राप्ती नदी के बंधों की हालत जर्जर, गड्ढों ने बढ़ाई मुश्किलें

Update: 2017-07-14 18:05 GMT
राप्ती नदी के बंधों में जगह-जगह हो गड्ढे 

सोनू त्रिपाठी, स्वयं कम्युनिटी जर्नलिस्ट

पिपरौली (गोरखपुर)। राप्ती नदी का जलस्तर बढऩे व बंधों की हालत जर्जर हो होने से ग्रामीणों की परेशानी बढ़ गई है। बंधे पर बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं। बाढ़ की स्थिति में काफी नुकसान पहुंच सकता है। बाढ़ खंड के अधिकारियों का कहना है कि बंधों की मरम्मत कराई जा रही है। शीघ्र ही काम पूरा कर लिया जाएगा। करीब 20 किलोमीटर तक बंधे में जगह-जगह गड्ढे हो गये हैं।

बारिश के चलते इन दिनों राप्ती नदी का जलस्तर बढ़ा हुआ है, ऐसे में बंधे पर होल होने से ग्रामीणों की परेशानी बढऩा स्वाभाविक है। आलम यह है कि महोबा से लेकर कसिहार (कौड़ीराम) तरकरीब बीस किलोमीटर के बंधे में सैकड़ो बड़े-बड़े गड्ढे हैं। इस बंधे पर कुछ पक्की सडक़ हैं तो कुछ पर खडंजा। लेकिन प्रशासनिक लापरवाही के चलते लोगों में राहगीरों को आवागमन में भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

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बता दें कि इस मार्ग के आसपास दो दर्जन के करीब गाँव पड़ते हैं, अगर नदी का पानी उफान मारा तो बाढ़ से इन गाँवों को कोई बचा नहीं पाएगा। बाढ़ खंड विभाग की ओर से समय रहते इस कार्य को नहीं कराया गया, लेकिन अब दावा किया जा रहा है कि सभी गड्डों के मरम्मत का कार्य चल रहा है।

पिपरौली ब्लॉक के महोबा गाँव निवासी संजय सिंह (35 वर्ष) ने बताया, “बंधे की हालत जर्जर हो चुकी है। जगह-जगह होल बने हुए हैं। बाढ़ की स्थिति में काफी नुकसान होगा।” पर्सहीं गाँव निवासी वृजराज निषाद (60 वर्ष) ने बताया, “ बंधे पर आवागमन में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, आये दिन लोग चोटिल हो रहे हैं। ”

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पिपरौली ब्लॉक के भिलोरहीं गाँव के रहने वाले पटकन यादव (70 वर्ष) ने बताया,“ बाढ़ आने की स्थिति में प्रशासन के लोग जागते हैं, इसके पहले कोई चिंता नहीं करता है। ”कलानी गाँव निवासी राजेंद्र त्रिपाठी (63 वर्ष) ने बताया,“ समय रहते अगर प्रशासन ने बांधों की मरम्मत नहीं कराया तो काफी नुकसान होगा।क्योंकि बारिश के चलते नदियों काजलस्तर लगातार बढ़ रहा है।”

बाढ़ खंड गोरखपुर के अधिशासी अभियंता डीसी वर्मा का कहना है, “बंधों पर रेन होल हो गए हैं, उनकी मरम्मत के लिए तेजी से कार्य चल रहा है। शीघ्र ही सभी बंधों की मरम्मत हो जाएगी। बारिश के चलते नदियों का जलस्तर बढ़ा हुआ है, पानी अभी भी खतरे के निशान के नीचे हैं। ग्रामीणों को घबड़ाने की जरूरत नहीं है।”

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