जानिए कैसे दूसरों के खेत में काम करते-करते लोगों को कर्ज देने लगी ये महिलाएं 

Update: 2017-05-23 10:16 GMT
कभी दूसरों के आगे हाथ फैलाने वाली ये महिलाएं आज खुद दूसरों को कर्ज देने में सक्षम हैं।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

गोरखपुर। दूसरों के खेत में मजदूरी करने वाली महिलाओं के समूह में खुद से की बचत से आज उनके पास लाखों रुपए जमा हैं, कभी दूसरों के आगे हाथ फैलाने वाली ये महिलाएं आज खुद दूसरों को कर्ज देने में सक्षम हैं। किसी की बेटी की शादी हो या फिर कोई रोजगार शुरू करना हो हर महिला समूह से रुपए लेकर अपना काम पूरा कर लेती है।

“बेटे की पढ़ाई में 30 हजार रुपए की जरूरत पड़ गई थी। समूह में जब ये बात बताई तो मुझे तीन रुपए ब्याज सैकड़ा पर 30 हजार रुपए उधार मिल गए। अगर हमारा समूह न होता तो हमारे बच्चे का एडमिशन न हो पाता।” ये कहना है गोरखपुर जिले के भटहट ब्लॉक के राजी करमौरा गाँव की रहने वाली जासमती देवी (60 वर्ष) का।

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जासमती देवी गोरखपुर जिले की पहली महिला नहीं हैं जिन्होंने समूह से पैसे लिए हों और अपना काम चलाया हो बल्कि इनकी तरह हजारों महिलाएं मजदूरी कर बचत समूह में हर महीने कुछ पैसा जमा करती हैं और जरूरत पड़ने पर समूह से ही उधार ले लेती हैं।

गोरखपुर जिला मुख्यालय से लगभग 26 किलोमीटर दूर भटहट ब्लॉक के राजी करमौरा गाँव में रहने वाली बचत संघ के महासंघ की अध्यक्ष जिलेवा यादव (50 वर्ष) का कहना है, “एक साहूकार के यहां से हमारे गाँव के एक आदमी ने कर्जा लिया था, मजदूरी करके जब वो कर्जा नहीं चुका पाया तो कई साल तक उसके यहां मजदूरी करनी पड़ी, कर्ज तब भी नहीं चुका सिर्फ ब्याज के ही पैसे ही खत्म हुए थे।”

वो आगे बताती हैं, “साहूकार 10 रुपए सैकड़ा ब्याज लेते हैं जबकि हमारे समूह में सिर्फ तीन रुपए सैकड़ा ब्याज देना होता है, जितने समय महिलाओं को जरूरत पड़ती है समूह में बैठक करके पैसे दे दिए जाते हैं।” वहीं समूह से जुड़ी एक अन्य महिला कमला देवी (40 वर्ष) बताती हैं “एक बार हमारी बहु जल गयी थी हमे कई घरों के चक्कर नहीं लगाने पड़े, समूह से पैसे लेकर तुरंत बहु का इलाज शुरू करवा दिया।”

शुरुआत में इन महिलाओं के समूह बनाने में बहुत मुश्किलें आईं लेकिन जब ये बार समूह से जुड़ गईं और बचत करने लगीं तो इन्हें इस समूह के फायदे पता चलने लगे। ये महिलाएं न सिर्फ अपनी घरेलू जरूरत के लिए पैसे लेती हैं बल्कि रोजगार शुरू करने के लिए भी समूह से ही पैसे लेती हैं।
आशा सिंह, महिला समाख्या की जूनियर सन्दर्भ व्यक्ति

महिला समाख्या द्वारा गोरखपुर जिले में कार्यक्रम की शुरुआत वर्ष 1996 में हुई, महिलाओं द्वारा संघ बचत समूह की शुरुअात 1999-2000 में किया गया। जिसमें महिलाओं ने मजदूरी करके बचत समूह में दो रुपए से महीने में जमा करना शुरू किया। आज ये महिलाएं 50-100 रुपए महीने जमा करती हैं, एक समूह में 20 महिलाएं होती हैं। गोरखपुर जिले में 118 बचत संघ चलते हैं जबकि प्रदेश के 16 जिलों में 1109 बचत संघ चल रहे हैं जिसमे 12,972 महिलाएं जुड़ी हैं।

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अब रुपए के लिए किसी का मुंह नहीं देखना पड़ता

समूह के प्रेमशीला शर्मा (45 वर्ष) खुश होकर बताती हैं, “जब समूह से नहीं जुड़े थे तब एक-एक रुपए के लिए पति के आगे हाथ फैलाना पड़ता था, बिंदी लेने के लिए भी हमारे पास पैसे नहीं होते थे, जबसे हमने बचत करनी शुरू की है तबसे हमने अपनी मर्जी से कई गहने बनवा लिए हैं।” वो आगे बताती हैं, “एक बार मैं बहुत बीमार पड़ गई, घरवालों के पास पैसा नहीं था इलाज के लिए, उस समय समूह की महिलाओं ने 1800 रुपए निकालकर हमारा इलाज करवाया, उस समय मुझे समूह की कीमत पता चली, समूह से जुड़ने के बाद हमे पैसे के लिए किसी का मुंह नहीं देखना पड़ता है।”

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