हल्दी की नई किस्म ‘सिम पीतांबर’ की खेती से किसानों को होगा ज्यादा मुनाफा
सुधा पाल, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
लखनऊ। हल्दी की नई किस्म 'सिम पीतांबर' की खेती करके किसान दोगुना लाभ कमा सकते हैं। सीमैप द्वारा विकसित इस किस्म के साथ पूरे प्रदेश के किसानों को हल्दी की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध अनुसंधान संस्थान (सीमैप) ने हल्दी की नई किस्म किस्म विकसित की है। मसालों में मिर्च के बाद देश में हल्दी की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। पूरे देश में लगभग दो लाख हेक्टेयर के क्षेत्रफल में किसान हल्दी की खेती कर रहे हैं। इसके साथ ही इसका प्रयोग औषधि के रूप में भी किया जाता है। यही वजह है कि इसकी मांग देश में पूरे साल बनी रहती है।
हल्दी की ये नई किस्म अभी विकसित की गई है जो कई मायनों में किसानों के लिए बेहतर है।संजय कुमार, सीमैप के वैज्ञानिक
हल्दी की खेती देश में 150000 हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्रफल में की जाती है। इस तरह तीन मिलियन टन तक का हल्दी उत्पादन देश में किया जाता है जिसकी कीमत लगभग 150 करोड़ रुपए है। देश के दक्षिण भागों (तेलंगाना और आंध्र प्रदेश) में इसकी खेती ज्यादा होती है।
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क्यों बेहतर है यह नई किस्म?
सीएसआईआर की ओर से विकसित की गई इस किस्म की खेती से किसान एक हेक्टेयर से लगभग 65 टन हल्दी (कंद) का उत्पादन कर सकता है। इसके साथ ही जहां अन्य किस्मों में फसल तैयार होने में सात से नौ महीने लग जाते हैं, वहीं इससे किसान केवल पांच से छह महीने में ही उत्पादन तैयार कर सकता है। इसके साथ ही इसमें कीटों के प्रकोप से भी बचा जा सकता है। इस किस्म के पौधों की पत्तियों पर धब्बा रोग किसी भी तरह से फसल को नुकसान नहीं पहुंचा सकता है।