काशी के घाटों से कब दूर होगी गंदगी? 

Update: 2017-02-25 11:51 GMT
काशी के गंगापार के गाँव शिवपुर की सुनीता देवी (34 वर्ष) नगर निगम की कर्मचारी हैं।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

वाराणसी। काशी के गंगापार के गाँव शिवपुर की सुनीता देवी (34 वर्ष) नगर निगम की कर्मचारी हैं। वो रोज़ सुबह दशास्वमेघ घाट पर झाड़ू लगाने आती हैं। सुनीता की मानें तो हर रोज़ झाड़ू लगने के बावजूद घाट पर कुंतल भर कचरा मिलता है।

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सुनीता बताती हैं, “हमारे साथ पांच और लोग हैं, जो घाट पर सफाई करते हैं। घाट पर जगह-जगह कूड़ेदान भी रखे गए हैं पर अगरबत्ती के पैकेट, पन्नी, फूल हमेशा पड़ा रहता है। पूरे जिले में प्रधानमंत्री के स्वच्छ भारत अभियान और नमामि गंगे अभियान के तहत सभी घाटों पर नगर निगम वाराणसी द्वारा स्वच्छता कर्मी तैनात किए गए हैं। इसके अलावा प्लास्टिक व पॉलीथीन जैसे कचरों के ठीक तरीके से निपटाने के लिए अर्पण कलश नाम के बायोडिग्रेडेबल कूड़ेदान भी घाटों पर लगवाए गए हैं, लेकिन घाटों से गंदगी कम नहीं हो रही है।”

नगर आयुक्त हरी प्रताप शाही बताते हैं, “काशी में रोज़ाना हज़ारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। हर रोज़ घाटों पर पूजा पाठ होता रहता है, इसलिए कचरा होना स्वाभाविक है। मुझे लगता है कि घाटों पर कचरा न फैले, इसके लिए नगर निगम से बढ़कर खुद लोगों को अपनी ज़िम्मेदारी समझनी होगी।”

नगर निगम ने घाटों पर अर्पण कलश (बायो डस्टबिन), बायो टॉयलेट व स्वच्छता कर्मियों को लगाया है, इससे काफी हद तक घाटों पर साफ़-सफाई बनाये रखने में मदद मिली है। 
हरी प्रताप शाही, नगर आयुक्त वाराणसी

अस्सी घाट पर पिछले 20 वर्षों से पूजा-पाठ कर रहे पुजारी पंडित लवकुश नाथ (56 वर्ष) बताते हैं, “जब प्रधानमन्त्री मोदी यहां से चुनाव जीते थे, तो घाट पर बड़ी-बड़ी क्रेनों से मिट्टी हटाई गई थी। अब सब कुछ पहले जैसा हो गया है। क्रेनें हटा दी गईं पर गंदगी नहीं हटी।” बनारस हिंदू विश्वविद्यालय और जिले के सरकारी विभागों की मदद से काशी के घाटों पर कई बार स्वच्छता अभियान चलाए गए पर घाटों पर रोजाना होने वाले कचरे से उबरने का कोई भी हल नहीं ढूंढा जा सका है।

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