिए बलरामपुर मंडी जाते थे लेकिन अब व्यापारी उनके खेत पर खुद फल खरीदने आते हैं।

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