अप्रैल से मई तक करें तुलसी की खेती

Update: 2017-04-02 16:05 GMT
यह समय तुलसी की खेती के लिए अधिक फायदेमंद साबित हो सकता है।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। केन्द्र सरकार ने आयुर्वेदिक दवाओं की खरीददारी को बढ़ाने के लिए जनऔषधि योजना चला रही है। ऐसे में देश में औषधीय फसलों की खेती का दायरा भी बढ़ रहा है। औषधीय फसलों की खेती करने वाले किसानों के लिए यह समय तुलसी की खेती के लिए अधिक फायदेमंद साबित हो सकता है।

खेती किसानी से जुड़ी सभी बड़ी खबरों के लिए यहां क्लिक करके इंस्टॉल करें गाँव कनेक्शन एप

रायबरेली जिले में पिछले आठ वर्षों से तुलसी, कालमेघ, आर्टीमीशिया और पामारोजा जैसी औषधीय पौधों की खेती कर रहे किसान वीरेंद्र चौधरी (58 वर्ष) ने इस वर्ष एक एकड़ के तुलसी की क्यारियां तैयार कर रहे हैं।

वीरेंद्र बताते हैं, ‘’तुलसी की खेती अप्रैल से मई महीने तक होती है। इस खेती के लिए बीजों को क्यारियों में आठ से दस गुना मिट्टी में मिलाकर बिछा दिया जाता है। फसल तीन महीने के अंदर तैयार हो जाती है। एक एकड़ तुलसी में किसान आसानी से 30 से 40 हज़ार रुपए कमा सकता है।’’

राष्ट्रीय औषधीय बोर्ड के अनुसार उत्तर प्रदेश में 2,50,000 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में औषधीय खेती की जाती है। प्रदेश के गाजीपुर, कन्नौज, अलीगढ़, सोनभद्र और मिर्जापुर जिलों में तुलसी की बड़े पैमाने में होती है।

“कम समय में अधिक मुनाफे के लिए किसान तुलसी की खेती कर सकते हैं। तुलसी के तेल का रेट 400 से 500 रुपए प्रति लीटर बिकता है। तुलसी सहित आर्टीमीशिया और कालमेघ बड़े आराम से लखनऊ और बरेली के व्यापारी खरीद लेते हैं।’’ वीरेंद्र आगे बताते हैं।

राष्ट्रीय औषधीय बोर्ड के मुताबिक उत्तर प्रदेश में औषधीय पौधों का व्यापार प्रतिवर्ष पांच हज़ार करोड़ रुपए होता है। भारत में 6,000 से ज्यादा किस्मों के औषधीय पौधे पाए जाते हैं।

70 से 80 दिन में तैयार हो जाती है स्निग्धा तुलसी

लखनऊ स्थित केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध अनुसंधान संस्थान (सीमैप) ने कम समय में तैयार होने वाली तुलसी की किस्म सिम स्निग्धा तुलसी तैयार की है। यह किस्म 70 से 80 दिन में तैयार हो जाती है। सिम स्निग्धा तुलसी में अन्य किस्मों की तुलसी की तुलना में अधिक औषधीय गुण पाए जाते हैं। तुलसी के बाजार में सिम स्निग्धा तुलसी का तेल लगभग 600 रुपए प्रति लीटर के भाव से बिकता है।

तुलसी की इस नई किस्म के बारे में केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध अनुसंधान संस्थान ( सीमैप) के वैज्ञानिक संजय कुमार बताते हैं, ‘’संस्थान ने सिम स्निग्धा नाम की तुलसी की किस्म तैयार की है, इस प्रजाति के तेल में 78 प्रतिशत से अधिक मिथाइल सिनामेट पाया जाता है, जिसका उपयोग एरोमा, फार्मास्यिूटिकल और कास्मेटिक उद्योग में होता है। साथ ही इसके सेवन से मधुमेह, मोटापा और तंत्रिका विकार के इलाज में इसका उपयोग किया जाता है।”

ताजा अपडेट के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए यहां, ट्विटर हैंडल को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें।

Similar News