कुम्हारों का कहना हमें भी मिलना चाहिये बढ़ावा

Update: 2017-03-14 11:06 GMT
ग्रामीण क्षेत्रों के और लोगों की तरह कुम्हारों को भी नयी सरकार से कई उम्मीदें हैं।

दीपांशु मिश्रा/देवांशु मणि तिवारी, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। विधानसभा चुनाव का रिजल्ट आ चुका है। ग्रामीण क्षेत्रों के और लोगों की तरह कुम्हारों को भी नयी सरकार से कई उम्मीदें हैं। लखनऊ जिला मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर दूरी पर मोहनलालगंज तहसील के अमेठी कस्बे में काम करने वाले कुछ हश्तशिल्पी की नई सरकार से कई उम्मीदें हैं, अमेठी मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र है जहां पर महिलाएं मिट्टी के मटके बनाकर बेचती हैं और उनसे अपना जीवन चलाती हैं।

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‘’हम यहां लगभग 25 साल से रह रहें हैं, लेकिन किसी सरकार ने महिलाओं को लेकर कोई सुविधा नहीं दी है। मेरे जैसी ही लगभग 25 से 30 महिलाएं है जो मिट्टी के मटके बनाने का कार्य कर रही हैं। मेरी तरह ही उनकी भी कई समस्याएं है, जो सुलझाई जानी चाहिए।’’ ये बातें अमेठी कस्बे में रहने वाली रहीमुन्निशा (35 वर्ष) मटके बनाते हुए बताईं।

रहीमुन्निशा ने आगे बताया“मटके बनाने के लिए मिट्टी तक नहीं है, जिससे हम अपना काम लगातार कर सके। मटके बनाने के लिए मिट्टी चोरी चुपके से लाते हैं और उससे ही मटके बनाकर बेचते हैं। अब रोज मिटटी भी नहीं मिलती है, जिससे हम मटके बनाकर अपना रोजगार कर सके।”उसी जगह पर बैठी रेशमा (40 वर्ष) बताती हैं, हम लोगों के पास ना राशन कार्ड है न ही मिट्टी खोदने के लिए तालाब तो हम अपना पेट कैसे भरेंगे।

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