बहू बोली, ससुर मेरा बलात्कार करता है

Update: 2017-01-31 12:24 GMT
मोहनलालगंज कोतवाली में शिकायत करने पहुंची पीड़िता।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। “बीते चार महीने से मेरा ससुर शारीरिक शोषण कर रहा है। उसने मेरे साथ बलात्कार भी किया है। पुलिस से शिकायत की फिर भी कुछ नहीं हुआ। कोई मेरे ससुर से मुझे बचाए।” रोते हुए 19 वर्षीय पीड़िता ने ससुर पर ये आरोप लगाए हैं। आशा ज्योति केंद्र की मदद से अब ससुर के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो सका है।

जिला मुख्यालय से 55 किलोमीटर दूर पछे पुरुवा गाँव की रहने वाली पीड़िता बताती है, “जब पहली बार मेरे ससुर नफीस अहमद ने मेरे साथ जबरदस्ती की तो हमने अपनी सास और शौहर को बताया तो इन लोगों ने मेरी बात पर यकीन नहीं किया। मेरे पति का नाम साफिक अहमद ये बेरोजगार हैं। ससुर की गन्दी हरकत पर मेरे पति बोले कि चाहे मेरे पास रहो या मेरे बाप के पास बात एक ही है। मेरे पास तुमको खिलाने के लिए पैसे नहीं है।”

राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार पिछले चार वर्षों से 2015 तक महिलाओं के खिलाफ अपराध में 34 फीसदी की वृद्धि हुई है। भारत में महिलाओं के खिलाफ अपराध के सम्बन्ध में वर्ष 2015 में जो मामले दर्ज हुए हैं उनमें उत्तर प्रदेश का पहला स्थान है। उत्तर प्रदेश में 35527, महाराष्ट्र में 31126, पश्चिम बंगाल में 33218 मामले दर्ज हुए हैं।

पीड़िता का आरोप है कि सास मैसर जहां और पति एक दिन पार्टी में गए थे और वो घर पर अकेली थी। इसी का फायदा उठाकर ससुर ने उससे रेप किया।

मैं चार से पांच बार पुलिस थाने गई, लेकिन वहां पर मेरी शिकायत नहीं लिखी गई। उसके बाद मैने गांव के प्रधान के पास जाकर 200 आदमियों के बीच अपनी समस्या बताई। प्रधान द्वारा मेरी समस्या का समाधान तो किया गया, लेकिन उन फैसलों का मेरी जिंदगी पर कोई भी असर नहीं हुआ। इसके बाद मेरी दोस्त ने महिला हेल्प लाइन 181 पर आशा ज्योति केंद्र की टीम को कई बार यहां बुलाया पर टीम के आने से पहले घर वाले भाग जाते हैं।  
पीड़िता

पीड़िता का विवाह मात्र पांच महीने पहले हुआ है। पीड़िता का आरोप है, “ये सिलसिला थमा नहीं। उसके कुछ दिन के बाद ससुर ने दोबारा कमरे में मेरा बलात्कार किया तभी मेरी नन्द ने देख लिया और घर में सबसे बताया। जब मैंने पुलिस में शिकायत करने की बात कही तो उसने कहा कि जो करना है कर लो मेरा कोई कुछ नहीं कर पायेगा।”

उसने बताया, “मैं चार से पांच बार पुलिस थाने गई, लेकिन वहां पर मेरी शिकायत नहीं लिखी गई। उसके बाद मैने गांव के प्रधान के पास जाकर 200 आदमियों के बीच अपनी समस्या बताई। प्रधान द्वारा मेरी समस्या का समाधान तो किया गया, लेकिन उन फैसलों का मेरी जिंदगी पर कोई भी असर नहीं हुआ।” उसने आगे बताया, “इसके बाद मेरी दोस्त ने महिला हेल्प लाइन 181 पर आशा ज्योति केंद्र की टीम को कई बार यहां बुलाया पर हर बार घर वाले भाग जाते हैं।”

जब निगोहा थाने में महिला की समस्या नहीं लिखी गई तब मोहनलाल गंज में गाँव आशा ज्योति केन्द्र की टीम के प्रयास से मोहनलालगंज के प्रभारी निरीक्षक थाना राम पाल यादव ने शबनम का मुकदमा लिखा। आशा ज्योति केंद्र में सामाजिक कार्यकर्ता अर्चना सिंह ने बताया, “25 जनवरी को हम पीड़िता को लेकर निगोहा थाने गए थे। पीड़िता से हम 15 दिन पहले मिले थे और उसके गांव भी गए। उसके ससुराल और मायके वालों से मिले और अलग से पीड़िता की काउंसलिंग की। पीड़िता की बड़ी बहन (25 वर्ष) बताती हैं, “बहल ने दो माह हमें कुछ नहीं बताया।

जब ससुराल वालों ने ज्यादा परेशान करना शुरू किया और उसका सारा सामान छीन कर अपने पास रख लिया तब उसने मुझे अपनी समस्या बताई। उस दिन से लगातार हम उसके साथ बराबर दौड़ रहे हैं। तीन-चार बार निगोहा थाने गए लेकिन कोई भी काम नहीं बना है। ससुरालियों ने सारा समान और जेवर छीन लिया। मेरे घर वालों का दिया गया एक हथफूल, तीन थपकी माला, पायल और टिका ये चार सामान अपने पास रखे हैं।”

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