संरक्षण के अभाव में जर्जर हो रहा मुगलकालीन मंदिर 

Update: 2017-05-22 16:10 GMT
लखनऊ से सटे काकोरी में 241 वर्ष प्राचीन ऐतिहासिक शिव मंदिर उपेक्षा का शिकार है।

स्वयं कम्युनिटी जर्नलिस्ट

लखनऊ। भारतीय पुरातत्व विभाग तमाम ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित करने में जुटा है, लेकिन ऐतिहासिक और नवाबी धरोहरों के गढ़ लखनऊ से सटे काकोरी में 241 वर्ष प्राचीन ऐतिहासिक शिव मंदिर उपेक्षा का शिकार है। नवाब आसिफुद्दौला के समय में लखौरी ईंट से बना यह मंदिर और ऐतिहासिक पुल अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है।

राजधानी लखनऊ के काकोरी के गोला कुआं स्थित बेहता नदी का पुल और प्राचीन भगवान शिव मंदिर का निर्माण नवाब आसिफुद्दौला के शासनकाल में (1775-1798) ई. में उनके प्रधानमंत्री टिकैत राय ने कराया था। इस मंदिर के निर्माण में लखौरी ईंटों का इस्तेमाल किया गया था। चूने के मसाले से प्लास्टर व अलंकरण भी किया गया था।

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पुल और मंदिर दोनों केंद्र सरकार के तहत संरक्षित हैं। दोनों की देखरेख की जिम्मेदारी उन्हीं की है।
पीके सिंह, उपनिदेशक, पुरातत्व विभाग

काकोरी के टिकैतगंज निवासी गंगाराम (60 वर्ष) बताते हैं, “इस मंदिर के बगल में बनी सड़क से दो दशक पहले तक तमाम गाड़ियां गुजरा करती थीं। जब ये रोड वाला पुल बना तब इधर से बसों का चलना बंद हो गया। पुल की देखरेख न होने से जगह-जगह ईंटें उखड़ रही हैं। जबकि यह नवाबों के समय का बनाया हुआ पुल है।” इसी गाँव के लक्ष्मण (55 वर्ष) कहते हैं, “भगवान शिव के मंदिर में हमेशा की तरह आज भी पूजा होती है और सावन में यहां लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ होती है और मेला लगता है, लेकिन देखरेख के अभाव में मंदिर की दशा खराब होती जा रही है।”

‘पुरातत्व विभाग कर रहा है अनदेखी’

काकोरी के चौधरी मोहल्ला निवासी सनी कश्यप (25 वर्ष) का कहना है, “इसकी देखरेख के लिए चौकीदारों की नियुक्त की गई है, लेकिन चौकीदार कम ही आते हैं और इस ऐतिहासिक शिव मंदिर में साफ-सफाई नहीं होती है।” काकोरी क्षेत्र के ग्राम भलिया निवासी ज्ञान सिंह ठाकुर (32 वर्ष) कहते हैं, “इस शिव मंदिर में सुबह पांच बजे भक्त पूजा-अर्चना करते हैं।

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गाँव के बुजुर्गों के अनुसार ये परंपरा सदियों से चली आ रही है। दो-ढाई महीने पहले महाशिवरात्रि की पूजा थी लेकिन, प्रशासन आदि की ओर से कोई व्यवस्था तक नहीं की गई। इस मंदिर में पुरातत्व विभाग अनदेखी कर रहा है।” काकोरी के अतिरिक्त टाऊन एरिया के सभासद नन्द किशोर लोधी (50 वर्ष) ने बताया, “काकोरी में ऐतिहासिक मंदिर में टूटी-फूटी फर्श तथा दिवारों का प्लास्टर उखड़-उखड़ कर गिर रहा है।

कहने को तो यह ऐतिहासिक प्राचीन मंदिर है, लेकिन इसकी दीवारों में वर्षों से पोताई नहीं हुई है।” काकोरी क्षेत्र के गोला कुआं निवासी लक्ष्मी नारायण (40 वर्ष) ने बताया, “इस शिव मंदिर की दीवारों पर लोगों ने अपशब्द लिख दिये है। लगभग दो वर्ष पहले इस मंदिर में चोरी हुई थी। चोरों ने खजाने के लालच में शिवलिंग को खोद डाला था।”

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